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2 हजार करोड़ के शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस रद्द, पूर्व IAS टुटेजा और उनके बेटे को राहत

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रायपुर.

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस को रद्द कर दिया है। दो हजार करोड़ के शराब घोटाले केस में सभी 6 आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहत की सांस ली है। पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले से बड़ी राहत दी है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

जस्टिस अभय एस औका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने मामले में टिप्पणी करने के बाद शिकायत को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से संबंधित मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शिकायत आईटी अधिनियम अपराध पर आधारित थी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अनुसार अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मामले में ईसीआईआर और एफआईआर को देखने से पता चलता है कि कोई विधेय या अपराध नहीं हुए हैं। सवोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जब कोई आपराधिक धनराशि ही नहीं है तो इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का केस ही नहीं बनता है।

जानें क्या हैं दो हजार करोड़ का शराब घोटाला
ईडी की जांच के मुताबिक, पूर्व कांग्रेस सरकार में उच्च स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक अधिकारियों वाला एक सिंडिकेट काम कर रहा था। छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। साल 2019-22 में दो हजार करोड़ रुपये से अधिक काले धन की कमाई हुई। मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर आयकर विभाग की चार्जशीट से उपजा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।

जनवरी 2024 में हुई थी एफआईआर
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने ईडी के पत्र के आधार पर जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की है। ईओडब्ल्यू के दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टरमाइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस और अन्य सरकारी ऑफिसर और लोग सहयोग किये थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस ऑफिसर हैं, जब  घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी थे। वहीं अनवर ढेबर रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई और शराब कारोबारी है।

100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर
ईडी ने शराब और कोयला घोटाला मामले में दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 100 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी। इनमें भूपेश सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके कवासी लखमा, मंत्री मरजीत भगत, पूर्व विधायक, गुलाब कमरो, शिशुपाल, बृहस्पत सिंह, चंद्रदेव प्रसाद राय, यूडी मिंज, विधायक देवेंद्र यादव के नाम शामिल हैं। इनके अलावा 2 निलंबित आईएएस (समीर विश्नोई, रानू साहू), रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर और कांग्रेस कोषाध्यक्ष समेत अन्य के नेताओं के नाम शामिल हैं।