धारवाड़
कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का वोट अहम रहा है। किसी भी चुनाव में इस समुदाय की भूमिका निर्णायक रही है और माना जाता है कि इनका समर्थन भाजपा को ही मिलता रहा है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में तस्वीर बदलती दिख रही है। मोदी सरकार के मंत्री प्रल्हाद जोशी के खिलाफ लिंगायत समुदाय के बड़े संत जगद्गुरु फकीरा दिंगलेश्वर महास्वामी ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इसे भाजपा के लिए एक चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है और इसका असर कुछ लिंगायत बहुल सीटों पर पड़ सकता है।
संत जगद्गुरु फकीरा दिंगलेश्वर महास्वामी ने धारवाड़ लोकसभा क्षेत्र से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प चुनने वाले महास्वामी ने कहा कि उनका लक्ष्य क्षेत्र में पारंपरिक राजनीतिक दलों के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए मतदाताओं को एक विकल्प प्रदान करना है। महास्वामी का यह फैसला राज्य की सियासत में अहम है। कांग्रेस एवं भाजपा की राजनीति से इतर एक वैकल्पिक मंच तैयार करने की कोशिश के तौर पर इसे देखा जा रहा है।
उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए कहा, 'मैंने धारवाड़ लोकसभा क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनाव के लिए इस क्षेत्र से अपने उम्मीदवार उतारे हैं।' उन्होंने पार्टी की टिकट वितरण नीतियों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कर्नाटक में भाजपा की उपस्थिति को आकार देने में लिंगायत समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा भी किया। उन्होंने कहा,'लिंगायत समुदाय ने कर्नाटक में भाजपा का निर्माण और विकास किया है। टिकट वितरण में भाजपा में कोई सामाजिक न्याय नहीं है।'
उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनावों में हमारे राज्य से नौ वीरशैव लिंगायत समुदाय के नेता संसद में पहुंचे, लेकिन उनमें से किसी को भी मंत्री पद नहीं दिया गया। कांग्रेस पार्टी में भी लिंगायत समुदाय को कोई मान्यता नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की आलोचना करते हुए महास्वामी ने प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की ओर से लिंगायत समुदाय की जरूरतों पर उपेक्षा या अपर्याप्त ध्यान देने के संबंध में चिंताओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी हमारे समुदाय को कुचल रहे हैं। धारवाड़ लोकसभा क्षेत्र में उनका योगदान अभी भी संदिग्ध है।'
बता दें कि धारवाड़ में तीसरे चरण में 7 मई को लोकसभा का चुनाव होना है। भाजपा के लिए यह स्थिति असहज करने वाली है क्योंकि प्रल्हाद जोशी धारवाड़ से 4 बार के सांसद हैं। लिंगायत समुदाय के संतों ने 27 मार्च को एक सम्मेलन किया था, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि प्रल्हाद जोशी को इस बार टिकट न दिया जाए। इसके लिए 31 मार्च की डेडलाइन दी गई थी, लेकिन भाजपा ने जब इस पर फैसला नहीं लिया तो लिंगायत संत ने खुद चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।