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मलेरिया से बचाव के लिए 417 गांवों की 530 आशा कार्यकर्ता कर रहीं जागरूक, सीटी बजाकर पूछ रहीं-मच्छरदानी लगाई या नहीं

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बालाघाट
 आशा कार्यकर्ता गांव-गांव व्हिसल यानी ‘सीटी’ बजाकर ग्रामीणों से पूछ रही हैं कि अपने घर में मच्छरदानी लगाई या नहीं? जिन घरों में मच्छरदानी नहीं लगी है, उन्हें सामने रहकर आशा कार्यकर्ता मच्छरदानी लगवा रही हैं। मलेरिया से सुरक्षा के लिए मच्छरदानी के उपयोग को आदत में शामिल करने के मकसद से जिले में ‘आशा व्हिसल प्रोग्राम’ शुरू किया गया है।

यह नवाचार करने वाला बालाघाट मध्य प्रदेश का इकलौता जिला है। जिला मलेरिया विभाग ने हाल ही में जिले के 417 गांवों में दो लाख 24 हजार 300 मच्छरदानियों का वितरण किया है। आशा व्हिसल प्रोग्राम से कुल 530 आशा कार्यकर्ता जुड़ी हैं, जो नियमित रूप से सीटी बजाकर लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने और रोज इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को ‘आशा व्हिसल प्रोग्राम’ के तहत अच्छी गुणवत्ता की दो व्हिसल प्रदान की गई हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी ने मनीषा जुनेजा ने बताया कि जो आशा कार्यकर्ता अपने गांव में मच्छरदानी लगवाने का शत-प्रतिशत लक्ष्य पूरा करेंगी, उन्हें 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। जिले में एक जनवरी से 30 मार्च तक जिले में कुल 90 लोग मलेरिया से ग्रसित हुए, जो अब स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले साल इस समय तक 115 से अधिक लोग मलेरिया की चपेट में आए थे। मलेरिया के मरीज खोजने में बालाघाट शीर्ष पर है। यहां मलेरिया से मौत के मामले शून्य हैं। जिले में सात ब्लाक संवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं, जहां विभाग अतिरिक्त प्रयास कर रहा है।