तिरुवनन्तपुरम
केरल में कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का समर्थन लेने से इनकार कर दिया है। मालूम हो कि एसडीपीआई अब प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की राजनीतिक शाखा है जिसने संगठनात्मक समर्थन देने की घोषणा की थी। हालांकि, कांग्रेस ने संयुक्त लोकतंत्रिक मोर्चा (UDF) को समर्थन देने के लिए मतदाताओं का स्वागत किया है। केंद्र में मुख्य विपक्षी दल के इस फैसले को चुनाव से ठीक पहले उठाया गया बड़ा कदम समझा जा रहा है।
मीडिया को संबोधित करते हुए राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा, 'हम बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता का विरोध करते हैं। एसडीपीआई की ओर से यूडीएफ को दिए गए समर्थन को इन्हीं परिस्थितियों में देखा जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार मतदान कर सकता है। हम चाहते हैं कि हर कोई यूडीएफ के लिए वोट करे लेकिन संगठनों के मामले में यही हमारा रुख है।' उन्होंने इस बारे में अधिक विस्तार बात करने से इनकार कर दिया।
PFI की की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया था। उसने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने कहा था कि यूडीएफ का एसडीपीआई के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है। सतीसन ने तब कहा था कि कई पार्टियां यूडीएफ को समर्थन दे रही हैं, लेकिन उन्होंने एसडीपीआई के साथ कोई चर्चा नहीं की है और न ही कोई सहमति बनी है। मालूम हो कि केरल में लोकसभा चुनाव 26 अप्रैल को होंगे।
IUML के झंडों का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला
कांग्रेस ने वायनाड में राहुल गांधी की रैली में अपनी पार्टी और सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के झंडों का उपयोग नहीं करने का फैसला किया था। इस फैसले को लेकर भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कांग्रेस पर निशाना साधा। माकपा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि रैली में झंडों का इस्तेमाल नहीं किया गया, क्योंकि कांग्रेस भाजपा से डरती है। वहीं, बीजेपी ने दावा किया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि गांधी आईयूएमएल से शर्मिंदा थे। भाजपा ने उनसे कांग्रेस का समर्थन नहीं लेने को कहा। कांग्रेस ने आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि माकपा और भाजपा करीबी दोस्त बन गए हैं। उसने कहा कि उसे चुनाव प्रचार करने के लिए किसी से प्रशिक्षण लेने की जरूरत नहीं है।