भोपाल
मध्य प्रदेश में वर्तमान में 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। करीब डेढ़ दर्जन नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। इनमें से पांच मेडिकल कॉलेज अगले सत्र में शुरू हो सकते हैं। इधर, पुराने 14 मेडिकल कॉलेज, टीचिंग स्टाफ और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। इन कॉलेजों में करीब 30 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। 11 मेडिकल कॉलेजों में तो डीन तक नहीं है। सपोर्टिंग स्टाफ यानि नर्सिंग, फार्मासिस्ट और लैब टेक्नीशियन के भी आधे पद खाली हैं।
इस साल शुरू होंगे 5 नए कॉलेज
चिकित्सा शिक्षा विभाग के मुताबिक, विभाग अगले साल यानी सत्र 2024-25 से पांच नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाने हैं। इसके लिए एनएमसी से इन कॉलेजों का निरीक्षण कराने की तैयारी है, ताकि अगले सत्र की काउंसिलिंग में इन कॉलेजों को शामिल किया जा सके। नए कॉलेज मंदसौर, नीमच, सिवनी, सिंगरौली और श्योपुर में खुलना है। इसमें से श्योपुर के लिए मंजूरी मिल चुकी है।
पदों को भरने की जगह लगाते हैं जुगाड़
इधर, चिकित्सा शिक्षा विभाग, मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के खाली पद पर भर्ती करने की जगह जुगाड़ से काम चला रहा है। जानकारी के अनुसार, एनएमसी के निरीक्षण के दौरान मान्यता बचाने के लिए विभाग द्वारा पद भरने की बजाय एक कॉलेज से दूसरे कॉलेजों में विशेषज्ञों को भेज दिया जाता है। इससे मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का संकट और ज्यादा बढ़ जाता है।
ये होगा नुकसान
प्रदेश में नए-नए कॉलेज शुरू किए जा रहे हैं। पुराने कॉलेजों में ही पूरी फैकल्टी नहीं हैं। विभाग के अधिकारी एनएमसी की न्यूनतम अर्हताओं को पूरा करते हुए कामचलाऊ व्यवस्थाएं बनाते हैं। ऐसे में न तो मरीजों को समय से इलाज मिल पाएगा और न ही स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन।
-डॉ. राकेश मालवीय, संयोजक, प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन