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स्पेशल सेल ने साइबर ठगों के एक बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया

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नई दिल्ली

स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने साइबर ठगों के एक बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों की पहचान दिल्ली के गोविंदपुरी निवासी 33 वर्षीय निशांत कुमार, नजफगढ़ निवासी 33 वर्षीय देवेंद्र कुमार, शाहदरा निवासी 29 वर्षीय मनीष कुमार, गाजियाबाद निवासी 32 वर्षीय अंकित गौड़, गाजियाबाद के शास्त्री नगर निवासी 33 वर्षीय सुनील यादव, वसुंधरा निवासी 33 वर्षीय भूपेंद्र कुमार और दिल्ली के उत्तम नगर निवासी 33 वर्षीय अष्टभुजेश पांडे के रूप में हुई है। इन सभी पर आरोप है कि बीमा पॉलिसी के मैच्योर होने का झांसा देकर देश की अलग-अलग जगहों पर लोगों को कॉल कर ठगी करते थे। पुलिस का दावा है कि अभी तक 10 लोगों से लगभग 6 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं। आरोपियों के पास से 20 मोबाइल फोन, 4 लैपटॉप, 1 पेन ड्राइव, पीड़ितों के डेटा वाले दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं।

आईएफएसओ डीसीपी हेमंत कुमार तिवारी के मुताबिक, ग्रीन पार्क निवासी शख्स ने शिकायत दी कि उसे बीमा पॉलिसी के नाम पर खुद को सरकारी अधिकारी बताने वालों ने लगभग 3.5 करोड़ रुपये ठग लिए। यह ठगी अप्रैल 2018 से शुरू हुई। एनपीसीआई, आरबीआई, एसबीआई जैसी एजेंसियां से साइबर ठगों ने खुद को बताया था। उन लोगों ने यह भी दावा किया कि वे आईआरडीए (बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) से हैं। पीड़ित को यकीन दिलाने के लिए फर्जी पहचान पत्र और यहां तक कि आधार कार्ड भी दिखाया। भरोसा देते हुए बताया कि पीड़ित की तरफ से बीमा पॉलिसी में इन्वेस्ट की गई रकम अब काफी गुना बढ़ चुकी है, जिसे कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद निकाल सकता है।

 

लोगों को ऐसे अनजान कॉल या अनजान लोगों से सावधान रहना चाहिए, जो लुभावनी बातें कर बीमा पॉलिसियों की मैच्योरिटी निकलवाने में मदद का भरोसा देते हैं।

इस मामले में आईएफएसओ ने इसी साल 3 जनवरी को संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू की। बैंक डिटेल ट्रांजैक्शन, मोबाइल नंबरों की डिटेल खंगाली। जांच के दौरान निशांत कुमार का पता चला, जो दूसरे नाम राजेंद्र प्रसाद का उपयोग कर रहा था। डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी निशानदेही पर बाकी 6 और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड निशांत कुमार है। इसने निर्माण विहार में किराए पर फ्लैट लिया हुआ था। पीड़ितों का डेटा, मोबाइल फोन, सिम और बैंक खाते उपलब्ध कराता था। आरोपी देवेंद्र जाली दस्तावेज तैयार करता था।