भोपाल
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं (Electricity Comsumers) को झटका लगा है. दरअसल, नए वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से पूरे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बिजली के दाम में 1.65 फीसदी की वृद्धि कर दी गई है. इस बढ़ोतरी की मार घरेलू, कृषि और उद्योगोगिक उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगी. MPSEB नें ऊर्जा भार और नियत प्रभार में भी बढ़ोतरी की है.
चुनाव के बाद फिर लग सकता है झटका!
पावर मैनेजमेंट कंपनी ने अधिक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, लेकिन चुनाव को देखते हुए मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने 1.65% की बढ़ोतरी की ही अनुमति दी है. आयोग ने घरेलू टैरिफ एवं प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में 6 पैसे और 100 यूनिट पर नियत प्रभार में तीन रुपये की बढ़ोतरी की अनुमति दी है. वहीं, कृषि कनेक्शन पर प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में 10 पैसे और नियत प्रभार में दो रुपये प्रति हॉर्स पॉवर बढ़ाने की इजाजत दी है. इसके अलावा बड़े उद्योगों के लिए 11 किलोवाट पर प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 10 पैसे और प्रभार पर 12 रुपए प्रति किलोवाट इजाफा करने की इजाजत दी है. पावर मैनेजमेंट कंपनी ने अधिक बढ़ोतरी की मांग थी, लेकिन चुनावी मौसम होने के कारण अभी जोर का झटका नहीं दिया गया है. लिहाजा, चुनाव के बाद एक बार फिर झटका लगने की आशंका है.
बिजली बिल पर ऐसा होगा असर
घरेलू उपभोक्ताओं को अब तक 100 यूनिट प्रतिमाह तक ऊर्जा प्रभार 4 रुपये 21 पैसे प्रति यूनिट के अनुसार 468 रुपए चुकाने पड़ते थे . अब एक अप्रैल से 6 पैसे की वृद्धि के बाद उपभोक्ता को 4 रुपए 27 पैसे के अनुसार 475 रुपए का बिल भरना पड़ेगा. इसके अलावा, नियत प्रभार 100 यूनिट पर 121 रुपए लगता था. एक अप्रैल से 124 रुपए देने पड़ेंगे. यानी अब उपभोक्ताओं को 589 की जगह 599 रुपए भरने पड़ेंगे. यानी भी 10 रुपए की बढ़ोतरी सहनी पड़ेगी. वहीं, 34 पैसे प्रति यूनिट ईंधन प्रभार भी देना होगा, फिर बिजली खपत टैरिफ में 9 से 12% इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी का भार भी बिल में जुड़कर आएगा. यानी अब अगले महीने से इस नए टैरिफ के हिसाब से अप्रैल का बढ़ा हुआ बिजली बिल मई में लोगों के घरों में पहुंचेगा.
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अब स्मार्ट मीटर की ओर जा रही है. आने वाले वर्षों में प्रदेश के सभी घरों और औद्योगिक परिसरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. जानकारों का कहना है कि स्मार्ट मीटर से बिजली चोरी रुकेगी और जो लाइन लॉस होता है, उसमें भी कमी आएगी, लेकिन इससे बिजली का बिल और भी ज्यादा बढ़ाने की आशंका है, क्योंकि स्मार्ट मीटर बहुत सेंसिटिव होते हैं. हर छोटी से छोटी विद्युत खपत को मीटर रीडिंग में ले लेते हैं. इससे विद्युत वितरण कंपनियों के खजाने तो भरेंगे, लेकिन उपभोक्ता की जेब खाली होती चली जाएगी.