जबलपुर
एमपी में लोकसभा चुनाव के अजब-गजब नजारे सामने आ रहे हैं। जबलपुर में एक ऐसे नेताजी हैं, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय… कबीर के इस दोहे की तर्ज पर प्रेम तंत्र से लोकतंत्र की स्थापना के सपने को साकार करने में जुटे हैं। जबलपुर में कांग्रेस, भाजपा, बसपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आम आदमी पार्टी के सामने ढाई अक्षर पार्टी चुनाव मैदान में है। ढाई अक्षर पार्टी के प्रत्यासी राकेश सोनकर छठी बार ताल ठोक रहे हैं।
बता दें कि जबलपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों की संख्या 19 है। ढाई अक्षर पार्टी से नामांकन दाखिल करने वाले राकेश सोनकर का यह छठवां लोकसभा चुनाव है। वह पहले भी पांच बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वह पहले 6 विधानसभा और एक बार महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि ढाई अक्षर पार्टी के राकेश सोनकर पहले जितने भी चुनाव लड़े हैं, उन सभी में उनकी जमानत तक जब्त हो चुकी है।
ढाई अक्षर पार्टी के राकेश सोनकर कहते हैं कि मेरा मकसद प्रेम तंत्र से लोकतंत्र की स्थापना का है। वह देश में ना नोट, ना वोट का सिद्धांत लागू कराना चाहते हैं। भले ही चुनावों में राकेश सोनकर की जमानत जब्त होती रहे है, वे हर बार चुनावी मैदान में अपना नामांकन दाखिल करते हैं। वह ना तो जनता के बीच जाते हैं, ना ही उनसे वोट मांगते हैं।
ढाई अक्षर पार्टी के प्रत्याशी राकेश सोनकर का कहना है कि उनका मकसद सांसद या विधायक बनना नहीं है। वह व्यवस्था में बदलाव लाना हैं। वह चाहते हैं कि देश में 'न नोट- न वोट' का सिद्धांत लागू किया जाए। इस बार के लोकसभा चुनाव में ढाई अक्षर पार्टी के राकेश सोनकर को ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह मिला है। इसलिए वह ऑटो की सवारी कर रहे हैं और ऑटो चालकों के बीच रहकर उनसे समर्थन जुटाने की कवायद कर रहे हैं।
राकेश सोनकर के एजेंडे में ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं। हालांकि लोगों को राकेश सोनकर का चुनाव प्रचार नहीं करना हैरानी में डालता है। लोग कहते हैं कि जब वह प्रचार नहीं करेंगे तो चुनाव कैसे जीतेंगे। बता दें कि एमपी में पहले चरण की 6 लोकसभा सीटों पर तस्वीर साफ हो गई है। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। हालांकि कुछ सीटों पर बसपा भी जोर लगा रही है। जबलपुर में भी 19 अप्रैल को पहले चरण चरण के तहत मतदान होगा।