गुना
बीजेपी के टिकट घोषित करने के 26 दिन बाद कांग्रेस ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है. कांग्रेस ने मुंगावली के राजनीतिक राव परिवार के सदस्य यादवेंद्र सिंह यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ टिकट दिया है. यादवेंद्र के पिता भी लड़े थे लोकसभा चुनाव…
सिंधिया परिवार के खिलाफ राव परिवार की अदावत काफी पुरानी है. बीजेपी ने ठीक 22 साल पहले यादवेंद्र यादव के पिता देशराज सिंह यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतारा था. वर्ष 2002 के लोकसभा उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़े अंतराल से 5 लाख 35 हजार 728 वोट हासिल करते हुए 4 लाख 6 हजार 568 वोटों से शिकस्त दी थी. उस वक्त देशराज सिंह यादव को महज 1 लाख 29 हजार 160 वोट ही मिल पाए थे.
इससे पहले देशराज सिंह यादव वर्ष 1999 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता दिवंगत माधवराव सिंधिया के सामने लोकसभा चुनाव लड़े थे. उस वक्त माधवराव सिंधिया को 4 लाख 43 हजार 965 वोट मिले थे जबकि देशराज सिंह को 2 लाख 29 हजार 537 वोट मिले थे. देशराज सिंह 2 लाख 14 हजार 428 वोटों से पराजित हुए थे. पिता माधवराव ने 2 लाख और बेटे ज्योतिरादित्य ने 4 लाख से अधिक वोटों से चुनाव हराया था.
अब वही समीकरण एकबार दोबारा सामने आ गए हैं. राव परिवार के ज्येष्ठ पुत्र यादवेंद्र सिंह बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने मैदान में हैं. पिता की हार का बदला लेने के लिए यादवेंद्र सिंह यादव कमर कस चुके हैं.
यादवेंद्र सिंह ने क्यों छोड़ दी थी बीजेपी
2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यादवेंद्र सिंह ने बीजेपी को छोड़कर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. उस वक्त यादवेंद्र सिंह ने बयान दिया था कि "जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक भाजपा में आये हैं तभी से कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है, क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है"…यादवेंद्र सिंह ने बयान देते हुए कहा था कि अब ये अटल बिहारी वाजपेयी वाली पार्टी नहीं रही.
यादवेंद्र सिंह यादव को कांग्रेस ने मुंगावली विधानसभा से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक राव बृजेंद्र सिंह यादव के खिलाफ यादवेंद्र यादव ने ताल ठोकी थी. यादवेंद्र यादव महज 5422 मतों से चुनाव हार गए थे. सिंधिया समर्थक राव बृजेंद्र सिंह विधायक चुने गए.
राव परिवार का राजनीतिक इतिहास
वर्तमान में यादवेंद्र सिंह यादव जिला पंचायत सदस्य हैं . उनकी पत्नी जनपद पंचायत सदस्य हैं. मां बाईसाहब यादव जिला पंचायत सदस्य हैं. छोटा भाई अजय प्रताप सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष है. आरएसएस से नजदीकी के चलते यादवेंद्र सिंह के पिता दिवंगत देशराज सिंह यादव को बीजेपी ने 6 बार टिकट दिया था जिसमें से तीन बार विधायक निर्वाचित हुए. रामजन्मभूमि आंदोलन में भी देशराज सिंह यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.
संसदीय सीट पर यादव वोटबैंक
गुना लोकसभा सीट पर यादव वोटबैंक खासा प्रभाव रखता है. लोकसभा क्षेत्र में लगभग 3 लाख से ज्यादा यादव वोटर हैं जो कुल मतदाताओं के 18% से अधिक हैं. यादव वोटबैंक के सहारे कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति बना रही है. हालांकि, गुना लोकसभा क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों मुंगावली और कोलारस पर यादव समाज के बृजेंद्र सिंह यादव और महेंद्र यादव विधायक हैं. दोनों ही सिंधिया समर्थक माने जाते हैं. ऐसे में यादवेंद्र सिंह के लिए यादव वोटबैंक का एकजुट होना सवाल खड़े करता है.
एक ही परिवार के 6 सदस्य राजनीति में
राव यादवेंद्र सिंह परिवार के 6 सदस्य फिलहाल राजनीति में हैं। राव देशराज सिंह यादव अशोक नगर जिले के मुंगावली के रहने वाले हैं और अशोकनगर-गुना क्षेत्र में इस परिवार का काफी प्रभाव माना जाता है। कांग्रेस उम्मीदवार राव यादवेंद्र सिंह बीजेपी के पूर्व कद्दावर नेता रहे स्व देशराज सिंह के बेटे हैं। यादवेंद्र वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं, उनकी पत्नी और एक भाई भी जिला पंचायत सदस्य हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राव यादवेंद्र सिंह ने भाई अजय यादव मां बाई साहब यादव के साथ बीजेपी छोड़ दी थी और कांग्रेस में चले गए थे। लेकिन एक माह बाद ही उनकी माता बाई साहब यादव और भाई अजय यादव दोबारा से बीजेपी में आ गए थे, लेकिन राव यादवेंद्र सिंह कांग्रेस से जुड़े रहे। इस सीट पर 7 मई को मतदान होगा।
पिछड़ा वर्ग पर नजर
यादवेंद्र सिंह यादव पिछड़ा वर्ग से आते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि इससे बेहतर कांग्रेस के सामने कोई और नाम नहीं था, जो सिंधिया को टक्कर दे सके।
एक बार चुनाव हारे सिंधिया
लोगों की धड़कनें बढ़ाने वाली सीटों में गुना सीट भी है। क्योंकि इस सीट से एक बार फिर सिंधिया परिवार का ही सदस्य चुनाव मैदान में है। भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में है। ग्वालियर संभाग में आने के कारण यह सिंधिया राजघराने का वर्चस्व भी है। पिछला लोकसभा का चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया इसी सीट से हारे थे। तब वे कांग्रेस में थे और भाजपा के केपी यादव ने उन्हें हराया था। केपी यादव कांग्रेस में कभी सिंधिया के समर्थक थे, लेकिन वे भाजपा में आ गए थे। तब सिंधिया कांग्रेस से चुनाव लड़े थे और भाजपा से केपी यादव चुनाव लड़े थे। इस मुकाबले में केपी यादव जीत गए थे।