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Jupiter के चंद्रमा पर जीवन मौजूद है? NASA के जूनो अंतरिक्ष यान ने रहस्य से उठाया पर्दा

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वॉशिंगटन
 बृहस्पति ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमाओं में से एक यूरोपा को लेकर नासा ने बड़ा खुलासा किया है। अभ तक यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस उपग्रह पर पृथ्वी की तरह जीवन मौजूद हो सकता है। इसका प्रमुख कारण यूरोपा के सतह पर पानी और ऑक्सीजन की उपस्थिति को माना गया था। अब पता चला है कि यूरोपा जीवन को बनाए रखने के लिए अपर्याप्त ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। बृहस्पति की परिक्रमा करने वाले नासा के जूनो अंतरिक्ष यान के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि अगर इस चंद्रमा में कुछ छिपा है तो उसमें ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। साइंस जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित यह खोज सितंबर 2022 में बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए नासा के जूनो अंतरिक्ष यान से भेजे गए डेटा के विश्लेषण पर आधारित थी।
यूरोपा पर ऑक्सीजन की भारी कमी

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में जेमी सजाले और उनकी शोध टीम ने निष्कर्ष निकाला कि चंद्रमा की सतह प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन छोड़ती है, लेकिन यह प्रति सेकंड केवल 18 किलोग्राम ऑक्सीजन पैदा करती है। यह पिछले कंप्यूटर मॉडल द्वारा अनुमानित लगभग 1,000 किलोग्राम प्रति सेकंड से काफी कम है। फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोल विज्ञानी मनस्वी लिंगम ने कहा कि इस कमी के बावजूद, हाल के ऑक्सीजन अनुमान "अभी भी जीवन के लिए सूक्ष्मजीवियों की आदत के अनुकूल हैं, जैसा कि हम जानते हैं।"

यूरोपा के नीचे पानी की मौजूदगी

यूरोपा की सतह के नीचे पानी का बड़ा स्रोत दबा हुआ है। यह पानी सतह पर किसी उपयोग में नहीं आता है। दूसरी बात सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति के कारण सतह पर कोई पौधा प्रकाश संश्लेषण भी नहीं कर सकता है। लेकिन सैकड़ों लाखों वर्षों में महासागरों की बर्फ से ढकी छतों पर जमा पोषक तत्वों को कई भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा नीचे अधिक गहराई तक पहुंचाया जा सकता है।

यूरोपा पर हाइड्रोजन की भरमार

यूरोपा के वायुमंडल में हाइड्रोजन की मोटी परत के नीचे चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की एक नाजुक परत है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन लगातार चंद्रमा की पतली हवा की भरपाई करते हैं क्योंकि वे इसके विकिरण से भरे बर्फीले आवरण से बाहर निकलते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये तत्व "इधर-उधर उछल रहे हैं… कभी-कभार, उनमें से एक बाहर निकल जाता है।"

जूनो अंतरिक्ष यान ने यूरोपा का डेटा जुटाया

जूनो के यूरोपा के कुछ मिनटों के फ्लाईपास्ट के दौरान, उसके JADE (जोवियन ऑरोरल डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपेरिमेंट) उपकरण ने चंद्रमा के वातावरण में मुक्त हाइड्रोजन परमाणुओं का पता लगाया। इसने अपने छोटे से मार्ग के दौरान 100 मिलियन परमाणुओं की गणना की। प्रिंसटन की टीम ने रिवर्स-इंजीनियरिंग की कि चंद्रमा की सतह पर कितने ऑक्सीजन का नुकसान होता है और फिर इससे पैदा होने वाली ऑक्सीजन की मात्रा निर्धारित की गई। शोध के सह-लेखक और टेक्सास में साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के जेडीई उपकरण प्रमुख फ्रेडरिक एलेग्रिनी के अनुसार, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे यूरोपा से आते हैं, लेकिन उनकी मात्रा बहुत कम है।"