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सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों में से पांच का बाजार पूंजीकरण 1.98 लाख करोड़ रुपये घटा

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सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों में से पांच का बाजार पूंजीकरण 1.98 लाख करोड़ रुपये घटा

फिमी का सरकार से निचले ग्रेड के लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क नहीं लगाने का आग्रह

बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नई दिल्ली
 सेंसेक्स की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से पांच के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह सामूहिक रूप से 1,97,958.56 करोड़ रुपये की गिरावट आई।

उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में सबसे अधिक नुकसान में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इन्फोसिस रहीं। बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 188.51 अंक या 0.25 प्रतिशत के लाभ में रहा।

सप्ताह के दौरान टीसीएस का बाजार मूल्यांकन 1,10,134.58 करोड़ रुपये घटकर 14,15,793.83 करोड़ रुपये पर आ गया। सबसे अधिक नुकसान टीसीएस को ही हुआ।

इन्फोसिस की बाजार हैसियत 52,291.05 करोड़ रुपये घटकर 6,26,280.51 करोड़ रुपये रह गई। प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज एक्सेंचर द्वारा 2023-24 के लिए अपने राजस्व के अनुमान को घटाने के बाद शुक्रवार को आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई थी।

हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार मूल्यांकन 16,834.82 करोड़ रुपये घटकर 5,30,126.53 करोड़ रुपये पर और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का मूल्यांकन 11,701.24 करोड़ रुपये घटकर 5,73,266.17 करोड़ रुपये पर आ गया।

एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 6,996.87 करोड़ रुपये घटकर 10,96,154.91 करोड़ रुपये रह गया।

इस रुख के उलट रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मूल्यांकन 49,152.89 करोड़ रुपये बढ़कर 19,68,748.04 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सप्ताह के दौरान 12,851.44 करोड़ रुपये जोड़े और इसका बाजार पूंजीकरण 6,66,133.03 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

आईटीसी की बाजार हैसियत 11,108.51 करोड़ रुपये बढ़कर 5,34,768.59 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। भारती एयरटेल का मूल्यांकन 9,430.48 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 6,98,855.66 करोड़ रुपये रहा।

आईसीआईसीआई बैंक का बाजार पूंजीकरण 8,191.79 करोड़ रुपये बढ़कर 7,65,409.98 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, भारतीय स्टेट बैंक, इन्फोसिस, एलआईसी, आईटीसी और हिंदुस्तान यूनिलीवर का स्थान रहा।

फिमी का सरकार से निचले ग्रेड के लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क नहीं लगाने का आग्रह

नई दिल्ली,
 खनन कंपनियों संगठन भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (फिमी) ने सरकार से निचले ग्रेड के लौह अयस्क पर कोई निर्यात शुल्क नहीं लगाने का आग्रह किया है। फिमी का कहना है कि इस तरह के किसी कदम से सरकार को राजस्व के अलावा रोजगार का नुकसान होगा और साथ ही विदेशी मुद्रा आय भी प्रभावित होगी।

सरकार को दिए ज्ञापन में फिमी ने कहा कि मई, 2022 में जब निचले ग्रेड के लौह अयस्क फाइंस और पेलेट्स पर निर्यात शुल्क लगाया गया था, तो खनन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। हालांकि, सरकार ने पिछले साल नवंबर में इस कर को वापस ले लिया था।

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनन क्षेत्र के योगदान का एक बड़ा हिस्सा गैर-कोयला खनिजों में लौह अयस्क का है। इसमें कहा गया है कि लौह अयस्क खनन भी लगभग पांच लाख लोगों (45,000 प्रत्यक्ष और 4,50,000 अप्रत्यक्ष) को रोजगार देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

देश के कुल लौह अयस्क निर्यात का 90 प्रतिशत से अधिक चीन को जाता है। फिमी ने कहा, ''हम अनुरोध करते हैं कि लौह अयस्क और पेलेट्स के निर्यात पर किसी तरह के प्रतिबंध के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाए और इन उत्पादों पर शून्य निर्यात शुल्क की यथास्थिति बनाए रखी जाए।''

नई खदानें खुलने और मौजूदा खानों के विस्तार से वित्त वर्ष 2024-25 में लौह अयस्क उत्पादन क्षमता बढ़कर 33 करोड़ टन होने की संभावना है। लेकिन अगर लौह अयस्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाता है या इसके निर्यात पर शुल्क लगाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में उत्पादन घटकर 22.5 करोड़ टन रह जाएगा। लौह अयस्क खनन में 25-30 प्रतिशत हिस्सा लंप्स का और शेष फाइंस होता है।

बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नई दिल्ली
 देश की प्रमुख मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों पर दबाव रहा और इनकी कीमतें हानि दर्शाती बंद हुईं।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान मंडियों में लगभग 13 लाख से 16 लाख बोरी तक सरसों की आवक हुई। हालांकि यह आवक ज्यादातर छोटी जोत वाले किसानों की थी जिन्हें पैसों की आवश्यकता थी। बड़े किसान अब भी सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद होने का इंतजार करते दिखे।

उन्होंने कहा कि इस बीच यह अफवाह भी उड़ी कि अगले महीने सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम जैसे 'सॉफ्ट आयल' का आयात बढ़ने वाला है। उन्होंने कहा कि संभवत: यह अफवाह सरसों किसानों का मनोबल तोड़कर उन्हें अपनी उपज कम दाम पर बेचने के लिए प्रेरित करने के मकसद से उड़ाई गई हो सकती है। सरसों की बढ़ती आवक के बीच बाकी तेल-तिलहनों पर भी दबाव कायम हो गया और लगभग सभी तेल-तिलहनों में गिरावट देखने को मिली।

सूत्रों ने कहा कि जो हालत इस बार सोयाबीन की हुई है उसे देखते हुए चिंता की जानी चाहिये। आयातित सोयाबीन डीगम थोक में पाम पामोलीन से 5-6 रुपये किलो सस्ता बैठने के बावजूद खुदरा में पाम पामोलीन से 20-30 रुपये लीटर महंगा (प्रीमियम दाम पर) बिक रहा है। वहीं सस्ते आयातित तेल के कमजोर थोक दाम के बीच अधिक लागत वाला देशी सोयाबीन की पेराई में मिल वालों को देशी सोयाबीन तेल बेपड़ता बैठता है और संभवत: इसी वजह से सोयाबीन तिलहन की खरीद एमएसपी से काफी कम दाम पर हो रही है। जबकि पिछले कुछ साल में सोयाबीन फसल के लिए किसानों को एमएसपी से काफी ऊंचे दाम मिलते रहे हैं।