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दौसा : कट्टा अस्पताल को इलाज में जानलेवा लापरवाही पड़ गई भारी, ब्याज सहित चुकाने होंगे 11 लाख 10 हजार रुपये

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दौसा/जयपुर.

दौसा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इलाज के दौरान जानलेवा लापरवाही बरतने के सात साल पुराने एक मामले में फैसला सुनाया है। फैसले में बांदीकुई में स्थित कट्टा हॉस्पिटल के संचालक को 11 लाख 10 हजार रुपये पीड़िता को देने को कहा गया है। पीड़ित महिला को ये राशि ब्याज सहित राशि एक माह के अंदर देने को कहा गया है। दौसा जिले के बांदीकुई की विमला देवी पत्नी सतीश कुमार बैरवा निवासी ने 9 फरवरी 2017 को नसबंदी के ऑपरेशन के लिए जिले के बांदीकुई में कट्टा हॉस्पिटल में भर्ती हुई थी।

विमला के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही से गलत नस कट गई थी। जिस कारण महिला को ब्लीडिंग शुरू हो गई। ऐसे में डॉक्टर सुनील कट्टा और डॉक्टर शिप्रा कट्टा (सोनोलोजिस्ट) ने ऑपरेशन थियेटर से बाहर आए और महिला के पति को हालत गंभीर होने की बात कही। उन्होंने तुरंत जयपुर ले जाने को कहा। इसके बाद महिला का पति उसे एसएमएस अस्पताल जयपुर लेकर गया। उधर, एसएमएस अस्पताल जयपुर पहुंचने पर महिला की हालत गंभीर होती चली गई। अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने महिला को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट किया। वहां देखा कि महिला के पेट पर पट्टी बंधी है, जिसको खोला तो पता चला कि महिला का पेट खुला हुआ है। बांदीकुई के कट्टा हॉस्पिटल के डॉक्टरो ने कटे हुए पेट पर पट्टी बांधकर रेफर कर दिया था। एसएमएस अस्पताल जयपुर के डॉक्टर ने महिला के पति को बताया कि नसबंदी के ऑपरेशन में पेट में चीरा लगाया ही नहीं जाता। हुआ ये था कि ऑपरेशन के दौरान कट्टा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने महिला की गलत नस काट दी है। जिसके कारण महिला की स्थिति गंभीर हो गई थी। इधर, पीड़िता विमला देवी ने ठीक होने के बाद उपभोक्ता कोर्ट में कट्टा हॉस्पिटल, हॉस्पिटल के डॉक्टर सुनील कट्टा, डॉक्टर शिप्रा कट्टा के खिलाफ 28 अगस्त 2017 को परिवाद पेश किया। कट्टा हॉस्पिटल संचालक को साक्ष्यों के आधार पर दोषी मानते हुए उपभोक्ता कोर्ट के अध्यक्ष रामसिंह मीना, सदस्य दुष्यंत शर्मा और माया खंडेलवाल ने पीड़ित महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।

कोर्ट ने हॉस्पिटल संचालक सुनील कुमार कट्टा को कहा कि पीड़िता महिला के इलाज में हुए खर्च हुई राशि 8 लाख रुपये 9 प्रतिशत मय ब्याज के एक माह में देने का फैसला सुनाया है। साथ ही शारीरिक और मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 3.10 लाख रुपये अलग से देने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में पीड़िता महिला को कुल 11.10 हजार मूल राशि और 8 लाख रुपये का 9 प्रतिशत ब्याज कट्टा हॉस्पिटल एक माह के अंदर पीड़ित को देगा।