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सिसोदिया, संजय सिंह और अब केजरीवाल… ‘शराब घोटाले’ ने AAP नेताओं की होली होगी अब फीकी

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नईदिल्ली

पहले मनीष सिसोदिया, फिर संजय सिंह और अब अरविंद केजरीवाल. एक के बाद एक आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता कथित शराब नीति घोटाले की भेंट चढ़ते जा रहे हैं. पहले सिसोदिया की होली-दिवाली जेल में मनी, फिर संजय सिंह की दिवाली भी जेल में मनी तो अब अरविंद केजरीवाल की होली केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी की कस्टडी में मनेगी. दिल्ली का राजस्व बढ़ाने का दावा करते हुए लाई गई 'एक शराब की बोतल के साथ एक बोतल फ्री' वाली स्कीम ने एकाएक आम आदमी पार्टी के त्योहारों को फीका कर दिया है. दिवाली से पहले संजय सिंह गिरफ्तार हुए थे, तो अब होली से पहले केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. आम आदमी पार्टी ने भी घोषणा कर दी है कि इस बार उसके नेता और कार्यकर्ता होली नहीं मनाएंगे.

दरअसल, अब 28 मार्च तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नया पता ईडी दफ्तर बन चुका है. शुक्रवार को कोर्ट ने केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी की रिमांड में भेज दिया है. और इस बार उनकी होली ED की कस्टडी में रहते हुए ही गुजरेगी. ईडी ने अरविंद केजरीवाल को ही दिल्ली शराब घोटाले का किंगपिन बताते हुए 28 पेजों की रिमांड कॉपी कोर्ट में पेश की और 10 दिनों की रिमांड की मांग की. हालांकि कोर्ट ने देर शाम फैसला सुनाते हुए 6 दिन की रिमांड मंजूर की. आजाद भारत के इतिहास में ये पहली बार है, जब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किसी नेता की गिरफ्तारी हुई है और अदालत ने उसकी रिमांड को भी मंजूर कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने केजरीवाल को थोड़ी राहत देते हुए ईडी हिरासत के दौरान हर रोज आधे घंटे अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल और निजी सचिव विभव कुमार से मिलने की इजाजत दी है.  साथ ही खराब सेहत के मद्देनजर डॉक्टर द्वारा बताई डाइट देने के आदेश दिए गए हैं.

…जब जेल में मने सिसोदिया के त्योहार 

दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले के आरोप में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार हुए थे. इसके बाद उन्होंने निचली अदालत से लेकर उच्च अदालत तक का रुख किया, लेकिन जमानत मंजूर नहीं हुई. इसके चलते सिसोदिया की होली जेल में ही मनी. उधर, समय बीतता गया और जमानत याचिका खारिज होती गईं. फिर आया नवंबर का महीना. सिसोदिया को उम्मीद थी कि होली ना सही, दिवाली परिवार संग मना पाएंगे और कोर्ट से जमानत मंजूर हो जाएगी. सिसोदिया को 10 नवंबर को जमानत तो मिली लेकिन सिर्फ 6 घंटे के लिए, वो भी दिवाली मनाने के लिए नहीं, बल्कि बीमार पत्नी से मिलने के लिए. कोर्ट ने सिसोदिया को 11 नवंबर को छोटी दिवाली पर सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक के लिए बीमार पत्नी से मिलने को जमानत दे दी, वो भी कई शर्तों के साथ. इसके बाद उन्हें सरेंडर करना पड़ा और उनकी दिवाली जेल में ही मनी. अब उनकी दूसरी होली भी जेल में ही मनने वाली है.

 

दिवाली से पहले संजय सिंह हो गए थे गिरफ्तार

इसी तरह से संजय सिंह भी दिवाली से कुछ दिनों पहले 4 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिए गए थे. इस बात को भी 5 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है. दिल्ली हाई कोर्ट भी संजय सिंह की जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. पिछले साल 10 नवंबर को संजय सिंह को अदालत में पेश किया गया था. आशंका जताई जा रही थी कि दिवाली मनाने के लिए उन्हें जमानत मिल जाएगी. लेकिन जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो संजय सिंह को निराशा हाथ लगी. कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी और उनकी दिवाली जेल में ही मनी. हाल ही में संजय सिंह को राज्यसभा चुनाव लड़ने और फिर शपथ लेने के लिए कुछ घंटों की जमानत तो मिली, लेकिन कोई बड़ी राहत कोर्ट से ना मिल सकी. आलम ये है कि अब संजय सिंह की होली भी जेल में ही मनेगी.

 

कैसे और क्यों लाई गई नई शराब नीति?

गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार नवंबर 2021 में दिल्ली में नई शराब नीति लाई थी. नई शराब नीति के तहत दिल्ली में शराब के कारोबार को 100 फीसदी निजी हाथों में सौंप दिया गया. नई शराब नीति को लेकर दावा किया गया था कि इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा और पुरानी नीति की खामी दूर हो जाएगी. यहीं से कहानी में ट्विस्ट आया. नई शराब नीति को लेकर गंभीर आरोप लगे. आरोप ये कि एक्साइज पॉलिसी में कुछ खास कारोबारियों को फायदा पहुंचाने वाले प्रावधान डाले गए और बदले में शराब नीति से लाभ उठाने वाले कारोबारियों ने केजरीवाल सरकार को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली.  सवाल उठने के बाद केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति को वापस ले लिया और अपनी नीति में किसी तरह के घोटाले के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. 

 

मामले में 16 आरोपी गिरफ्तार, पांच किरदार अहम

जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में गड़बड़ी से जुड़ी एक रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंपी. रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति को अमल में लाने के दौरान नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को CBI जांच की सिफारिश कर दी. CBI ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सिसोदिया सहित 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इस एफआईआर के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया. जांच शुरु हुई और अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी ने देशभर में 250 जगहों पर छापेमारी की. घोटाले के आरोपों में कुल 16 गिरफ्तारियां की गईं. इसमें पांच नाम सबसे चर्चित हैं. 

किरदार नंबर-1: अरविंद केजरीवाल
किरदार नंबर- 2: मनीष सिसोदिया 
किरदार नंबर-3: संजय सिंह 
किरदार नंबर-4: विजय नायर 
किरदार नंबर-5: पूर्व सीएम केसीआर की बेटी के कविता 

इन्हीं 5 किरादारों के इर्द-गिर्द शराब घोटाले के आरोपों की पूरी फाइल घूम रही है, लेकिन सभी ने ईडी और सीबीआई की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए खुद को बेकसूर बताया और राजनीति से प्रेरित बताया. आरोप के मुताबिक घोटाले में हर किरदार का अपना रोल था. 

 

केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास कितने सबूत?

ईडी के एक्शन को लेकर अब लोगों के मन में कई सवाल हैं. सवाल ये हैं कि आखिर ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कितने और क्या सबूत हैं, जो जांच एजेंसी दिल्ली के मुख्यमंत्री को ही गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर चर्चाएं तो लंबे वक्त थीं, लेकिन लोगों ने सोचा नहीं था कि इतनी आसानी से मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दरअसल, ईडी का आरोप है कि इस पूरे घोटाले में सबसे बड़ी भूमिका केजरीवाल ने निभाई है. केजरीवाल ने ही शराब कारोबारियों से डील करके आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार करवाया. 

जांच एजेंसी की मानें तो आरोप है कि केजरीवाल ने इस कथित शराब नीति घोटाले को तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी के कविता के मदद से अंजाम दिया है और बदले में केजरीवाल को 100 करोड़ की रिश्वत मिली. ईडी ने कोर्ट में रिमांड मांगने के लिए केजरीवाल के खिलाफ कई सबूतों को आधार बनाया. ईडी ने कोर्ट में बताया कि उसके पास के.कविता के अकाउंटेंट बुचीबाबू का बयान है. रिश्वत देने वाले सांसद श्रीनिवासुलु रेड्डी का बयान है. घोटाले में आरोपी एक बड़े शराब कारोबारी से डील को लेकर केजरीवाल की वीडियो कॉलिंग के जरिए हुई बातचीत का सबूत है. हालांकि केजरीवाल अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताते आए हैं.