नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 'पुष्पक' नामक अपने पहले Reusable Launch Vehicle (RLV) यानी पुन: इस्तेमाल होने वाले पहले लॉन्च वाहन (रॉकेट) के लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह परीक्षण शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग के पास चल्लकेरे में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में सुबह सात बजकर 10 मिनट पर किया गया। यह इस शृंखला का दूसरा परीक्षण है। प्रक्षेपण स्थल पर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इस परीक्षण के बाद ISRO ने एक्स पर लिखा, "इसरो ने एक बार फिर कमाल किया! पुष्पक (RLV-TD), पंखों वाला वाहन, ऑफ-नोमिनल स्थिति से मुक्त होने के बाद रनवे पर सटीकता के साथ स्वतंत्र रूप से उतरा।" इसके साथ ही इसरो ने कहा कि उसने ‘आरएलवी एलईएक्स-02’ लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से पुन: इस्तेमाल होने वाले प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में बताया कि पिछले साल किए गए आरएलवी-एलईएक्स-01 मिशन के बाद आरएलवी-एलईएक्स-02 ने हेलीकॉप्टर से छोड़े जाने के बाद पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (आरएलवी) की स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का प्रदर्शन किया। बयान में कहा गया है, ‘‘आरएलवी को फैलाव के साथ अधिक कठिन करतब करने, ‘क्रॉस-रेंज’ एवं ‘डाउनरेंज’ दोनों को सही करने और पूरी तरह से स्वायत्त मोड में रनवे पर उतरने के लिए बनाया गया है।’’
इसरो ने बताया कि भारतीय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर पंखों वाले पुष्पक नामक इस यान को ऊपर लेकर गया और इसे 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। उसने बताया कि रनवे से चार किलोमीटर की दूरी पर छोड़े जाने के बाद ‘पुष्पक’ स्वायत्त तरीके से ‘क्रॉस-रेंज’ सुधार करते हुए रनवे पर पहुंचा। यह सटीक तरीके अपने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग प्रणाली का सफलता पूर्वक इस्तेमाल करते हुए रनवे पर उतरा।
पुष्पक विमान की खूबियां
पुष्पक पुन: इस्तेमाल होने वाला एक लॉन्चिंग विमान है। यह पंखों वाला हवाई जहाज जैसा दिखने वाला विमान है। इसकी लंबाई 6.5 मीटर है और वजन 1.75 टन है। यह विमान रोबोटिक लैंडिंग क्षमता से लैस है। ऑनबोर्ड नेविगेशन सिस्टम रनवे के आसपास की बाधाओं को पार करने के लिए 350 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति से यह लैंडिंग करने में सक्षम है। ये अंतरिक्ष तक पहुंच को किफायती बनाने में कारगर साबित हो सकता है। इसका ऊपरी हिस्सा सबसे महंगे उपकरणों से लैस है। इसे धरती पर वापस लाकर रियूजेबल बनाया जा सकता है।
रियूजेबल होने की वजह से यह अंतरिक्ष में मलबे को कम करेगा। यह बाद में अंतरिक्ष में किसी सैटेलाइट में इंधन भरने या किसी सैटेलाइट को ठीक करने के लिए वापस लाने में भी मदद करेगा। पुष्पक विमान में अत्याधुनिक तकनीक में नेविगेशन हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, केए-बैंड रडार अल्टीमीटर, भारतीय तारामंडल (NavIC) रिसीवर के साथ नेविगेशन, सेंसर, स्वदेशी लैंडिंग गियर और एयरोफॉइल हनीकॉम्ब पंख आदि का इस्तेमाल किया गया है।
इसरो ने क्या कहा
इसरो ने बताया कि आरएलवी-एलईएक्स-01 में इस्तेमाल की गई सभी उड़ान प्रणालियों को उचित प्रमाणीकरण/मंजूरी के बाद आरएलवी-एलईएक्स-02 मिशन में पुन: उपयोग किया गया था जिससे इस मिशन में उड़ान हार्डवेयर और उड़ान प्रणालियों की पुन: उपयोग क्षमता का भी प्रदर्शन किया गया। आरएलवी-एलईएक्स-01 के अवलोकन के आधार पर, एयरफ्रेम संरचना और लैंडिंग गियर को उतरते समय उच्च भार वहन करने के लिए मजबूत किया गया था। इस मिशन को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) और इसरो जड़त्वीय प्रणाली इकाई (आईआईएसयू) के साथ मिलकर पूरा किया।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस जटिल मिशन के त्रुटिरहित क्रियान्वयन के लिए टीम को बधाई दी है। वीएसएससी के निदेशक डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर ने इस सफलता पर कहा कि इस क्षेत्र में सफलता के जरिए इसरो पूरी तरह से स्वायत्त मोड में टर्मिनल चरण के करतब, लैंडिंग और ऊर्जा प्रबंधन में महारत हासिल कर सकता है, जो भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।