नई दिल्ली
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 21 मार्च को घोषणा की कि उसने यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक आईडी सहित इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के बारे में सभी विवरण भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के साथ साझा कर दिए हैं. यह कार्रवाई इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई को दिए गए एक आदेश के जवाब में थी, जिसमें बैंक को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारियां बिना शर्त इलेक्शन कमीशन के साथ शेयर करने के लिए कहा गया था.
प्रत्येक चुनावी बॉन्ड में एक विशेष नंबर होता है. यह यूनिक नंबर ही चुनावी बॉन्ड के खरीदार और उसे भुनाने वाली पार्टी के बीच लिंक जोड़ता है. इस साल 14 मार्च को दो सूचियों में खरीदारों और पार्टियों के नाम सार्वजनिक रूप से साझा किए गए थे. यह तीसरी बार है जब एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड का डेटा सार्वजनिक किया है, और आखिरकार बॉन्ड नंबर भी जारी किए हैं, जिससे दान देने वालों और इसे प्राप्त करने वाली पार्टियों का मिलान करना आसान हो गया है.
चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें पता चला है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष 10 दानदाताओं ने कुल 2,123 करोड़ रुपये का दान दिया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष 10 दानदाताओं ने 1,198 करोड़ रुपये और कांग्रेस के शीर्ष 10 दानदाताओं ने 615 करोड़ रुपये का दान दिया.
भाजपा के लिए शीर्ष दानदाताओं में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड शामिल हैं, जिसने 584 करोड़ रुपये का दान दिया. क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने 375 करोड़ रुपये का दान दिया. इसके बाद वेदांता लिमिटेड ने 230 करोड़ रुपये, भारती एयरटेल ने 197 करोड़ रुपये और मदनलाल लिमिटेड ने 176 करोड़ रुपये का दान दिया.
तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा 692 करोड़ रुपये का डोनेशन फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने दिया. इसके बाद हल्दिया एनर्जी लिमिटेड 362 करोड़ रुपये, धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर 90 करोड़ रुपये, एमकेजे एंटरप्राइजेज और एवेज ट्रेडिंग ने 46-46 करोड़ रुपये का दान दिया.
कांग्रेस को एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा 138 करोड़ रुपये और वेदांता लिमिटेड ने 125 करोड़ रुपये का दान दिया. इसके बाद वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 110 करोड़ रुपये, यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 64 करोड़ रुपये और एवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने 53 करोड़ रुपये का दान दिया. इस बीच, एसबीआई ने कहा कि इस नए डेटा के जारी होने के बाद उसके पास इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम से जुड़ी कोई दूसरी जानकारी नहीं बची है.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने एक आदेश में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था. शीर्ष अदालत ने एसबीआई से इस योजना से जुड़ी हर जानकारी भारत के चुनाव आयोग के साथ शेयर करने का निर्देश दिया था. यह जानकारी इस बारे में थी कि बांड कब और किसने खरीदे, उनकी कीमत कितनी थी और उन्हें राजनीतिक दलों ने कब भुनाया. लेकिन बैंक ने शुरुआत में दो बार जारी आंकड़ों में खरीदे गए और भुनाए गए बॉन्डों की यूनिक आईडी का खुलासा नहीं किया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के निर्देश पर एसबीआई ने आज यूनिक बॉन्ड आईडी भी जारी कर दी.