जबलपुर
जिले में धान पंजीयन, खरीदी और सिकमी में हुई गड़बड़ी से जिला प्रशासन ने सबक लिया है, जिसके बाद 29 मार्च से शुरू हो रही गेहूं खरीदी के नियम और व्यवस्था में कई बदलाव किए गए हैं। इनमें सबसे बड़ा बदलाव उपार्जन केंन्द्र प्रभारियों को किसानों द्वारा लाए जाने वाले गेहूं की गुणवत्ता परखने के बाद नान एफएक्यू यानि खराब गुणवत्ता का गेहूं नहीं खरीदने कहा गया है, लेकिन इन किसानों को केंद्र से लौटाना नहीं है, बल्कि उनके गेहूं को साफ करके खरीदना है। इस सफाई में लगने वाले श्रम और मजदूर का परिश्रम किसानों को देना होगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने उपार्जन केंद्रों को प्रति बोरे 5 से लेकर 20 रुपये तक लेने कहा है। साथ ही किसानों से वसूली जाने वाली इस शुल्क की पावती भी उन्हें देना अनिवार्य होगा।
केंद्र में ही गेहूं से कचरा साफ करने की सुविधा दी जाएगी
दरअसल इस बार किसानों को उपार्जन केंद्र में ही गेहूं से कचरा साफ करने की सुविधा दी जाएगी। उपार्जन केंद्रों में सरकारी तौर पर संसाधन जुटाए जा रहे हैं ताकि आवश्यक होने पर उपार्जन से पूर्व केंद्र में ही गेहूं से कचरा अलग किया जा सके। इधर किसानों को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे कचरायुक्त गेहूं उपार्जन केंद्र में न लाएं। यदि गेहूं की खेप पहुंच जाती है तो उससे कचरा हटाने की व्यवस्था केंद्र में मौजूद रहेगी।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने गेहूं की सफाई का दाम तय करने की जिम्मेदारी उपार्जन केंद्र को ही दी है और कहा है कि 20 रुपये प्रति बोरे से अधिक शुल्क नहीं होना चाहिए। अभी तक किसानों का गेहूं साफ करने के लिए उपार्जन केंद्र में खुद ही मजदूर तलाशने पड़ते थे। इस वजह से कई किसानों की फसल हफ्तों डली रहती थी। इस बार बदलने नियमों को किसानों को भी गेहूं की सफाई, तुलाई और भंडारण के दौरान मौजूद रहने कहा है। कलेक्टर के मुताबिक जिन किसानों की धान उपार्जन केंद्र में आती है, वे तब तक वहां से न जाए, जब तक की उनका गेहूं तुलने से लेकर पैक लगकर टैक नहीं लग जाता है। धान खरीदी के दौरान यह पाया गया कि अधिकांश किसानों ने पहले धान केंद्र में लाकर रख दी, लेकिन खरीदी और तुलाई आखिरी में हुई। धान कम होने पर अंत में पंजीयन कराने वालों को दोषी पाया गया, जबकि वे नहीं थे।
उपार्जन केंद्र में कम गेंहू आने से बढ़ेगी परेशानी
इस बार खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने चार लाख 50 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य बनाया है, लेकिन जानकारों के मुताबिक इस बार जिला प्रशासन यह आंकड़ा नहीं छू पाएगा। इसकी वजह प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य कम होना है। वर्तमान में सरकार 2275 रुपय प्रति बोरा समर्थन मूल्य दे रही है। इस पर 125 रुपये का बोनस इसके बाद दिया जाएगा, लेकिन किसान 2700 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का दाम देने की मांग कर रहे हैं। इस वजह से अधिकांश किसान,अपना गेहूं उपार्जन केंद्र में बेचने की बजाए, मंडी में बेचने का मन बना चुके हैं। इस वजह से सरकार के गोदाम में गेहूं कम आएगा, जिसका असर सरकार द्वारा गरीबों को दिए जा रहा मुफ्त गेहूं देने वाली योजना पर पड़ेगा। गेहूं की खरीदी कम होने की वजह से इस बार राशन में भी लोगों को गेहूं से ज्यादा चावल दिया जाएगा।