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पश्चिम बंगाल में 42 सीटों पर होगा बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला

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कोलकाता
सोशल मीडिया में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। कुछ दिन पहले प्रशांत किशोर ने बयान दिया था कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी राज्य की सत्ता में बैठी टीएमसी से बेहतर परफॉर्म करेगी। बीजेपी पश्चिम बंगाल में सबसे बड़े दल के तौर पर उभरेगी, चौंकाने वाले रिजल्ट के लिए तैयार रहिए। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी के रणनीतिकार रहे। तब उन्होंने ऐलान किया था कि बीजेपी बंगाल में 100 विधानसभा सीट नहीं जीत पाएगी और उनकी भविष्यवाणी सही निकली।

दावों के बावजूद बीजेपी 77 सीट ही जीत सकी और टीएमसी ने 212 सीटों जीतकर पश्चिम बंगाल की सत्ता पर दोबारा कब्जा कर लिया। लोकसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी चुनावी पंडितों को भी चकरा रही है। गरीबों को मुफ्त राशन, चुनाव से पहले सीएए लागू होना और बंगाल में इंडिया गठबंधन में दरार के कारण बंगाल में चुनावी उलट-पुलट भी संभव है। हालांकि टीएमसी का दावा है कि इस बार बीजेपी 2019 से कम सीटें जीतेंगी।

सीएए लागू कर बीजेपी ने कर दिया गेम, मतुआ वोटर खुश

चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सीएए लागू कर दिया है। सीएए लागू होने से उत्तर 24-परगना और नादिया जिला के मतुआ समुदाय ने दिवाली मनाई। मतुआ समुदाय के लोग लंबे समय से सीएए लागू मांग कर रहे थे। 24 परगना के अलावा मतुआ समुदाय के वोटर मालदा, दक्षिण दिनाजपुर, उत्तर दिनाजपुर, हावड़ा और कूच बिहार में भी है। चुनावी नजरिये से देखें तो पश्चिम बंगाल की 10 लोकसभा सीट और 50 विधानसभा सीटों पर मतुआ जाति का दखल है।

2021 के चुनाव से पहले मतुआ वोटरों को रिझाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश दौरे के दौरान ओरकांदी स्थिति मतुआ ठाकुरबाड़ी में पूजा की थी। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मतुआ समुदाय के नेता अनंत राय राजबंशी को राज्यसभा भेजकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। सीएए का एक दूसरा पहलू भी है। ममता बनर्जी ने सीएए का पुरजोर विरोध किया है। टीएमसी इस फैसले को अल्पसंख्यक विरोध के तौर पर प्रचार कर रही है। अगर वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो बंगाल में इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

ममता पर व्यक्तिगत टिप्पणी से दूर हैं बीजेपी के नेता

भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में एनडीए के 400 पार के सपने को पूरा करने के लिए फूंक-फूंक कर फैसले कर रही है। पार्टी ने अपने लिए 370 सीट जीतने का टारगेट रखा है। बीजेपी की नजर उन राज्यों पर है, जहां दायरा और बढ़ाया जा सकता है। इस हिसाब से दक्षिण भारतीय राज्य और बंगाल ही ऐसे राज्य हैं, जहां मेहनत करने पर बीजेपी 2019 से मुकाबले ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। पार्टी ने बंगाल विधानसभा का विश्लेषण किया तो यह सामने आया कि तब ममता बनर्जी पर सीधे हमले के कारण एक बड़े वर्ग ने बीजेपी से किनारा कर लिया।

 टीएमसी ने ममता बनर्जी पर हमले को बंगाल के स्वाभिमान से जोड़ दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में में साथ देने वाले वोटर भी ममता बनर्जी के वोटर बन गए। इस बार चुनाव में नरेंद्र मोदी समेत सभी बीजेपी नेता ममता बनर्जी पर सीधी टिप्पणी से परहेज कर रहे हैं। पार्टी बंगाल में हिंसा और करप्शन को मुद्दा बना रही है। संदेशखाली में महिलाओं के शारीरिक उत्पीड़न ने मामलों ने बीजेपी को चुनावी मुद्दा भी दे दिया है। इस मुद्दे पर बंगाल बीजेपी के नेताओं ने विधानसभा समेत पूरे राज्य में प्रदर्शन किया था।

इंडिया गठबंधन में दरार, पुराने साथी लौट रहे हैं बीजेपी में

पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में दरार पड़ गई। टीएमसी ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। बंगाल में बिखरे विपक्ष का सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 43.3 और बीजेपी को 40.7 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस को 5.67 और वाम मोर्चा को 6.33 प्रतिशत वोट मिले थे। मगर इंडिया ब्लॉक के तीनों दल कांग्रेस, वाम मोर्चा और टीएमसी साथ होते तो उनका वोट प्रतिशत 55 फीसदी होता।

अब 2019 की तरह बंगाल में त्रिकोणीय मुकाबला होगा। कांग्रेस ने बंगाल के कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भी सेलिब्रेटी कैंडिडेट उतार दिए हैं। इसके अलावा भाजपा ने अर्जुन सिंह और दिव्येंदु अधिकारी जैसे नेताओं को भी मना लिया है, जो विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी का दामन थाम चुके थे। अर्जुन सिंह बैरकपुर से सांसद थे। अगर टीएमसी के वोट प्रतिशत में तीन-चार प्रतिशत की गिरावट आई तो बीजेपी 30 के करीब सीटें जीत सकती है। ओपिनियन पोल में अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ सकता है।