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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते भूटान की एक संक्षिप्त यात्रा पर जाएंगे, आचार संहिता के चलते कोई समझौता या घोषणा नहीं होगी

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नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते भूटान की एक संक्षिप्त यात्रा पर जाएंगे। भारत में चुनावों की घोषणा के बाद आचार संहिता लागू हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे में इस दौरान कोई समझौता या घोषणा नहीं होना है। इसके बावजूद पीएम मोदी की यह भूटान यात्रा काफी अहम होगी। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के जरिए भारत इस हिमालयी देश को महत्व देना चाहता है। मोदी के 21-22 मार्च के दौरान भूटान जाने की उम्मीद है। यह यात्रा उनके भूटानी समकक्ष शेरिंग तोबगे की 14-18 मार्च के दौरान भारत यात्रा के कुछ दिनों बाद होगी।

दुर्लभ मौका
यह भी अपने आपमें दुर्लभ मौका है, जब चुनाव की घोषणा के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर जा रहा है। हालांकि 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जी-20 की बैठक में भाग लेने के लिए ब्रिटेन का दौरा किया था। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि पूर्व भूटानी प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग सरकार द्वारा चीन से सीमा विवाद सुलझाने में अहम भूमिका निभाई गई थी। यह यात्रा उसको लेकर भी एक संकेत है। शेरिंग ने पिछले साल अपने कार्यकाल के अंत में विवादित सीमा के सीमांकन के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयास तेज कर दिए थे।

भूटान पर था दबाव
शेरिंग ने पिछले साल कार्यकाल के अंत में विवादित सीमा के सीमांकन के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के प्रयास तेज कर दिए थे। कई बैठकों के बाद भूटान और चीन ने भूटान-चीन सीमा को लेकर एक संयुक्त तकनीकी टीम के लिए ‘सहयोग समझौते’ पर हस्ताक्षर किए थे। इस हस्ताक्षर का मतलब था कि दोनों पक्ष सीमांकन प्रक्रिया को लेकर सहमत हुए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन राजनयिक संबंधों की स्थापना पर भूटान पर दबाव डाल रहा था। वहीं, शेरिंग ने भी इसको लेकर सकारात्मक संकेत दिया था।

भूटान और चीन के बीच बात
ऐसी भी खबरें थीं कि भूटान और चीन के बीच किसी भी सीमा समझौते में क्षेत्र की अदला-बदली शामिल होगी। डोकलाम पर अपना दावा छोड़ने के बदले में थिम्पू को उत्तर में जगह मिलेगी। डोकलाम में ही 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले गतिरोध चला था। भारतीय पक्ष ने तीन देशों के बीच ट्राई-जंक्शन पर भूटान के दावे वाले क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा सड़क के निर्माण को रोकने के लिए सैनिकों को भेजा। भारत ने दोनों देशों की बातचीत पर भी कड़ी नजर रखी क्योंकि उसे चिंता है कि भूटान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट बन सकता है। खासकर ‘चिकन्स नेक’ कहे जाने वाले उस हिस्से पर असर पढ़ने का डर है, जो पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

भारत का समर्थन बढ़ाने का वादा
तोबगे की यात्रा के दौरान मोदी ने कहा कि भारत आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम के अनुरोध पर विचार करने समेत भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए समर्थन बढ़ाएगा। साथ ही नई दिल्ली की विकास सहायता बुनियादी ढांचा तैयार करने तथा संपर्क के निर्माण की दिशा में होगी। भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए भारतीय समर्थन बेहद अहम है। नई दिल्ली ने 12वीं योजना के लिए 5,000 करोड़ रुपये की सहायता दी थी। जनवरी में पदभार संभालने के बाद तोबगे पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे। शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, भारत और भूटान की दोस्ती की मिसाल दी गई थी। दोनों पक्षों ने इस सिलसिले को आगे भी जारी रखने की बात भी दोहराई थी।