Home राजनीति जाने पेट्रोल-डीजल का चुनावी कनेक्शन, क्या होता है फायदा?

जाने पेट्रोल-डीजल का चुनावी कनेक्शन, क्या होता है फायदा?

3

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम में 2 रुपये की कटौती कर दी है.

इससे पहले मई 2022 में केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर राहत दी थी. तब से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर थीं. लगभग 22 महीने बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई कटौती हुई है. 

कटौती के बाद राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये और डीजल की कीमत 87.62 रुपये हो गई है. 

इससे पहले मोदी सरकार ने 8 मार्च को बगैर सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर पर 100 रुपये कटौती करने का ऐलान किया था.

चुनाव से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के दाम कम करने पर विपक्ष ने हमला बोला है. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने इसे 'चालाकी' बताया है. उन्होंने कहा, 'मैंने पिछले हफ्ते ही कहा था कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होंगी और आज हो गईं. क्या सरकार कहेगी कि चुनाव के बाद अगर बीजेपी फिर सत्ता में आती है तो कीमतें नहीं बढ़ाई जाएंगी?'

चिदंबरम ने इसे चालाकी बताते हुए कहा कि पहले कीमतें बढ़ाई जाती हैं और फिर चुनाव से पहले घटा दी जाती हैं.

वहीं, पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि कीमतें घटाने से 58 लाख से ज्यादा हेवी गुड्स व्हीकल, 6 करोड़ कार और 27 करोड़ टू-व्हीलर की ऑपरेटिंग कॉस्ट में कमी आएगी. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों की तुलना इटली, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन से भी की, जहां इनकी कीमत 50 से 79 फीसदी ज्यादा है.

22 महीने बाद कटौती

2022 के फरवरी महीने में रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगी थीं. कीमतें बढ़ने का असर भारत पर भी दिखा था.

लगभग चार महीने तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहने के बाद मार्च 2022 में इनके दाम बढ़ गए थे. कुछ ही दिनों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई थी. डीजल के दाम भी 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए थे.

लोगों को राहत देने के मकसद से केंद्र सरकार ने 21 मई 2022 को पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर दी थी. केंद्र ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी. 

एक्साइज ड्यूटी घटने के बाद बड़ी राहत मिली थी. इसके बाद 22 मई 2022 से दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये हो गया था. 22 मई 2022 से 14 मार्च 2024 तक यानी एक साल, 9 महीने और 22 दिन तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था.

पेट्रोल-डीजल की कीमत और चुनावी कनेक्शन!

– 2022 की फरवरी और मार्च में पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने थे. इन चुनावों से पहले चार महीने तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें थमी रहीं.

– 10 जनवरी 2022 को इन पांचों राज्यों के चुनावी नतीजे आ गए. इसके बाद 21 मार्च से पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ने लगीं.

– 21 मार्च 2022 से 7 अप्रैल 2022 के बीच दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. इसके बाद 21 मई तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ.

– 2022 के शुरुआती महीनों में पेट्रोल-डीजल महंगा होने से महंगाई भी बेकाबू होती जा रही थी. अप्रैल-मई में थोक महंगाई दर 15 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 8 फीसदी तक पहुंच गई थी.

– मई 2022 में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने का असर चुनाव नतीजों पर भी दिखा. मई 2022 के बाद से अब तक 11 राज्यों- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 7 राज्यों में बीजेपी या उसकी सहयोगी पार्टी सत्ता में आई. हिमाचल और कर्नाटक में ही बीजेपी अपनी सरकार नहीं बचा पाई.

 

चुनाव आते ही कीमतों में कटौती?

– नवंबर 2021 में 14 राज्यों की 30 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. नतीजे आए तो बीजेपी को तगड़ा झटका लगा. अगले ही दिन 3 नवंबर की शाम को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटा दी. 

– 27 फरवरी 2021 को चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. 27 फरवरी को दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये और डीजल की 81.47 रुपये थी. 23 मार्च तक इनकी कीमतें स्थिर ही रहीं.

– उसके बाद भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम ही हुईं. 2 मई को पांचों राज्यों के चुनाव के नतीजे आए. दो दिन बाद ही 4 मई को पेट्रोल की कीमत 15 पैसे और डीजल की कीमत 18 पैसे बढ़ गई. इसके बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत हर दिन बढ़ती ही रही. 

– इससे पहले 25 सितंबर 2020 को चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की. नतीजे 10 नवंबर को आए. PPAC के मुताबिक, 21 सितंबर से 19 नवंबर तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. तब दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 81.06 रुपये और डीजल 70.46 रुपये थी.

2019 के आम चुनाव के वक्त क्या था ट्रेंड?

– 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में कई महीनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मामूली बदलाव होता रहा. कभी कीमतें घटीं तो कभी बढ़ी. लेकिन कीमतों के घटने-बढ़ने में सिर्फ 1-2 रुपये का अंतर ही रहा.

– पिछली बार लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 10 मार्च को हुआ था. उस दिन दिल्ली में पेट्रोल 72.40 रुपये प्रति लीटर और डीजल 67.54 रुपये प्रति लीटर था. 23 मई को जिस दिन नतीजे आए, उस दिन प्रति लीटर पेट्रोल 71.25 रुपये और डीजल 66.29 रुपये का था.

– नतीजों और नई सरकार के गठन के बाद महीनेभर तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ. लेकिन जुलाई से कीमतें बढ़नी शुरू हो गई.

– 21 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तारीखें आईं. इस दिन पेट्रोल 73.62 रुपये प्रति लीटर और डीजल 66.74 रुपये प्रति लीटर था. 24 अक्टूबर को नतीजे वाले दिन ये कीमत कम होकर पेट्रोल 73.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल 66.06 रुपये प्रति लीटर पर आ गया. लेकिन एक महीने बाद ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें डेढ़ रुपये तक बढ़ गईं.

 

कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?

–  भारत अपनी जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी कच्चा तेल बाहर से खरीदता है. ये कच्चा तेल बैरल में आता है. एक बैरल यानी 159 लीटर.

– पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत सरकार ही तय करती थी. जून 2010 में सरकार ने पेट्रोल की कीमतें तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया. उसके बाद अक्टूबर 2014 में डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार भी तेल कंपनियों को ही दे दिया गया.

– अप्रैल 2017 में तय हुआ कि अब से पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन तय होंगी. तब से तेल कंपनियां कच्चे तेल की कीमत के आधार पर हर दिन पेट्रोल-डीजल के दाम तय करने लगीं.

– ये सरकारी तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज समेत बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए कीमत तय करती हैं.

– सरकार की ओर से अक्सर ये कहा जाता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने में उसकी कोई भूमिका नहीं है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि चुनावी सीजन में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होती.