मुंबई,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के कार्यकाल को 21 मार्च 2024 को 15 साल पूरे हो रहे हैं। डॉ. भागवत संघ के छठे सरसंघचालक हैं। द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य गुरुजी इस पद पर 33 वर्ष और तृतीय सरसंघचालक बालासाहेब देवरस 21 वर्ष रहे। अब तक के कार्यकाल के मामले में डॉ. भागवत तीसरे स्थान पर हैं।
संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार दो बार सरसंघचालक पद पर रहे। डॉ. हेडगेवार 1925 से 1930 तक लगातार 5 वर्षों तक और 1931 से 1940 तक 9 वर्षों तक यानी कुल 14 वर्ष तक सरसंघचालक रहे। वहीं वर्ष 1930-31 के दौरान लक्ष्मण वासुदेव परांजपे (अस्थायी) सरसंघचालक थे क्योंकि हेडगेवार स्वतंत्रता आंदोलन में थे। गोलवलकर 1940 से 1973 तक 33 वर्षों तक सरसंघचालक पद पर रहे। उनके बाद मधुकर दत्तात्रेय देवरस उपाख्य बालासाहेब ने 1973 से 1994 तक 21 वर्षों तक सरसंघचालक का दायित्व संभाला। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया 1994 से 2000 तक 6 साल तक पदासीन रहे और कुप्प.सी. सुदर्शन 2000 से 2009 तक 9 साल तक सरसंघचालक रहे। सभी के कार्यकाल पर गौर करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि गुरुजी और देवरस के बाद डॉ. भागवत कार्यकाल के मामले में तीसरे स्थान पर हैं।
संघ में व्यक्ति पूजा वर्जित है। संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने संघ में भगवा ध्वज को गुरु माना है। संघ में सरसंघचालक की नियुक्ति होती है, वहीं सरकार्यवाह का चुनाव होता है। सरसंघचालक चुनने के लिए मौजूदा सरसंघचालक अपने जीवनकाल में अगले सरसंघचालक का नाम सुनिश्चत कर देते हैं। जब डॉ. हेडगेवार ने पहली बार सरसंघचालक का दायित्व ग्रहण किया तो उन्होंने कहा था, ''जब तुम्हें कोई ऐसा स्वयंसेवक मिले जो मुझसे अधिक योग्य हो तो उसे सरसंघचालक बना देना। मैं उसके निर्देशानुसार कार्य करूंगा।'' डॉ. हेडगेवार के इस सुझाव का बालासाहेब देवरस ने पालन किया। स्वास्थ्य कारणों से देवरस ने अपने जीवनकाल में ही सरसंघचालक का दायित्व प्रो. रज्जू भैया को सौंप दिया था। बालासाहेब की कार्यशैली को दोहराते हुए प्रो. रज्जू भैया ने यह पद कुप्प.सी. सुदर्शन को सौंप दिया। वहीं सुदर्शन ने नागपुर में आयोजित प्रतिनिधि सभा की बैठक में 21 मार्च 2009 को सरसंघचालक पद के लिए डॉ. मोहन भागवत का चयन किया था।