कोटा
प्रदेश में मानसून की बेरुखी का असर इस बार गर्मी में देखने को मिलेगा। गर्मी शुरू होने से पहले ही प्रदेश के 342 बांध सूख गए हैं। 340 बांधों में भी आंशिक ही पानी बचा है। कोटा और बांसवाड़ा के अलावा प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर जल स्रोत मार्च आते-आते सूखने लग गए हैं। चम्बल नदी के दूसरे बड़े बांध राणा प्रताप सागर का ही पानी डेप्थ लेवल पर पहुंचने पर राजस्थान सरकार ने मध्यप्रदेश से गांधी सागर बांध से पानी मांगा है। इस पर दो दिन पहले गांधी सागर बांध से पानी छोड़कर राणा प्रताप बांध का जल स्तर बढ़ाया गया है।
सरकार भी अलर्ट मोड पर
प्रदेश में संभावित जल संकट को लेकर सरकार भी अलर्ट मोड पर है। जल्द लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि पेयजल संकट को लेकर कोई आंदोलन खड़ा हो। सभी कलक्टरों को पेयजल संकट वाले संभावित क्षेत्रों को चिह्नित कर टैंकरों से जलापूर्ति के बंदोबस्त करने के लिए कहा है। खुद कलक्टरों को जलापूर्ति के संबंध में निगरानी रखने को कहा है। तालाब और बांध सूखने पर पशुओं के लिए जल संकट हो जाएगा। मारवाड़ से पशुपालक पलायन कर हाड़ौती की ओर रुख करने लग गए हैं।
बड़े बांध भी सूख गए
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 4.25 एम.क्यूएम से अधिक क्षमता के 281 बांध हैं। इसमें से 110 बांध मार्च आने से पहले ही रीत गए हैं। 168 बांधों में आंशिक पानी बचा हुआ है। केवल तीन बांध ही पूर्ण भरे हुए हैं। इन बांधों से सिंचाई के अलावा पेयजल की आपूर्ति की जाती है। 4.25 एम. क्यूएम जल भराव क्षमता से कम वाले राजस्थान में कुल 407 बांध हैं। इसमें से 232 बांधों में पानी सूख गया है तथा 172 बांध आंशिक भरे हुए हैं। इस श्रेणी के केवल तीन बांध पूर्ण भरे हुए हैं। दोनों श्रेणी में एक माह में दो दर्जन बांधों का पानी सूख गया है।
मध्यप्रदेश से मांगा पानी
चम्बल नदी से हाड़ौती के अलावा भीलवाड़ा और चित्तौडगढ़ जिले के रावतभाटा क्षेत्र में जलापूर्ति की जाती है। चम्बल की नहरों में जल प्रवाह सुचारू रखने और पेयजल आपूर्ति के लिए राजस्थान ने मध्यप्रदेश से गांधी सागर बांध से पानी मांगा। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने गांधी सागर बांध का एक गेट खोलकर 18 हजार क्यूसेक पानी दिया है। इस बार कम बारिश होने के कारण चम्बल नदी का दूसरा सबसे बड़ा बांध राणा प्रताप खाली रह गया था। इस कारण पानी का संकट हो गया है।
1133 फीट जल स्तर रखना जरूरी
मानसून में राणा प्रताप सागर बांध अपनी पूर्ण भराव क्षमता 1157.50 फीट के मुकाबले 1136.76 फीट ही भरा था। यह बांध मानसून के बाद पांच माह में 21 फीट खाली हो गया। बांध से रबी फसलों की सिंचाई के लिए चम्बल की नहरों में जल प्रवाह किया गया। इस दौरान गांधीसागर बांध से पानी की निकासी नहीं की गई। 1133 फीट राणा प्रताप सागर का जलस्तर डेड स्टॉक है, इतना जल स्तर परमाणु संयंत्रों के लिए अति आवश्यक है।