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हमास के हमले मारे गए नेपालियों के परिवारों को इजराइल आजीवन आर्थिक सहयोग देगा

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हमास के हमले मारे गए नेपालियों के परिवारों को इजराइल आजीवन आर्थिक सहयोग देगा

बांग्लादेश के मालवाहक जहाज के 23 सदस्य अभी भी सोमालिया के समुद्री डाकुओं के कब्जे में, परिवारों की चिंता बढ़ी

अमेरिकी कांग्रेस समिति पाकिस्तान चुनाव पर सुनवाई करेगी

नेपाल
 फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के आक्रमण में मारे गए नेपाली नागरिकों के परिवारों को इजराइल सरकार आजीवन आर्थिक सहयोग देगी। नेपाल में इजराइल के राजदूत हनान गोडर ने विदेश मंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठ से मुलाकात कर सरकार के फैसले की जानकारी दी।

गोडर ने विदेश मंत्री को बताया है कि सहायता की पहली किस्त पीड़ित परिवारों को उपलब्ध करा दी गई है। हमास के इजराइल पर हमले में करीब 10 नेपाली नागरिक मारे गए हैं। इनमें से अधिकांश कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे। मगर कंचनपुर जिले के एक छात्र विपीन जोशी की अब तक कोई खबर नहीं मिल पाई है। न तो उसका शव ही मिल पाया है और न हमास ने उसके बंधक होने की जानकारी ही दी है। हालांकि इजराइल सरकार ने विपीन जोशी के परिवार को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है। इजराइली राजदूत ने कहा है कि जब तक उसका पता नहीं लग जाता तब तक उसके परिवार को भी आर्थिक सहायता नियमित उपलब्ध कराई जाएगी।

इजराइल सरकार ने उन 134 लोगों के परिवारों को भी इस माह से मासिक भत्ता देना शुरू किया गया है जो अब तक हमास के कब्जे में है। राजदूत गाडर ने कहा कि इजराइल के कानून के तहत वहां रहने वाले किसी भी विदेशी नागरिकों की यदि आतंकी हमले में जान जाती है तो उसके परिवार को इजराइल के नागरिकों की तरह सारी सुविधा मिलती रहेगी।

 

बांग्लादेश के मालवाहक जहाज के 23 सदस्य अभी भी सोमालिया के समुद्री डाकुओं के कब्जे में, परिवारों की चिंता बढ़ी

ढाका
बांग्लादेश के मालवाहक जहाज के चालक दल के 23 सदस्य अभी भी सोमालिया के समुद्री लुटेरों के कब्जे में हैं। इस जहाज को सोमवार को हिंद महासागर से अगवा किया गया है।

समुद्री लुटेरों की इस बड़ी वारदात ने पीड़ित परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले साल 2010 में भी सोमालिया के समुद्री लुटेरे बांग्लादेश के मालवाहक जहाज के चालक दल को निशाना बना चुके हैं। तब लाखों अमेरिकी डॉलर की फिरौती वसूलने के बाद इन लोगों को लगभग 100 दिन बाद छोड़ा गया था। बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून ने इन लुटेरों की ताजा हरकत पर अपनी रिपोर्ट में विस्तार से चर्चा की है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, हिंद महासागर से अपह्रत किए गए बांग्लादेश ध्वज वाले मालवाहक जहाज का नाम 'एमवी अब्दुल्ला' है। बंधक बनाए गए नाविकों के चिंतित परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने सभी की रिहाई के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह लोग बुधवार दोपहर अगरबाद वाणिज्यिक क्षेत्र में एसआर शिपिंग के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की।

मां का दर्द

बंधक बनाए गए चालक दल के प्रमुख सदस्य अतीक उल्लाह खान की 62 वर्षीय मां शाहनूर बेगम ने कहा कि उनका बेटा 2008 से जहाजों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ''मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा बेटे को इस तरह अगवा कर लिया जाएगा।'' शाहनूर ने जहाज कंपनी और सरकार से अपने बेटे और अन्य चालक दल के सभी सदस्यों को सुरक्षित घर वापस लाने के लिए सभी कदम उठाने का आग्रह किया है। शाहनूर बेगम ने कहा कि उनकी बहू गर्भवती है और अपने पति के अपहरण की खबर सुनकर वह बीमार पड़ गई। बेगम ने कहा कि एसआर शिपिंग ने सूचित किया कि जहाज पर सभी लोग सुरक्षित और स्वस्थ हैं।

समुद्री डाकू हथियारों से लैस

बंगलादेश के जहाजरानी विभाग के महानिदेशक मोहम्मद मकसूद आलम ने माना है कि समुद्री लुटेरों के सोमालियाई होने का संदेह है, क्योंकि तट उसी देश में स्थित है। उन्होंने कहा, ''एमवी अब्दुल्ला नाम का मालवाहक जहाज में कोयला लदा है। वह मोजाम्बिक के मापुतो बंदरगाह से संयुक्त अरब अमीरात के अल हमरियाह बंदरगाह के लिए रवाना हुआ था। उसी दौरान, समुद्री लुटेरों ने जहाज का अपहरण कर लिया है। चालक दल ने समुद्री डाकुओं के पास भारी हथियार होने की जानकारी दी है।''

दुख की दास्तां… याद आ गया 2010

ढाका ट्रिब्यून ने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में ऐसी ही 2010 में हुई एक घटना का जिक्र किया है। रिपोर्ट के अनुसार पांच दिसंबर 2010 को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने 43,150 टन निकल अयस्क ले जा रहे बांग्लादेशी मालवाहक जहाज 'एमवी जहान मोनी' को अरब सागर से अगवा कर चालक दल के 26 सदस्यों को बंधक बना लिया था। इंडोनेशिया से रवाना इस जहाज को ग्रीस पहुंचना था। 11 नवंबर, 2010 को इंडोनेशिया से रवाना हुए इस जहाज को ग्रीस पहुंचने से पहले सिंगापुर में रुकना था। सिंगापुर पहुंचने से पहले ही सोमालिया के समुद्री डाकुओं ने उसे भारत के लक्ष द्वीप से लगभग 170 समुद्री मील दूर अपने कब्जे में ले लिया था।

लियोन नामक वार्ताकार के माध्यम से इनसे 12 दिसंबर को बातचीत शुरू हुई। समुद्री डाकुओं ने 9 मिलियन डॉलर फिरौती की मांग की। जैसे-जैसे दिन हफ्तों में बदलते गए, जहाज पर स्थिति खराब होती गई। कैप्टन फरीद अहमद ने 24 दिसंबर को भोजन, पानी और ईंधन जैसी आवश्यक आपूर्ति की गंभीर कमी को उजागर करते हुए संकटकालीन कॉल की। बातचीत का यह सिलसिला दो माह चला। आखिरकार 22 फरवरी को फिरौती की रकम पर सहमति बनी। समुद्री लुटेरों ने चालक दल की रिहाई का लिखित आश्वासन दिया। 12 मार्च को लाखों डॉलर से भरे दो वाटरप्रूफ सूटकेस समुद्री डाकुओं को सौंपे गए। समुद्री डाकुओं ने 13 मार्च, 2011 की सुबह चालक दल के सभी सदस्यों को रिहा कर दिया।

अमेरिकी कांग्रेस समिति पाकिस्तान चुनाव पर सुनवाई करेगी

वाशिंगटन
अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की एक समिति ने कहा है कि वह पाकिस्तान में पिछले महीने हुए चुनावों पर 20 मार्च को बहस करेगी। इन चुनावों में धांधली का आरोप लगा है। बहस का शीर्षक है, ‘चुनावों के बाद पाकिस्तान: पाकिस्तान में लोकतंत्र के भविष्य का परीक्षण और अमेरिका-पाकिस्तान संबंध।’

दो दर्जन से ज्यादा सांसदों ने पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए चुनाव की निष्पक्षता को लेकर चिंता व्यक्ति की थी जिसके बाद 20 मार्च को दक्षिण एशियाई देश पर बहस की घोषणा की गई। चुनाव में धांधली के आरोप लगे हैं। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने कहा है कि जनादेश को चुरा कर नई सरकार का गठन किया गया है।

खान की पार्टी समर्थित 90 से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है और नेशनल असेंबली में उनकी संख्या सबसे ज्यादा है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने गठबंधन कर सरकार बनाई है।

दक्षिण और पश्चिम एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू को पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका पर उपसमिति और मध्य एशिया पर सदन की विदेश मामलों की समिति के समक्ष गवाही देने के लिए कहा गया है।

सिफर (गुप्त राजनयिक संदेश) विवाद में लू की कथित संलिप्तता को देखते हुए उनकी गवाही अहम मानी जा रही है।

सदन की विदेश मामलों की समिति 20 मार्च को एक प्रस्ताव पर विचार करने वाली है जो पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त करता है।

प्रस्ताव में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री से लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून के शासन को सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करने का आह्वान किया गया है।

प्रस्ताव पाकिस्तान से लोकतांत्रिक संस्थानों, मानवाधिकारों और कानून के शासन को बनाए रखने का आग्रह करता है।