खंडवा
लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट पर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन चुनौती बना हुआ है। भाजपा की ओर से दस दिन पहले इस सीट से प्रत्याशी घोषित करने के बावजूद कांग्रेस की दूसरी सूची में खंडवा लोकसभा क्षेत्र का टिकट होल्ड पर है। यह स्थिति दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने से किनारा करने से बन रही है। कांग्रेस की दूसरी सूची में भी खंडवा को लेकर फैसला नहीं हो सका है।
इसके पहले खंडवा से पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद अरुण यादव को संभावित प्रत्याशी माना जा रहा था, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उन्हें प्रदेश की किसी और सीट से चुनाव मैदान में उतारने की चचार्ओं के बीच यहां प्रत्याशी को लेकर फिर नए नामों की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
खरगोन से निमाड़ के वरिष्ठ नेता सुभाष यादव के उत्तराधिकारी के रूप में राजनीति की शुरुआत करने वाले अरुण यादव ने खरगोन से उपचुनाव जीतने के बाद खंडवा का रुख किया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें हाथोंहाथ लिया था। खंडवा से जीतकर वे केन्द्रीय मंत्री बने थे। साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। बावजूद वे खंडवा में कांग्रेस की गुटबाजी को पाटने में सफल नहीं हो सके।
इसका परिणाम बाद के वर्षों में कांग्रेस की टीम के बिखराव के रूप में सामने आया। टीम यादव से टूटकर नए गुट बनते चले गए और उधर विधानसभा चुनाव में भी क्षेत्र की सीटें कांग्रेस के हाथ से फिसलती चली गईं।
अरुण यादव के बाद खंडवा में भाजपा को चुनौती देने वाले नेताओं में पूर्व विधायक और उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे ठाकुर राजनारायण सिंह आर्थिक संकट का हवाला देकर अपने बूते पर चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। अग्रिम पंक्ति के नेताओं के मैदान खाली करने के बाद दूसरी पंक्ति के नेताओं ने अपनी दावेदारी जताते हुए दिल्ली में डेरा डाल रखा है। संभावना जताई जा रही है कि शेष सीटों के साथ आने वाली तीसरी सूची में खंडवा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी तय हो जाएंगे।