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जेल में बंद निर्धन कैदियों को रिहा करने के लिए केंद्र सरकार बजट उपलब्ध कराएगी

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भोपाल
केंद्र सरकार निर्धन कैदियों का अर्थदंड भरेगी। अर्थदंड न भरने के कारण जेल में बंद निर्धन कैदियों को रिहा करने के लिए केंद्र सरकार बजट उपलब्ध कराएगी। गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि और दोष सिद्ध कैदियों के जुर्माना राशि आदि का भुगतान न होने का डाटा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे कैदियों की संख्या मांगी है कि जो आर्थिक तंगी के कारण उन पर लगाए गए अर्थदंड न भर पाने अथवा जमानत राशि वहन न कर पाने के कारण जेल में बंद हैं। केंद्र सरकार ने अर्थदंड की कोई सीमा निर्धारित नहीं की है। ऐसे निर्धन कैदियों की पात्रता का निर्धारण राज्य स्तरीय समिति करेगी। निर्धन कैदियों के अर्थदंड भरे जाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रमुख सचिव जेल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय राज्य स्तरीय निगरानी समिति भी गठित की हुई है। यह समिति गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि और दोष सिद्ध कैदियों के जुर्माना राशि आदि भुगतान के संबंध में जिला स्तरीय साधिकार समिति से प्राप्त अनुशंसाओं पर निर्णय लेती है।

इसी तरह जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति बनाई गई है। राज्य सरकार प्रदेश के निर्धन कैदियों का डाटा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगी। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसे निर्धन कैदियों की संख्या मांगी है कि जो आर्थिक तंगी के कारण उन पर लगाए गए अर्थदंड न भर पाने अथवा जमानत राशि वहन न कर पाने के कारण जेल में बंद हैं। केंद्र सरकार ने अर्थदंड की कोई सीमा निर्धारित नहीं की है। ऐसे निर्धन कैदियों की पात्रता का निर्धारण समिति करेगी।

एनजीओ अर्थदंड भरकर कराते हैं कैदियों को रिहा
मध्य प्रदेश की जेलों में निर्धनता के कारण अर्थदंड न भरने वाले कैदियों की संख्या बदलती रहती है। जब कभी भी ऐसी स्थिति आती है तो जेल मुख्यालय एनजीओ आदि निजी संस्थाओं एवं व्यक्तियों के माध्यम से राशि लेकर इन निर्धन कैदियों को रिहा कराता है। सबसे अधिक आवश्यकता एनडीपीएस एक्ट (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्स्टांसेस एक्ट) यानि मादक पदार्थ रखने या सेवन करने के आरोप में पकड़े गए कैदियों को होती है क्योंकि इसमें अर्थदंड राशि लाखों रुपयों में होती है।

मप्र में ऐसे 40 कैद जो अर्थदंड न भरने के कारण काट रहे सजा
कैदियों को कारावास के साथ अर्थदंड भी लगाया जाता है। कारावास की सजा होने के बाद यदि अर्थदंड नहीं भरा जाता है तो कैदी को अतिरिक्त दो-तीन माह की सजा और जेल में काटना पड़ती है। निर्धनता के कारण अर्थदंड न भर पाने वाले प्रदेश की जेलों में बंद ऐसे 40 कैदी बताए जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराने से ऐसे कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा और जेल मुख्यालय को एनजीओ, निजी क्षेत्र या व्यक्ति का मुंह नहीं ताकना होगा।

जिला स्तरीय समिति करेगी वित्तीय सहायता आकलन
राज्य स्तरीय समिति की तरह ही जिला स्तरीय समिति भी गठित की गई है। कलेक्टर की अध्यक्षता में यह समिति गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि एवं दोष सिद्ध कैदियों की जुर्माना राशि के भुगतान के लिए प्रत्येक मामले में वित्तीय सहायता की आवश्यकता का आकलन करेगी। प्रकरणों में लिए गए निर्णय के आधार पर केंद्रीय नोडल एजेंसी खाते में राशि प्राप्त करने के लिए आवश्यकता कार्यवाही करेगी। कैदियों को राहत प्रदान करने के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारी (न्यायालय) को इसकी प्रतिपूर्ति करेगी।इस कार्य में समाज के नागरिक प्रतिनिधि / सामाजिक कार्यकर्ता/ जिला परिवीक्षा अधिकारी की सहायता भी ले सकेगी।