माले
मालदीव हिंद महासागर में मौजूद एक टापू देश है, जो पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर है। लेकिन अब मालदीव अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुट गया है। मालदीव में पहली बार सैन्य ड्रोन पहुंचे हैं। तुर्की की एक कंपनी के साथ समझौते के बाद पहली बार मालदीव में सैन्य ड्रोन पहुंचे हैं। मालदीव के मुताबिक वह इनका इस्तेमाल देश की सीमा की निगरानी के लिए करेगा। मालदीव मीडिया ने इस मामले से जुड़े वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के हवाले से कहा कि ड्रोन तीन मार्च को मालदीव पहुंचे हैं। यह ड्रोन फिलहाल नूनू माफारू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हैं।
मालदीव ने तुर्की से कितने ड्रोन खरीदे हैं उनकी संख्या स्पष्ट नहीं है। मालदीव अगले सप्ताह तक ड्रोन का संचालन शुरू करने के लिए काम कर रहा है। मुइज्जू सरकार की ओर से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया ने पूछा कि क्या मालदीव के पास ऐसे ड्रोन चलाने की क्षमता है? इस पर अधिकारियों ने सीधे तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि क्षमताओं को मजबूत करने का काम जारी है। दावा किया जा रहा है कि ड्रोन किर्गिस्तान की फ्लाई स्काई एयरलाइंस से लाए गए।
ड्रोन ने दिखाई ताकत
फ्लाइट रडार वेबसाइट से पता चला है कि विमान ने तुर्की के तेकिरदाग से माफारू इंटरनेशनल हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी। तुर्की में घातक ड्रोन बनाने वाली कंपनी बयारकटार का ड्रोन शिपमेंट सेंटर तेकिरदाग में है। इस कंपनी के मालिक तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के दामाद हैं। बयारकटार का सबसे लोकप्रिय ड्रोन टीबी 2 है। ये वो ड्रोन है जो युद्ध के मैदान में भी अपनी ताकत दिखा चुका है। यूक्रेनी सेना ने इस ड्रोन के इस्तेमाल से रूस के सैन्य काफिलों को निशाना बनाया है।
कितनी है ड्रोन की कीमत
यूक्रेन युद्ध के बाद टीबी 2 ड्रोन की डिमांड बढ़ी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण ड्रोन की कम कीमत है। एक ड्रोन खरीदने की कीमत 50 लाख डॉलर होती है। वहीं इसका एक कंट्रोल स्टेशन भी 50 लाख डॉलर की कीमत का है। 31 देशों की सेनाएं इस ड्रोन का इस्तेमाल करती हैं। जनवरी में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन की राजकीय यात्रा पर गए थे। तब उन्होंने संकेत दिया था कि सरकार निगरानी ड्रोन खरीदने का प्लान कर रही है।