धर्मशाला
इंग्लैंड के बल्लेबाज जॉनी बेयरस्टो गुरुवार (सात मार्च) से 100वां टेस्ट मैच खेलने जा रहे हैं। वह 100 टेस्ट खेलने वाले इंग्लैंड के 17वें प्लेयर बनेंगे। बेयरस्टो इंडिया वर्सेस इंग्लैंड पांचवें टेस्ट में इस उपलब्धि को हासिल करेंगे, जो धर्मशाला के मैदान पर खेला जाएगा। 34 वर्षीय बेयरस्टो ने इस उपलब्धि को अपनी कैंसर सर्वाइवर मां जेनेट को समर्पित किया है। जेनेट दो बार कैंसर को मात दे चुकी हैं। बता दें कि बेयरस्टो जब आठ साल के थे तब उनके पिता डेविड ने आत्महत्या कर ली थी। डेविड ने इंग्लैंड के लिए चार टेस्ट और 21 वनडे खेले।
बेयरस्टो ने 'टेलीग्राफ स्पोर्ट' से कहा "जब मैं खेलता हूं तो कई बार डैड के बारे में सोचता हूं। लेकिन मैं इस बारे में ज्यादा सोचता हूं कि मां ने कितनी कड़ी मेहनत की ताकि हमें किसी मुश्किल का सामना ना करना पड़े। हमें एक परिवार के रूप में एकजुट रखा। वह मेरी ताकत रही हैं। वह दृढ़ संकल्प के साथ डटी रहीं। उन्होंने कठिन समय में तीन नौकरियां कीं क्योंकि दस साल से कम उम्र के उनके दो बच्चे थे। वह मुझे लीड्स यूनाइटेड (जहां वह युवा फुटबॉल खेलते थे), हेडिंग्ले और अन्य सभी स्थानों पर लेकर गईं।''
उन्होंने आगे कहा, ''वह दो बार कैंसर शिकार हुईं। वह बहुत मजबूत महिला हैं। वह दो बार कैंसर से उबर चुकी हैं, जो उनके साहस की बानगी देता है। यह महिला की ताकत और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।'' उन्होंने 100वें टेस्ट को लेकर कहा, ''यह जज्बाती हफ्ता रहने वाला है और मैं इसका पूरा मजा लूंगा।'' बेयरस्टो ने इसके अलावा कहा कि वह बचपन से ही टेस्ट क्रिकेटर बनना चाहते थे।
उन्होंने कहा, ''मैं वनडे क्रिकेट देखकर बड़ा नहीं हुआ। मैने टेस्ट क्रिकेट देखा है जो मेरे लिए सब कुछ था। मैंने माइकल वॉन, मार्कस ट्रेसकोथिक और केविन पीटरसन को खेलते देखा। मैं हेडिंग्ले में इंग्लैंड को इंडोर नेट अभ्यास करते देखता था और वोडाफोन ब्लू ट्रैकसूट मुझे बहुत लुभाते थे। मैं भी उस टीम का हिस्सा बनना चाहता था।''
इंग्लैंड के बल्लेबाज़ जॉनी बेयरस्टो धर्मशाला में अपना 100वां टेस्ट खेलेंगे। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह 17वें इंग्लिश क्रिकेटर बनेंगे। धर्मशाला टेस्ट से पहले उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए भावुक करने योग्य पल है।
बेयरस्टो ने कहा, "यह दुनिया के खूबसूरत ग्राउंड में से एक है। केपटाउन मेरे पसंदीदा मैदानों में से एक है लेकिन धर्मशाला की बात ही कुछ और है।"
बेयरस्टो के परिजन भी धर्मशाला पहुंच गए हैं और वे मैच शुरु होने से पहले कैप प्रेज़ेंटेशन के दौरान उनके साथ मौजूद रहेंगे। बेयरस्टो के पिता इस दुनिया में नहीं हैं, उन्होंने 1997 में आत्महत्या कर ली थी और तब बेयरस्टो सिर्फ़ आठ वर्ष के थे। पिता के देहांत के बाद उनकी मां जेनट ने ही उनकी और उनकी बहन की देखभाल की। पिता का जब देहांत हुआ था तब उनकी मां ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही थीं और 2012 में एक बार फिर इस बीमारी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया, जिसके चलते बेयरस्टो को भारत का दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौटना पड़ा था।
बेयरस्टो ने अपने करियर के दौरान कई बड़े खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया। उन्होंने तमाम खिलाड़ियों के साथ के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, "जब मैंने खेलना शुरु किया था तब स्ट्रॉस, कुक, पीटरसन, बेल, स्वान, एंडरसन, ब्रॉड जैसे खिलाड़ी थे। रूटी के साथ तो मैं तब से खेल रहा हूं जब मैं सिर्फ़ 12 वर्ष का था। वूडी और मैंने अंडर 11 के समय से एक दूसरे के ख़िलाफ़ खेलना शुरु किया था।"
धर्मशाला में परिस्थितियां मेहमान टीम को रास आ सकती हैं। इंग्लैंड भी इस श्रृंखला में पहली बार एक साथ तीन तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उतरने की सोच रहा है। इसकी पिच पिछली बार फ़रवरी के दूसरे सप्ताह में हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच खेले गए रणजी ट्रॉफ़ी मैच में उपयोग की गई थी और तब सभी 36 विकेट तेज़ गेंदबाज़ों ने ही लिए थे।
बेयरस्टो ने सीरीज़ में कई अवसर पर अच्छी शुरुआत की लेकिन वह अपनी पारी को एक बार भी 38 के स्कोर के आगे नहीं बढ़ा सके। वह टेस्ट में अपने छह हज़ार रन पूरे करने से सिर्फ़ 26 रन दूर हैं।
बेयरस्टो ने कहा, "मैंने इस सीरीज़ में अपने बल्ले के साथ अच्छा महसूस किया है। लेकिन कुछ बार अच्छी गेंदें तो कुछ बार निर्णयों ने साथ नहीं दिया। हालांकि भारत में ऐसा होता है। धर्मशाला में भी जब मैं उतरूंगा तो मेरी कोशिश अन्य 10 खिलाड़ियों के साथ खेल का आनंद उठाने की ही होगी।"