जिला न्यायालय के राजनांदगांव सीएमओ कार्यालय के कुर्की के एक आदेश से प्रशासनिक स्तर पर खलबली मच गई है। मामला तीन साल पुराने एक एम्बुलेंस की चपेट में आए मजदूर के मुआवजे से जुड़ा हुआ है।
तीन साल पहले मृतक की पत्नी की याचिका पर जिला न्यायालय ने सीएमओ कार्यालय को मुआवजा के तौर पर 9 लाख रुपए देने का फरमान जारी किया था। आज पर्यन्त सीएमओ कार्यालय से पीडि़त परिवार को फूटी कौड़ी नहीं मिली।
बताया जा रहा है कि एक एम्बुलेंस की चपेट में आने से बैसाखिनबाई नामक महिला के पति की सडक़ हादसे में मौत हो गई थी। महिला ने आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तीन साल पहले स्थानीय न्यायालय ने सीएमओ कार्यालय को महिला को आर्थिक मदद देने के लिए 8 लाख रुपए दिए जाने का फैसला सुनाया था। इसके बावजूद महिला को सीएमओ की ओर से कोई राहत नहीं मिली।
दोबारा महिला ने अवमानना याचिका दायर करते हुए कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई। महिला की ओर से पैरवी कर रहे कुंदन साहू ने मामले में अदालत को सीएमओ कार्यालय के रवैये को लेकर जानकारीदी। इसके बाद अदालत ने सीएमओ कार्यालय के तमाम संसाधन और सामान की नीलामी कर मृतक की पत्नी को ब्याज सहित 9 लाख रुपए देने का आदेश जारी किया। बताया जा रहा है कि सीएमएचओ डॉ. एके बसोड़ को न्यायालीन आदेश की जानकारी नहीं है।
इस संबंध में उन्होंने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि आदेश के संबंध में जानकारी नहीं है। वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर आगे कानूनी प्रक्रिया के तहत निर्णय का पालन किया जाएगा। इधर सीएमएचओ कार्यालय में कानूनी मामलों को देखने वाले संतोष चौहान ने कहा कि तीन साल पहले आर्थिक भरपाई करने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई है। इस फैसले को लेकर तुरंत सुनवाई करने के लिए अदालत से आग्रह किया गया है। बहरहाल सीएमओ कार्यालय को कुर्क करने के आदेश के बाद स्वास्थ्य महकमा हिल गया है।