कराची
पाकिस्तान ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध उस समय ईरान-पाकिस्तान (आईपी) गैस पाइपलाइन परियोजना पर लागू नहीं हो सकते हैं जब वो अपने क्षेत्र के भीतर पाइपलाइन बिछाने जा रहा है. पाकिस्तान कह रहा है वो बस पाइपलाइन बिछा रहा है और उसे ईरान से नहीं जोड़ रहा है जिस वजह से अमेरिकी प्रतिबंध उस पर लागू नहीं हो सकते.
इस्लामाबाद में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार ऊर्जा मंत्री मुहम्मद अली ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि ईरान-पाकिस्तान प्रोजेक्ट के इस स्टेज पर कोई प्रतिबंध लगना चाहिए.'
पाकिस्तान ने ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद आईपी प्रोजेक्ट से जुड़ी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया है. इसे लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा है क्योंकि वो पाइपलाइन में देरी को लेकर किसी तरह का जुर्माना नहीं भरना चाहता.
जब पाकिस्तानी मंत्री से आईपी प्रोजेक्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आईपी गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के संबंध में अमेरिकी क्या चाहते हैं, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है,
हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल पाकिस्तानी क्षेत्र में 80 किलोमीटर पाइपलाइन पर काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी क्षेत्र में पाइपलाइन प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगभग 1.5 साल लगेंगे. पाकिस्तानी मंत्री ने कहा, 'गैस की आपूर्ति के लिए उसे ईरान से जोड़ने में अभी काफी समय लगेगा.'
कार्यवाहक मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने साल 2009 में गैस पाइपलाइन के लिए ईरान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत पाकिस्तान प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य है.
अगर प्रोजेक्ट से हटा तो पाकिस्तान को देना होगा अरबों का जुर्माना
आर्थिक संकट से जूझते पाकिस्तान ने पिछले साल मई में कहा था कि अगर वो आईपी प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाता है तो उसे ईरान को 18 अरब डॉलर का जुर्माना देना पड़ेगा. डॉलर की भारी कमी से जूझते पाकिस्तान के पास न तो इतना पैसा है और न ही वो अमेरिकी प्रतिबंधों को पूरी तरह नजरअंदाज कर सकता है.
मई में पाकिस्तान की लोक लेखा समिति ने प्रोजेक्ट पर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका पर निशाना साधा था. समिति के अध्यक्ष नूर आलम ने बिना भारत का नाम लिए अमेरिका पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा था, 'अगर अमेरिका पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन को आगे बढ़ने की मंजूरी नहीं देता है तो उसे ही यह जुर्माना भरना चाहिए. अमेरिका को अपना दोहरा रवैया छोड़ना पड़ेगा… वो भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तो उदार बन रहा है लेकिन उसी बात के लिए पाकिस्तान को सजा दी जा रही है.'