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कांग्रेस अपने चुनावी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ने का रेकॉर्ड बना सकती है!

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कोलकाता
लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही इंडिया गठबंधन बिखर गई है। अधिकतर राज्यों में सीट शेयरिंग पर विवाद फंसा और इंडिया ब्लॉक में बिखराव होने लगा। पहली बड़ी टूट बिहार में हुई, जहां गठबंधन बनाने की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार ने ही किनारा कर लिया। यूपी में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हुआ। दिल्ली, गुजरात, हरियाणा के लिए आप और कांग्रेस में सीटों पर सहमति बनी। अपने गठबंधन के साथियों के प्रेशर पॉलिटिक्स के कारण इन राज्यों में कांग्रेस को अपने डिमांड से समझौता करना पड़ा। कांग्रेस को दिल्ली में सिर्फ 3 सीटें मिलीं, जबकि इसके बदले उसे आम आदमी पार्टी को गुजरात में दो और हरियाणा में एक सीट देनी पड़ी। पंजाब में दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी। काफी मोलभाव के बाद भी यूपी में सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें दीं। अब केरल में घमासान मचा है, जहां सीपीआई ने वायनाड से कैंडिडेट का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र और बिहार में भी आरजेडी और कांग्रेस के बीच तोलमोल का दौर अभी चल ही रहा है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो कांग्रेस अपने चुनावी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ने का रेकॉर्ड बना सकती है।

इंडिया ब्लॉक में सीटों के बंटवारे को लेकर बैकफुट पर आई कांग्रेस

इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस बैकफुट आ चुकी है। बड़े राज्यों में जनाधार खोने के कारण धर्मसंकट में फंसी कांग्रेस गठबंधन के सहयोगियों के प्रेशर पॉलिटिक्स में उलझ गई है। अगर पार्टी सहयोगी दलों की शर्त मानती है तो वह बामुश्किल 355 सीटों पर चुनाव लड़ पाएगी। पिछले चुनावों के रेकॉर्ड के अनुसार 545 सदस्यों वाली लोकसभा के लिए कांग्रेस हमेशा से ही 400 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। 2019 के चुनाव में पार्टी ने 421 कैंडिडेट उतारे थे, जिनमें 52 ही लोकसभा पहुंच पाए थे। 2014 में कांग्रेस ने 464 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे और 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों के साथ समझौता किया मगर अभी भी बंगाल, केरल, तमिलनाडु, बिहार और जम्मू कश्मीर में सीट शेयरिंग पर पेच फंसा है। सहयोगियों के डिमांड के कारण कांग्रेस असमंजस में उलझी है, जिस पर हामी भरना पार्टी के लिए आसान नहीं है। दूसरी ओर, सहयोगी दल प्रेशर बनाने के लिए समझौते से पहले ही सीटों पर कैंडिडेट का ऐलान कर रहे हैं।

बिहार से शुरू हुई प्रेशर पॉलिटिक्स महाराष्ट्र और बंगाल पहुंची

इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की प्रेशर पॉलिटिक्स बिहार से शुरू हुई, जहां सीटों शेयरिंग के विवाद के बाद जेडी यू नेता नीतीश कुमार गठबंधन से बाहर निकल गए। इंडिया में शामिल राजनीतिक दलों ने नीतीश कुमार के एग्जिट का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया। इसके बाद उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव ने समझौते से पहले ही 27 सीटों से कैंडिडेट का ऐलान कर दिया। आम आदमी पार्टी ने गुजरात में अपने कैंडिडेट की घोषणा कर दी। इस प्रेशर में कांग्रेस ने अखिलेश और अरविंद केजरीवाल की सभी शर्तें मान लीं। गुजरात में कांग्रेस गुजरात की दो लोकसभा सीट भरूच और भावनगर आप को दे दिया। इसके अलावा हरियाणा की कुरुक्षेत्र सीट भी दे दी। यूपी में भी कांग्रेस को 17 सीटों से संतोष करना पड़ा।

महाराष्ट्र, बंगाल और जम्मू कश्मीर में अभी भी फंसा हुआ सीट शेयरिंग पर पेच

बता दें जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी तीन सीटों से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुका है। इससे महबूबा मुफ्ती नाराज भी है। जम्मू कश्मीर में लोकसभा की 6 सीटें हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर की तीन सीटों पर दावा ठोक दिया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस को दो सीटों के ऑफर से आगे नहीं बढ़ रही हैं। तमिलनाडु में डीएमके कांग्रेस को 10 लोकसभा सीट देने के लिए राजी नहीं है। महाराष्ट्र में भी शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटों पर दावेदारी की है और वह कांग्रेस को 15 सीटें देने पर सहमत है। 23 सीट मांग रही शिवसेना (यूबीटी) अब कांग्रेस के लिए एक भी सीट छोड़ने के मूड में नहीं है। बंगाल में ममता बनर्जी दो सीट से ज्यादा देने को राजी नहीं है। यह माना जा रहा है कि कांग्रेस महाराष्ट्र और बंगाल में ऑफर को मंजूर कर सकती है।

केरल में गठबंधन को झटका, सीपीआई ने वायनाड से कैंडिडेट दिया

कांग्रेस को अगला झटका केरल में मिला है, जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने वायनाड लोकसभा सीट के लिए एनी राजा को कैंडिडेट घोषित कर दिया। एनी राजा सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। सीपीआई ने एनी राजा को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस को सीधी चुनौती दी है। 2019 में राहुल गांधी वाडनाड से सांसद चुने गए थे। उन्होंने 4.3 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। सीपीआई का दावा है कि केरल में इंडिया ब्लॉक का अस्तित्व नहीं है। केरल में एलडीएफ और यूडीएफ के बीच मुकाबला होता है। इस राज्य में सीपीआई एलडीएफ और कांग्रेस यूडीएफ का हिस्सा है। एलडीएफ गठबंधन में सीपीआई को वायनाड समेत चार सीटें दी गई हैं। सीपीआई तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर और मवेलिककारा में भी अपने कैंडिडेट उतारेगी। सीपीआई के कैंडिडेट घोषित करते ही राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने की चर्चा गरम हो गई। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी अब यूपी की अमेठी के साथ तेलंगाना या कर्नाटक की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।