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मधु तो कांग्रेस ने खाया, सांसद पत्नी के दामन थमते ही कोड़ा पर भाजपा के बदल गए सुर

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सिंहभूम/रांची.

कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा ने भाजपा का दामन थामा तो भ्रष्टाचार पर मधु कोड़ा को घेरने वाली भाजपा इस मामले में पूरी तरह साफ्ट हो गई। भाजपा की सदस्यता थामने के बाद गीता कोड़ा की मौजूदगी में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस ने मधु कोड़ा सरकार में स्वयं मधु खाया और मधु कोड़ा को कोड़ा खाने को छोड़ दिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी केवल सत्ता की भूखी पार्टी है। मधु कोड़ा के नेतृत्व में सरकार बनाकर कांग्रेस ने सारा मधु चट कर जाने के बाद गरीब आदिवासी को कोड़ा खाने के लिए छोड़ दिया।

बाबूलाल मरांडी ने मधु कोड़ा के सवाल पर कहा कि वह भाजपा से जुड़ें या नहीं, लेकिन वह हमेशा पार्टी के साथ ही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को आदिवासी हित की चिंता नहीं। केवल राजनीतिक लाभ के लिए वह आदिवासी हितैषी होने का ढोंग करती है। पहले शिबू सोरेन, लालू प्रसाद यादव, अहमद पटेल ने मिलकर आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन को लूटा फिर मधु कोड़ा को फंसाकर छोड़ दिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मधु कोड़ा की गिरफ्तारी के दौरान झारखंड भवन में मिले गोपनीय कागजात तथा बरामद गाड़ी में कांग्रेस और राजद के नेताओं के लूट में संलिप्तता के प्रमाण हैं, जिसे जनता के बीच उजागर होना चाहिए। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आदिवासी समाज से भी भेदभाव करती है। आज राज्य का सबसे बड़ा जमींदार शिबू सोरेन परिवार है। जिसके पास रातू, पद्मा महाराज से भी ज्यादा जमीन है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी आज हेमंत सोरेन को बचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है, हेमंत सोरेन को महंगे वकील के माध्यम से बचाने की हर संभव कोशिश करती है, जबकि मधु कोड़ा को अकेला भुगतने के लिए छोड़ दिया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गीता कोड़ा के पार्टी में आने से भाजपा का जनाधार न सिर्फ कोल्हान में, बल्कि पूरे झारखंड में बढ़ेगा।

सिंहभूम में 2009 से कोड़ा परिवार का दबदबा
कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में आने से सिंहभूम में भाजपा का प्रभाव बढ़ेगा। सिंहभूम सीट पर 2009 से कोड़ा परिवार का दबदबा रहा है। साल 2009 में मधु कोड़ा ने पहली बार निर्दलीय सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ा था। तब उन्हें 44.3 प्रतिशत वोट मिला था। उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बड़कुंवर गगराई को 28.8 प्रतिशत व कांग्रेसी दिग्गत बागुन सुब्रई को 16.5 फीसदी वोट हासिल हुआ था। मधु कोड़ा तब 89673 वोट से विजयी रहे थे। साल 2014 की मोदी लहर में गीता कोड़ा ने पहली बार जय भारत समानता पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें तब 27.1 फीसदी वोट मिला था। उस दौरान भाजपा के लक्ष्मण गिलुआ 38.1 प्रतिशत वोट लाकर विजयी रहे थे।

वहीं, कांग्रेस के चित्रसेन सिंकू तीसरे नंबर पर रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में गीता कोड़ा ने कांग्रेस का दामन थाम चुनाव लड़ा, तब वह 49.1 प्रतिशत वोट लाकर विजयी रहीं, वहीं गिलुआ को 40.9 प्रतिशत वोट मिला। कोड़ा परिवार का कब्जा जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर भी साल 2000 से रहा। पहली बार मधु कोड़ा भाजपा के टिकट पर जगन्नाथपुर से जीतकर बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में मंत्री बने थे। साल 2005 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय इस विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। 2009, 2014 में गीता कोड़ा ने जय भारत समानता पार्टी की टिकट पर जगन्नाथपुर सीट पर जीत दर्ज की। साल 2019 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं और सांसद बनीं तो परिवार के करीबी सोनाराम सिंकू को कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार बनाया, सिंकू इस सीट पर विजयी हो पहली बार विधानसभा पहुंचे।