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हंगरी की संसद ने नाटो में शामिल होने की मांग को मंजूरी दे दी है। इससे दो साल की गहन बातचीत के बाद स्वीडन के गठबंधन में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है, जिसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक झटके की तरह देखा जा रहा है। स्वीडन के नाटो में शामिल होने के लिए हंगेरियन संसद से मंजूरी हासिल करना अंतिम बाधा थी। संसंद मतदान करने वाले 194 सदस्यों में से केवल छह ने स्वीडन के नाटों में शामिल करने के खिलाफ वोट दिया। संसद में 188 वोट पक्ष में पड़े। वोट के तुरंत बाद स्वीडन के पीएम उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन यूरो-अटलांटिक सुरक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की सरकार ने जुलाई 2022 में नाटो में स्वीडन के प्रवेश को मंजूरी देने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों के विरोध के कारण ये पास नहीं हो सका था। नए देशों को प्रवेश देने के लिए सभी नाटो सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से समर्थन की आवश्यकता होती है। हंगरी इस गठबंधन के 31 सदस्यों में से आखिरी देश है। हंगरी पीएम ओर्बन ने कहा कि स्वीडन का नाटो में शामिल होना हंगरी की सुरक्षा को मजबूत करता है।
हंगरी पहुंचे थे स्वीडन के पीएम
लंबे समय तक स्वीडन की नीति अपने देश को तटस्थता की रक्षा के लिए एक मजबूत सेना की आवश्यकता पर जोर देने की रही। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद उसने अपने रक्षा खर्च में भारी कटौती की, जिससे उसका सैन्य ध्यान दुनिया भर में शांति अभियानों की ओर केंद्रित हो गया। सरकार के अनुसार, 1990 में रक्षा खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 प्रतिशत था, जो 2020 तक घटकर 1.2 प्रतिशत रह गया। मार्च 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद स्वीडन ने घोषणा की कि वह फिर से खर्च बढ़ाएगा। 2023 के अंत में स्वीडन की सरकार ने कहा कि सैन्य खर्च 2024 में दो प्रतिशत लक्ष्य से अधिक हो जाएगा।
स्वीडिश प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन हाल ही में हंगरी पहुंचे थे। उल्फ ने हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर शुक्रवार को बुडापेस्ट में चर्चा की थी। दोनों पक्ष एक समझौते पर सहमत होते हुए दिखाई दिए, जिसके तहत हंगरी को चार नए स्वीडिश-निर्मित ग्रिपेन लड़ाकू जेट मिलेंगे। दोनों पक्षों ने संबंधों को मंजबूत करने की भी बात कही।