मंदसौर
मंदसौर जिले के गरोठ-भानपुरा क्षेत्र के संतरे देशभर में मिठास फैला रहे हैं। यहां के खेतों में उगने वाला संतरे देश के कोने-कोने तक जाते हैं। कई बार तो गरोठ-भानपुरा और शामगढ़ क्षेत्र के संतरों ने विदेशों तक देश की मिट्टी की खुशबू मिठास के रूप में पहुंचाई है। यहां की मिट्टी संतरे की खेती के लिए करिश्माई है। मंदसौर जिले में गरोठ और भानपुरा तहसील के अनेक गांवों में संतरे की खेती होती है। वर्तमान में खेतों में बने बगीचों में संतरे पक गए हैं। डिमांड इतनी है कि खेतों में ही यूपी, हरियाणा, गुजरात सहित अन्य राज्यों के संतरों के बड़े व्यापारी खरीदारी के लिए पहुंचने लगे हैं।
मिट्टी और जलवायु संतरे की खेती के लिए उपयोगी
मंदसौर जिले में गरोठ और भानपुरा तहसील के अनेक गांवों में संतरे की खेती होती है। किसान बताते हैं कि मिट्टी और जलवायु संतरे की खेती के लिए बेहद उपयोगी है, इसलिए यहां के संतरों में एक अलग मिठास मिलती है और देशभर में यहां का संतरा पसंद किया जाता है। इन दिनों पेड़ों पर संतरे झूम रहे हैं।
एक पौधे पर ढाई से पांच क्विंटल तक होती है पैदावार
किसानों के अनुसार गरोठ-भानपुरा की मिट्टी संतरों की खेती के लिए बहुत उपयोगी और लाभकारी है। संतरे का पौधा लगाने के बाद चार साल में यह पेड़ बन जाता है और फल देने लगता है। किसानों के अनुसार एक पौधे पर कम से कम ढाई क्विंटल और अधिकतम पांच क्विंटल तक संतरों की पैदावार होती है। किसानों के अनुसार वर्तमान में 40 किलो संतरे का एक कैरेट 500 से 900 रुपये तक में बिक रहा है। जिन बगीचों में 500 से अधिक पौधे होते हैं व्यापारी सीधे वहीं खरीदी के लिए पहुंच जाते हैं और वहीं से लोडिंग वाहनों में भरकर संतरों को ले जाया जाता है।
व्यापारी खेतों में पहुंचने लगे
कोटड़ाबुजुर्ग और आसपास के अधिकांश किसानों के संतरों को खरीदने के लिए व्यापारी अब खेतों में ही पहुंचने लगे हैं। किसान पूर्व सरपंच बाबूलाल पाटीदार व श्याम पाटीदार ने बताया कि मप्र के साथ ही पानीपत (हरियाणा) व यूपी से व्यापारी अब तक आ चुके हैं। किसान संतोष बैरागी, काशीराम पाटीदार ने बताया अभी संतरा 15 से 20 रुपए किलो तक बिक रहा है। इसके अलावा किसान भवानीमंडी में संतरे बेचते हैं। अप्रैल माह तक संतरों की मंडी गुलजार रहेगी।
41 नंबर सबसे बड़ा और 96 और 205 नंबर सबसे छोटे कहलाते हैं
मंदसौर जिले के संतरों की देशभर से मांग के साथ ही वर्ष 2021 में यहां का संतरा नेपाल भी पहुंचा था। तुलसीराम गायरी ने बताया कि पूर्व में नेपाल तक हमारे यहां का संतरा गया है। इससे पहले भी कई देशों तक मंदसौर के संतरे पहुंचे हैं। खाने में ज्यूस में ही उपयोग होता है। 41 नंबर यानी बड़ा संतरा, 71 नंबर मीडियम एवं 96 और 205 छोटे संतरे कहलाते हैं। इन नंबरों के आधार पर दामों में अंतर हो जाता है।
मंदसौर के संतरों को इसलिए कहा जाता है नागपुरी संतरा
मंदसौर जिले से देशभर में पहुंचने वाला संतरा नागपुरी संतरा के नाम से पहचाना जाता है। किसान कमलेश प्रजापति ने बताया कि क्षेत्र में खेतों में संतरे के बगीचे तैयार करने के लिए किसान पौधे नागपुर से ही लाते है, नागपुर के पौधों को क्षेत्र की जमीन खूब भा रही है और उत्पादन भी खूब होता है। यही कारण है कि मंदसौर के संतरों को नागपुरी संतरा कहा जाता है। संतरे के उत्पादन के कारण ही मंदसौर को छोटा नागपुर भी कहा जाता है।