इस्लामाबाद.
पाकिस्तान ने ईरान के साथ गैस पाइपलाइन पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है। एनर्जी कैबिनेट कमेटी (सीसीओई) ने देश के भीतर ईरान-पाकिस्तान (आईपी) गैस पाइपलाइन परियोजना के 80 किलोमीटर खंड पर काम शुरू करने के लिए शुक्रवार को मंजूरी दी। समिति ने पेट्रोलियम डिवीजन की एक सिफारिश को मानते हुए शुरुआती फेज में पाकिस्तान-ईरान सीमा से ग्वादर तक परियोजना शुरू करने का समर्थन किया है। इंटर स्टेट गैस सिस्टम्स (प्राइवेट) लिमिटेड इस परियोजना को जमीन पर उतारने का काम करेगी। इसे फंड गैस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (जीआईडीसी) के माध्यम से मिलेगा।
कमेटी की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और बेहतर गैस आपूर्ति के माध्यम से स्थानीय उद्योग में विश्वास पैदा करने के लिए परियोजना के महत्व पर जोर दिया गया। इस परियोजना से बलूचिस्तान प्रांत में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का अनुमान है, जिससे पाकिस्तान की समग्र आर्थिक प्रगति में योगदान मिलेगा। पाकिस्तान के दूसरे विभागों ने भी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और अपने नागरिकों को गैस की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए इस योजना को अपनी सकारात्मक स्वीकृति दे दी है।
पाक पर लटकी थी जुर्माने की तलवार
पाकिस्तान की मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिर, इस्लामाबाद ने संभावित 18 बिलियन डॉलर के जुर्माने से बचने के लिए अपने क्षेत्र के भीतर 80 किलोमीटर की आईपी गैस पाइपलाइन परियोजना के पहले चरण को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमेबाजी से बचने के उद्देश्य से ईरान ने सितंबर 2024 तक 180 दिन का विस्तार दिया है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि पाइपलाइन परियोजना से संबंधित अपने अधिकारों की रक्षा के लिए ईरान द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है तो पाकिस्तान और ईरान के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने से अमेरिका के गुस्से का भी सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की ओर से ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। अमेरिका के गुस्से के जोखिम को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान ने तेहरान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए अपनी सीमाओं के भीतर आईपी गैस पाइपलाइन के निर्माण को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। पाकिस्तान में पीपीपी सरकार के दौरान दोनों देशों ने गैस बिक्री खरीद समझौते (जीएसपीए) पर हस्ताक्षर किए, जिससे पाकिस्तान आईपी परियोजना शुरू करने के लिए बाध्य हुआ। पाकिस्तान ने ईरानी तेल का आयात भी किया है। ये आपूर्ति 2010 में बंद हो गई जब पाकिस्तानी रिफाइनरियां भुगतान करने में विफल रहीं। हालांकि दोनों देशों के बीच भुगतान महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं था। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह पाकिस्तान और ईरान के बीच तेल और गैस व्यापार के संबंधों से अमेरिका की नाराजगी थी।