Home मध्यप्रदेश प्रभारी मंत्री नहीं होने से बदली व्यवस्था

प्रभारी मंत्री नहीं होने से बदली व्यवस्था

2

 भोपाल

लोकसभा चुनावों के लिए अगले महीने आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होना है और सांसदों और विधायकों की अनुशंसा पर दी जाने वाली जनसंपर्क निधि का वितरण इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर स्वीकृति देकर राशि वितरण के लिए कलेक्टर को प्रस्ताव भेजने वाले प्रभारी मंत्री ही नियुक्त नहीं हुए है। इसलिए अब राज्य सरकार ने ये अधिकार सीधे जिलों में कलेक्टरों को दे दिए है।

प्रदेश की हर विधानसभा में सांसद और विधायक 2.25 करोड़ रुपए जनसंपर्क निधि से आम नागरिकों को दे सकते है। इससे जरुरतमंद नागरिकों की छोटी-छोटी मदद हो जाती है। बीमारों के इलाज, कलामंडलियों को वाद्य यंत्र वितरण, स्कूल की फीस भरने और अन्य छोटे मामलों में सांसद-विधायक अनुशंसा करते है और यह अनुशंसा जिले के प्रभारी मंत्री के पास जाती है। प्रभारी मंत्री उसे स्वीकृत करते हुए कलेक्टर को वितरण के लिए फारवर्ड करते हैं। वितरण की व्यवस्था कलेक्टर ही देखते है।  मध्यप्रदेश में 13 दिसंबर को सीएम डॉ मोहन यादव ने कार्यभार संभाला था। उसके बाद 27 दिसंबर को मंत्रिमंडल विस्तार हो गया था।

लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब तक मंत्रियों को जिले के प्रभार नहीं दिए जा सके है। इसके कारण जनसंपर्क निधि से सांसद-विधायकों की अनुशंसा पर राशि वितरण का काम अटका हुआ था। इसको देखते हुए अब राज्य सरकार ने प्रभारी मंत्रियों की अनुपस्थिति में सीधे कलेक्टरों को अधिकार दे दिए है। सांसद-विधायक अब जनसंपर्क निधि के प्रस्ताव सीधे कलेक्टर को भेज सकेंगे और कलेक्टर स्वयं इस पर निर्णय लेकर इसका वितरण करा सकेंगे।
जीएडी ने जारी किए आदेश
सामान्य प्रशासन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जनसंपर्क निधि के अंतर्गत सांसदों और विधायकों की अनुशंसा पर पर राशि जारी करने के अधिकार आगामी आदेश तक संबंधित जिला कलेक्टर को सौंप दिए है।