वॉशिंगटन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की लगातार मांग हो रही है। भारत लंबे समय से यह मांग करता रहा है। अब सऊदी अरब ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। गाजा में तत्काल युद्धविराम की मांग वाले प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया था, जिसके बाद सऊदी के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को भारत का समर्थन किया। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वसनीयता और दोहरे मानकों के बिना अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार की अब पहले से ज्यादा जरूरत है।'
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने गुरुवार को चीन पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था में तत्काल बदलाव की जरूरत है। लेकिन यूएनएससी में सुधारों का सबसे बड़ा विरोधी को पश्चिमी देश नहीं है। रायसीना डायलॉग में एक पैनल डिस्कशन में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'जब यूएन बनाया गया था तो इसमें लगभग 50 सदस्य थे। अब इससे चार गुना सदस्य हैं। तो यह एक कॉमन सेंस की बात है कि यह पहले की ही तरह जारी नहीं रह सकता।'
चीन पर साधा निशाना
उन्होंने कहा, 'आज हम जहां भी हैं, उसके लिए पश्चिमी ताकत काफी हद तक जिम्मेदार है। नए लोगों को मदद नहीं दी गई। लेकिन अगर यूएनएससी में सुधार की बात होती है, तो इसमें सबसे बड़ा विरोधी को पश्चिमी देश नहीं है।' उन्होंने आगे कहा, 'हमें बदलाव के लिए समूह बनाने के लिए धीरे-धीरे संघर्ष करना होगा।' डॉ. जयशंकर का यह बयान तब आया है, जब यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चार ने भारत की पर्मानेंट सदस्यता का समर्थन किया है। जबकि चीन ने भारत के रुख के प्रति अस्पष्ट रुख अपनाया है।
अमेरिका पर भड़के इस्लामिक देश
गाजा में सीजफायर के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया था। इससे मुस्लिम देश नाराज हैं। खाड़ी सहयोग परिषद और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने इसे लेकर अफसोस जताया है। यही कारण है कि सऊदी अरब ने नाराजगी दिखाते हुए यूएनएससी में सुधार की मांग की है। अल्जीरिया की ओर से 20 फरवरी को यह प्रस्ताव लाया गया था। इसमें बिना शर्त सभी बंधकों की तत्काल रिहाई और साथ ही गाजा में निर्बाध मानवीय पहुंच की मांग की गई थी। यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने इजरायल से जुड़े प्रस्ताव को रोका है। दिसंबर की शुरुआत में भी यह रोका गया था।