कहीं चार तो कहीं छः महीने से नहीं हुआ मानदेय भुगतान,छः महीने पहले रैगुलर करने हुई घोषणा का अब तक भी नहीं हो पाया आदेश,प्रदेश के लाखों अतिथि शिक्षक चल रहे बेहद तनावग्रस्त
मंडला
मंडला जिले के मुख्यतः मवई और बिछिया विकासखंड के अतिथि शिक्षकों सहित जिले भर के अतिथि शिक्षक पदाधिकारियों ने 20 फरवरी मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर के हाथों दो अलग-अलग मुद्दों पर ज्ञापन सौंपा है।
अतिथि शिक्षक परिवार मंडला के संगठन सचिव संजय सिसोदिया ने बताया है,कि मुख्यमंत्री और कलेक्टर के नाम लिखे दो अलग-अलग ज्ञापनों में उनकी वर्षों से लंबित मांगों को जल्द ही पूरा करने की मांग भी सामिल है। मुख्यमंत्री के नाम लिखे ज्ञापन में छः महीने पहले की गई घोषणा अनुसार कार्यानुभवी अतिथि शिक्षकों को रैगुलर करने की मांग की गई है। कलेक्टर के नाम लिखे ज्ञापन में कई महीनों से लंबित मानदेय जल्द भुगतान कराने और कार्यानुभवी अतिथि शिक्षकों को किसी भी परिस्थिति में काम से नहीं निकाले जाने की मांग की गई है,तथा बढ़े हुए दर पर सितंबर से ही भुगतान कराये जाने की मांग की गई है।जिस पर मानदेय भुगतान को लेकर कलेक्टर सलोनी सिडाना का रुख विरोधाभासी रहा।उनका कहना था कि अतिथि शिक्षकों को कोई जबरदस्ती काम नहीं करा रहा है। सभी अपने मर्जी से काम कर रहे हैं।जब बजट आएगा तब भुगतान किया जाएगा। कलेक्टर के इस तरह जवाब से उपस्थित सभी अतिथि शिक्षकों में कुछ देर के लिए खौफ का माहौल बन गया।
मवई विकासखंड से अतिथि शिक्षकों के मार्गदर्शन करने पहुंचे समाजसेवी इंद्रेश साकत ने कहा,कि अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में काम करते दो महीने बाद सत्र ही समाप्त हो जाना है,बावजूद इसके उनको सिर्फ एक ही बार मानदेय का भुगतान हुआ है।अक्टूबर 2023 से भुगतान बाकी है।जिसके कारण अतिथि शिक्षकों के परिवारों में भारी आर्थिक तंगी चल रही है।ये लोग उधार मांग-मांगकर परिवार का खर्च चलाने मजबूर हैं।अत्यंत कम मानदेय मिलने के कारण उधार देने वाले लोग भी समय पर उधारी जमा नहीं कर पाने के कारण उधार भी देना बंद कर दिए हैं। अतिथि शिक्षकों की माली हालत दिनों दिन अब और भी बिगड़ती जा रही है। अतिथि शिक्षकों को जनवरी 2024 तक का मानदेय का भुगतान जल्द से जल्द कराये जाकर उनका सहयोग करना बहुत आवश्यक है।
जिला संगठन के कोषाध्यक्ष उदय झरिया ने कहा है,कि प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों की महापंचायत भोपाल में 2 सितंबर 2024 को बुलाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें रैगुलर करने से संबंधित घोषणा करते हुए कहा था,कि शिक्षा गारंटी गुरुजियों की तरह अतिथि शिक्षकों की विभागीय परीक्षा लेकर सभी कार्यानुभवी अतिथि शिक्षकों को शिक्षक बनाया जाएगा। बावजूद इसके छः महीने गुजर गये अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।जिसके कारण प्रदेश के लगभग अस्सी हजार अतिथि शिक्षक परिवार अपने आपको ठगा हुआ और इस अधिकारिक घोषणा को लॉलीपॉप सा अनुभव कर रहे हैं।
मवई संगठन से संगठन पदाधिकारी त्रिवेणी चक्रवर्ती ने बताया है,कि सरकार के द्वारा चलाई जा रही शिक्षक भर्ती,स्थानांतरण और पदोन्नति जैसी वोटबैंक बनाने वाली लॉलीपॉप नीतियों के चलते दस-पंद्रह वर्षों से लगातार काम करते आ रहे हजारों अतिथि शिक्षकों को काम से अलग किये जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। जिसके कारण जीवन का महत्वपूर्ण समय बहुत ही कम मानदेय पाकर भी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण काम व सरकार की सेवा करने में देते आ रहे अतिथि शिक्षकों के परिवारों का जीवन अब अंधकारमय बन गया है।
मवई संगठन से ही कृष्ण कुमार वल्के का कहना है,कि सरकार की दोगली किस्म की नीतियों के चलते सैकड़ों अतिथि शिक्षकों ने मानसिक तनावग्रस्त होकर या तो आत्महत्या कर लीं या फिर किसी दुर्घटनाओं के गिरफ्त में आकर कालकवलित हो गये। बहुत सारे अतिथि शिक्षकों ने तो लंबी बीमारियों के चलते आर्थिक अभाव में रहकर इलाज नहीं करा पाने के कारण प्राण तक दे दिए।
अतिथि शिक्षक परिवार मंडला जिला अध्यक्ष एवं अतिथि शिक्षक समन्वय समिति मध्यप्रदेश के संस्थापक पी.डी.खैरवार ने कलेक्टर मंडला का ध्यानाकर्षण कराया है,कि लंबे समय से रुके हुए मानदेय दिलाये जाने इसके पंद्रह दिन पहले जनसुनवाई में और एक महीने पहले कलेक्ट्रेट के आवक-जावक में पहुंचकर आवेदन किया गया है। जनसुनवाई में तो जल्द ही कार्यवाही कराये जाने आस्वस्त भी किया गया था। बावजूद इसके जमीनी स्तर पर काम करने वाले छोटे कर्मियों की मेहनत और चार-चार महीने बिना भुगतान के उनके परिवारों की स्थितियों पर तनिक भी विचार नहीं कर अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही से अवगत नहीं कराया जाना जिले के सर्वोच्च पद पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी की उदासीनता जैसी है। जनजाति विभाग के जिला प्रमुख सहायक आयुक्त जागेत से भी लगभग एक महीने पहले आवेदन निवेदन किया जा चुका है। उन्होंने भी मानदेय में आ रही विसंगतियों को दूर करने आस्वस्त किया था। बावजूद इसके उनके द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।ऐसे आला-अधिकारियों के इस तरह से नजरंदाजी रवैए के खिलाफ आवश्यकता पड़ी तो जल्द ही पुरजोर विरोध भी किये जाने विचार किया जा सकता है।
ज्ञापन कार्यवाही के दौरान मुख्य रूप से उदय झरिया,संजय सिसोदिया,इंद्रेश साकत,कृष्ण कुमार वल्के,संदीप झारिया,तारेंद्र कुमार सैयाम,हेमन्त सोनवानी, जगदीश बघेल,मत्ततू पन्द्रे,लखन बघेल, सन्तोष मांडवे,दशरथ मरावी,उमेश मोगरे,त्रिवेणी चक्रवर्ती,रेशमा खान,सियावती,मुकेश दुबे,रिखीराम मार्को,सुंदर लाल परस्ते सामिल रहे।