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अब 15 राज्यसभा सीटों के लिए होगा चुनाव, 41 पर उम्मीदवार निविर्रोध चुने गए

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नईदिल्ली
लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे राज्यसभा चुनावों की चर्चा जोरों पर है. 56 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है, लेकिन नाम वापसी की अंतिम तारीख बीतने के साथ ही 41 सीटों पर तस्वीर साफ हो गई है. अलग-अलग राज्यों की 41 सीटों के लिए 41 ही उम्मीदवार मैदान में थे. इन सभी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया है. अब 15 राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा.

41 उम्मीदवार चुने गए निर्विरोध
मंगलवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए 41 उम्मीदवारों में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, पार्टी में नए शामिल हुए अशोक चव्हाण और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वष्णव और एल मुरुगन शामिल हैं. हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश की शेष 15 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा. बात जब निर्विरोध चुनाव जीतने की हो रही है तो भाजपा ने यहां भी सबसे आगे रहने का झंडा बुलंद किया है.

बीजेपी को हासिल हुईं 20 सीटें, सबसे अधिक
सत्तासीन पार्टी को राज्यसभा में अभी तक सबसे अधिक 20 सीटें हासिल हुई हैं. इसके बाद कांग्रेस ने (6), तृणमूल कांग्रेस (4), वाईएसआर कांग्रेस (3), राजद (2), बीजेडी (2) और एनसीपी, शिव सेना, बीआरएस और जेडी ( यू) को एक-एक सीटें मिली हैं. चूंकि इन 41 सीटों पर कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं थे, इसलिए संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों ने नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख पर उन्हें विजेता घोषित कर दिया.

गुजरात से जेपी नड्डा भी निर्विरोध निर्वाचित
नड्डा और तीन अन्य भाजपा प्रत्याशियों-जसवंतसिंह परमार, मयंक नायक और हीरा कारोबारी गोविंदभाई ढोलकिया को गुजरात से विजेता घोषित किया गया. राजस्थान से, सोनिया गांधी निर्विरोध चुनी गईं, साथ ही भाजपा के चुन्नीलाल गरासिया और मदन राठौड़ भी निर्विरोध चुने गए. महाराष्ट्र के सभी छह उम्मीदवार – भाजपा के चव्हाण, मेधा कुलकर्णी और अजीत गोपछड़े; शिवसेना के मिलिंद देवड़ा, जिन्होंने पिछले महीने कांग्रेस छोड़ दी थी, प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी) और चंद्रकांत हंडोरे (कांग्रेस) को निर्विरोध चुना गया.

जदयू के संजय कुमार झा भी जीते
बिहार में जदयू के संजय कुमार झा, भाजपा के धर्मशीला गुप्ता और भीम सिंह, राजद के मनोज कुमार झा और संजय यादव और कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह जीते. पश्चिम बंगाल से टीएमसी की सुष्मिता देव, सागरिका घोष, ममता ठाकुर और भाजपा के मोहम्मद नदीमुल हक और समिक भट्टाचार्य को विजेता घोषित किया गया. केंद्रीय मंत्री मुरुगन, वाल्मिकी धाम आश्रम के प्रमुख उमेश नाथ महाराज, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर और मध्य प्रदेश बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष माया नारोलिया ने मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए चार सीटें हासिल कीं, जबकि कांग्रेस के अशोक सिंह भी निर्विरोध जीते.

अश्विनी वैष्णव भी राज्यसभा भेजे गए
ओडिशा से केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (भाजपा) और बीजद के देबाशीष सामंत्रे और सुभाशीष खुंटिया ने जीत हासिल की. वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवारों, जी बाबू राव, वाई वी सुब्बा रेड्डी और एम रघुनाथ रेड्डी  ने आंध्र प्रदेश की सभी तीन सीटें जीतीं, जबकि पड़ोसी तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस को दो सीटें – रेणुका चौधरी और अनिल कुमार यादव – और बीआरएस को एक सीट मिली, जिस पर वी रविचंद्र को जीत मिली है. उत्तराखंड में भाजपा उम्मीदवार (महेंद्र भट्ट), सुभाष बराला (हरियाणा), देवेंद्र प्रताप सिंह (छत्तीसगढ़) निर्विरोध चुने गए.

किसे कहां से भेजा गया राज्यसभा

नेता पार्टी प्रदेश
जेपी नड्डा   बीजेपी   गुजरात
जसवंतसिंह परमार बीजेपी गुजरात
मयंक नायक बीजेपी  गुजरात
हीरा कारोबारी गोविंदभाई ढोलकिया बीजेपी गुजरात
सोनिया गांधी कांग्रेस  राजस्थान
चुन्नीलाल गरासिया कांग्रेस राजस्थान
मदन राठौड़ कांग्रेस राजस्थान
अशोक च्वाहण बीजेपी महाराष्ट्र
मेधा कुलकर्णी बीजेपी  महाराष्ट्र
अजीत गोपछड़े बीजेपी महाराष्ट्र
मिलिंद देवड़ा  शिवसेना महाराष्ट्र
प्रफु्ल्ल पटेल एनसीपी महाराष्ट्र
चंद्रकांत हंडोरे कांग्रेस महाराष्ट्र
संजय कुमार झा जेडीयू बिहार
धर्मशील गुप्ता बीजेपी बिहार
भीम सिंह बीजेपी बिहार
मनोज कुमार झा राजद बिहार
संजय यादव राजद बिहार
अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस बिहार
सुष्मिता देव TMC पश्चिम बंगाल
सागरिका घोष  TMC पश्चिम बंगाल
ममता ठाकुर TMC पश्चिम बंगाल
मोहम्मद नदीमुल हक बीजेपी पश्चिम बंगाल
समिक भट्टाचार्य बीजेपी पश्चिम बंगाल
केन्द्रीय मंत्री एल मुरुगन बीजेपी मध्य प्रदेश
माया नारोलिया                 बीजेपी मध्य प्रदेश
बंशीलाल गुर्जर   बीजेपी मध्य प्रदेश
बालयोगी उमेश नाथ  बीजेपी मध्य प्रदेश
अशोक सिंह  कांग्रेस मध्य प्रदेश
अश्विनी वैष्णव बीजेपी ओडिशा
देबाशीष सामंत्रे बीजद ओडिशा
सुभाशीष खुंटिया बीजद ओडिशा
जी बाबू राव   YSR आंध्र प्रदेश
वाई वी सुब्बा रेड्डी YSR आंध्र प्रदेश
एम रघुनाथ रेड्डी  YSR आंध्र प्रदेश
महेंद्र भट्ट बीजेपी उत्तराखंड
सुभाष बराला बीजेपी हरियाणा
देवेंद्र प्रताप सिंह बीजेपी छत्तीसगढ़
रेणुका चौधरी कांग्रेस  तेलंगाना
अनिल कुमार यादव कांग्रेस तेलंगाना
वी रविचंद्र BRS तेलंगाना

 

 

 

 

अब होना है 15 सीटों पर मुकाबला
56 में से 41 सीटों पर निर्विरोध प्रत्याशी चुने जाने के बाद अब  बाकी बची 15 सीटों पर मुकाबला होना है. इन 15 सीटों पर 27 फरवरी को चुनाव होने हैं और इन पर कड़ा मुकाबला भी होगा. जिन 15 सीटों पर चुनाव होने हैं, वह उत्तर प्रदेश के साथ ही कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश है. इससे राज्यसभा की चुनावी जंग रोचक बन गई है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कहां,किस तरह का पेच फंसा है. 

यूपी में एक सीट पर घमासान
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी की सात और सपा की तीन सीटों पर जीत तय मानी जा रही थी लेकिन सत्ताधारी दल के आठवां उम्मीदवार उतारने से एक सीट की लड़ाई रोचक हो गई है. 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा की स्ट्रेंथ इस समय 399 है और चार सीटें रिक्त हैं. 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में एक उम्मीदवार की जीत के लिए प्रथम वरीयता के 37 वोट की जरूरत होगी. 

क्या बैठ रहा है सियासी गणित?
बीजेपी को अपने सभी आठ उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए 296 विधायकों के प्रथम वरीयता के वोट की जरूरत होगी. पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 286 विधायकों का समर्थन है जो जरूरी संख्याबल से 10 कम है. वहीं, सपा को अपने सभी तीन उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए 111 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. 

सपा के 108, कांग्रेस के दो और बसपा का एक विधायक है. अगर सभी सपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें तो पार्टी की तीसरी सीट आराम से निकल सकती है लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा. अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने दो टूक कह दिया है कि वह बच्चन और रंजन को वोट नहीं देंगी. अब कांग्रेस और सपा की राहें भी सूबे में जुदा होती नजर आ रही हैं. ऐसे में अगर कांग्रेस किनारा कर लेती है, पल्लवी पार्टी उम्मीदवार को वोट नहीं देती हैं और बसपा का भी साथ नहीं मिलता है तो सपा नंबरगेम में 107 वोट तक पहुंचती नजर आ रही है.

यूपी में सपा और जनसत्ता दल की बढ़ती नजदीकियों से एक समीकरण यह भी बन रहा है कि अगर कांग्रेस और राजा भैया की पार्टी, दोनों के दो-दो विधायक सपा के पक्ष में मतदान करते हैं तो पार्टी की तीसरी सीट निकल सकती है. जनसत्ता दल कई अहम मौकों पर बीजेपी के साथ खड़ी नजर आई है लेकिन एक दिन पहले ही सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने राजा भैया से मुलाकात की थी. इसके बाद राजा भैया के सुर भी सपा को लेकर नरम नजर आए हैं.

हिमाचल प्रदेश में क्या रहेगा हाल?
हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के लिए वोटिंग होनी है. यहां विधानसभा में कुल 68 सदस्य हैं. ऐसे में एक उम्मीदवार की जीत के लिए प्रथम वरीयता के 35 वोट की जरूरत है. कांग्रेस का संख्याबल 40 है और तीन निर्दलीय विधायक भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की जीत प्रथम वरीयता के 43 वोट के साथ सुनिश्चित मानी जा रही है. कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के सामने बीजेपी ने हर्ष महाजन को उतार दिया है. हर्ष भी कांग्रेस से ही बीजेपी में आए थे, ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस के कुछ विधायक महाजन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. जयराम ठाकुर के इस दावे ने भी कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है कि पार्टी लाइन से हटकर भी कुछ विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं.

कर्नाटक की एक सीट पर भी मुश्किल
कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस से तीन और बीजेपी-जेडीएस गठबंधन से दो उम्मीदवार मैदान में हैं. विधानसभा के नंबरगेम और वोटों के गणित की बात करें तो 224 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 135 विधायक हैं. बीजेपी के 66 और जेडीएस के 19 विधायक हैं. दोनों का संख्याबल 85 पहुंचता है. दो निर्दलीय समेत अन्य के भी चार विधायक हैं. अब वोटों के गणित की बात करें तो एक उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए 45 विधायकों के प्रथम वरीयता वाले वोट की जरूरत होगी.

कांग्रेस को अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रथम वरीयता के 135 वोट की जरूरत होगी जो उसके पास है भी. लेकिन बीजेपी-जेडीएस के दूसरा उम्मीदवार उतारने से गणित उलझ गया है. दरअसल, बीजेपी-जेडीएस गठबंधन का संख्याबल 85 है जो दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए जरूरी 90 से पांच कम है. अब अगर अन्य के चार विधायक बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के पक्ष में मतदान कर देते हैं तो गठबंधन के पास दूसरी सीट के लिए प्रथम वरीयता के 44 वोट होंगे जो जरूरी वोट से एक कम है.

ऐसे में कांग्रेस का एक विधायक भी अगर बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर दे या दो विधायक वोटिंग से दूरी बना लें तो विपक्षी गठबंधन के दूसरे उम्मीदवार की जीत भी सुनिश्चित हो सकती है. कांग्रेस भी यह गणित समझ रही है और यही वजह है कि कर्नाटक में पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले एक-एक विधायक को गोलबंद रखने के लिए खुद मोर्चा संभाल लिया है.