जयपुर.
प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था को IFMS 3.0 पर शिफ्ट करने की अफसरों की जल्दबाजी से कर्मचारियों को खुद के नुकसान की आशंका है। प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मौजूदा वित्त वर्ष में इस पर रोक लगाने और पुरानी प्रणाली से ही वेतन बिल जनरेट करवाए जाने की मांग की है। दरअसल वित्त विभाग की ओर से फरवरी में आदेश जारी किए गए थे कि सरकारी कर्मचारियों का मास्टर डेटा, रजिस्ट्रेशन, वेतन बिल जनरेश व कार्यालय अध्यक्ष घोषित करने की प्रक्रिया IFMS 3.0 पर शिफ्ट कर दी जाए।
अब इस संबंध में ज्यादातर कार्यालयों में डेटा माइग्रेशन काम पूरा ही नहीं हो पाया और न ही कर्मचारियों के पास इसे चलाने की पूरी ट्रेनिंग है। ऐसे में शिक्षक संघ ने इस बात की आशंका जताई है कि प्रोजेक्ट को लागू करने की जल्दबाजी का असर उनके वेतन बिलों पर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त 1 अप्रैल 2023 से कई कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारियों का ग्रेड पे परिवर्तन भी हो चुका है, जिसका एरियर फरवरी और मार्च 2024 में बनना है ताकि यह राशि इनकम टैक्स में शामिल की जा सके। इस संबंध में सबसे पहले अमर उजाला ने ही इस मुद्दे को उठाया था कि IFMS 3.0 के चलते कर्मचारियों के वेतन बिल और आयकर कटौती प्रभावित हो सकती है।
42 करोड़ का एक और टेंडर
देखा जाए तो पूरा मामला टेंडरों से जुड़ा है। सरकार की पूरी वित्तीय व्यवस्था ट्रेजरी, राजकोष, ईग्रास, पे मैनेजर, आईएफएमएस पर चलती है, जिसे केंद्र सरकार की एजेंसी NIC ने डवलप किया है। अब NIC ने इस वित्तीय प्रणाली के अपडेट वर्जन आईएफएमएस 3.0 के लिए राज्य सरकार को 65 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया था लेकिन वित्त विभाग इस प्रस्ताव को दरकिनार कर प्राइवेट सेक्टर के जरिए पूरे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को बदलना चाहता है। इसमें करीब 1100 करोड़ रुपए की लागत अनुमानित है। सीएजी ने इस पूरे प्रोजेक्ट को अपनी सालाना जांच के दायरे में ले रखा है, इसके बावजूद वित्त विभाग ने राजकॉम्प को IFMS 3.0 के लिए 42 करोड़ रुपये का नया टेंडर जारी करने के लिए कहा है।