मुंबई
महाराष्ट्र कैबिनेट ने मंगलवार (20 फरवरी) को मराठाओं को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है। सरकार के प्रस्ताव में मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और रोजगार में 10 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई है। इससे राज्य में मराठाओं के रिजर्वेशन की सीमा 50 प्रतिशत से ऊपर हो जाएगी।
यह बिल अब विधान परिषद और फिर विधानसभा में पेश किया जाएगा। मराठा आरक्षण को लेकर आज विधानमंडल का विशेष सत्र आयोजित किया गया है। मराठा आरक्षण पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (SEBC) की रिपोर्ट दोपहर 1 बजे विधानमंडल के पटल पर रखी जाएगी।
हालांकि, मुद्दे पर मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि मसौदे में मराठाओं की मांग को पूरा नहीं किया गया है। आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत के ऊपर जाएगी और सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द कर देगा। हमें ऐसा आरक्षण चाहिए जो ओबीसी कोटे से हो और 50 प्रतिशत के नीचे रहे।
जरांगे ने कहा- सरकार हमें मूर्ख न बनाए। अगर ओबीसी कोटे से मराठाओं को आरक्षण नहीं मिला तो हमारा आंदोलन और तेज होगा। हम विधानमंडल के विशेष सत्र में हमारी मांगों पर विचार हो रहा है या नहीं, हम देखेंगे।
महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने सौंपी मराठा सर्वे रिपोर्ट
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार (16 फरवरी) को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर आधारित सर्वे रिपोर्ट सरकार सौंपी थी। आयोग के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस सुनील शुक्रे ने सीएम शिंदे को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट पर CM शिंदे ऑफिस की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया था कि सर्वे के निष्कर्षों पर राज्य कैबिनेट की बैठक में 20 फरवरी को चर्चा की जाएगी।
महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन दिसंबर में रिटायर्ड जज सुनील शुकरे के नेतृत्व में किया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि राज्य में मराठा समुदाय के पिछड़ेपन का अध्ययन किया जाए। मराठा कोटे की मांग करने वाले आंदोलनकारी मनोज जारांगे पाटिल के नेतृत्व में लंबा आंदोलन चला था। इसके बाद ही सरकार ने आयोग का गठन किया। महाराष्ट्र में पेश इस बिल में मराठा कोटे का प्रस्ताव रखते हुए कहा गया है कि तमिलनाडु में 69 फीसदी का आरक्षण मिल रहा है। इस बिल में इंदिरा साहनी मामले का भी जिक्र किया गया, जिसमें तमिलनाडु के केस को अपवाद माना गया था।
बता दें कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने 1.58 लाख परिवारों का राज्य भर में सर्वे किया है। उसके बाद मराठा समुदाय के पिछड़े होने के संबंध में रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि मराठा समुदाय के 21.22 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बस कर रहे हैं, जबकि राज्य का औसत 17.4 फीसदी ही है। इसके अलावा राज्य में आत्महत्या करने वाले किसानों में 94 फीसदी मराठा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले होते हैं।