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तीन कर्जदारों ने इंडियन ओवरसीज बैंक को लाखों का लगाया चूना

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कोरबा। तीन कर्जदारों ने सराफा कारोबारी से सांठगांठ कर पीतल को सोना बताकर आभूषण के बदले इंडियन ओवरसीज बैंक से ऋण ले लिया। सोची-समझी रणनीति के तहत मिलीभगत कर इंडियन ओवरसीज बैंक को लाखों का चूना लगाया गया है। इसकी शिकायत रामपुर चौकी में दो माह पहले की गई थी लेकिन अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत तात्कालीन चौकी प्रभारी ने आवेदन को ही दबाकर आरोपियों को संरक्षण दिया। सोने के आभूषण पर बैंक प्रबंधन अपने ग्राहकों को लोन देता है। इसके लिए बैंक ने नियम कायदे बना रखे हैं। इसे पूरा करने पर ही आभूषण पर लोन ग्राहकों को मिलता है। शहर के निहारिका कोसाबाड़ी क्षेत्र में इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखा संचालित है। अलग-अलग समय में यहां से तीन व्यक्ति क्रमश: श्यामलेन्दु मृधा निवासी मकान नंबर 205, मृधा पोल्ट्रीफार्म के पास रूमगरा, श्यामल दास निवासी मकान नंबर 299 पोड़ीबहार व मुलता दास निवासी मकान नंबर 229 पोड़ीबहार व आभूषण के मूल्यांकन कर्ता सराफा कारोबारी अनूप मजूमदार निवासी एलआईजी- 104 शिवाजी नगर ने सोना की जगह पीतल देकर आभूषण ऋण का लाभ उठाया। नकली आभूषण बैंक के लॉकर में गिरवी रखवाए। यह बिना किसी मिलीभगत या सांठगांठ के संभव नहीं था। इस ठगी के कार्य में आभूषण मूल्यांकन कर्ता ने पूरा साथ दिया व पीतल को सोना प्रमाणित कर लाखों का ऋण दिलवाया। इसकी जानकारी नवपदस्थ शाखा प्रबंधक को होने पर रामपुर चौकी में शिकायत दर्ज कराई। बैंक प्रबंधन से धोखाधड़ी करने के गंभीर मामला होने के बावजूद तात्कालीन चौकी प्रभारी एसआई केसर पराग ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। दूसरी ओर मीडिया के जानकारी लेने पर इस तरह की शिकायत मिलने से इनकार करते हुए आरोपियों को संरक्षण देते रहे। आभूषण के बदले बैंक से लाखों की ठगी करने के मामले होने के बावजूद दो माह के लंबे अंतराल बाद भी अब तक कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है, जो कई सवाल खड़े कर रहे हैं। पुलिस अधीक्षक के तबादला आदेश उपरांत केसर पराग के स्थान पर अशोक शर्मा की नियुक्ति हुई, तब भी इस शिकायत को नवपदस्थ चौकी प्रभारी से छिपाया गया। चौकी प्रभारी शर्मा ने बताया कि उन्हें शिकायत की प्रति न तो मिली है और न ही प्रभार सौंपते वक्त या बाद में उक्त शिकायत के बारे में बताया गया। ऐसी संभावना है कि ठगबाजों को बचाने शिकायत की प्रति ही गायब कर दी गई है। सोने की जगह पीतल थमाकर लोन लेकर लाखों की ठगी करने का कारनामा जून 2015 से 29 अगस्त 2018 के मध्य हुआ। इस अवधि में शाखा प्रबंधक देवव्रत साहू थे। उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जब कर्जदारों ने निर्धारित समय पर ब्याज व कर्ज की अदायगी नहीं किया तो बैंक प्रबंधन ने तलब किया लेकिन इसके बावजूद वे सामने नहीं आए। इसके बाद लोन की प्रक्रिया में ठगी का संदेह हुआ। इसी बीच मामला बैंक के आॅडिट में उजागर होने पर शाखा प्रबंधक देवव्रत साहू का तबादला महाराष्ट्र प्रांत के तनोई (मुंबई) ब्रांच कर दिया गया। उड़ीसा प्रांत के रायगढ़ा जिले में रमनागुड़ा शाखा से स्थानांतरित कर नंद किशोर बोड्रा कोरबा भेजे गए। उन्होंने 29 अगस्त 2018 को पद संभाला। उनके पदस्थापना के बाद आभूषण ऋण की यह बड़ी गड़बड़ी आई तो अपने स्तर पर पड़ताल कर ऋण वापसी के लिए प्रबंधक बोड्रा ने 12 दिसंबर 2018 को लिखित शिकायत रामपुर पुलिस चौकी में दर्ज कराई। शाखा प्रबंधक ने बताया कि 13 दिसंबर 2018 को शिकायत उपरांत अभी तक एफआईआर दर्ज होने की सूचना उन्हें नहीं दी गई है। हालांकि पुलिस ने जांच शुरू कर बयान जरूर दर्ज किया है। वे चाहते हैं कि सभी के विरूद्ध जल्द कार्रवाई कर उनकी गिरफ्तारी की जाए। शाखा प्रबंधक के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार एक आरोपी ने एक बार, दूसरे ने दो बार व तीसरे ने तीन बार नकली सोना को असली प्रमाणित करवाकर ऋण लिया है। कर्ज की यह राशि 5 लाख से लेकर 18 लाख के मध्य है। तीन बार लोन की प्रक्रिया अपनायी गई लेकिन एक बार भी आभूषण की जांच में संदेह नहीं हुआ। इससे भी सांठगांठ को बल मिलता है। जांचकर्ता एएसआई जागेश्वर शुक्ला ने 5 लाख के लोन की बात बताई है किंतु आंकड़ा पूरी तरह से शिकायत पढ़ने के बाद ही स्पष्ट करने की बात कही है। बैंक प्रबंधन सोने की पहचान कराने सराफा कारोबार से जुड़े अनुभवी लोगों को नियुक्त करते हैं। आभूषण पर लोन देने के पहले बैंक प्रबंधन द्वारा नियुक्त किए गए सराफा कारोबारी से जांच कराते हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक द्वारा निहारिका क्षेत्र मेंं सराफा कारोबारी अनूप मजुमदार को रखा गया है। उसने बैंक प्रबंधन के भरोसे का बेजा फायदा उठाकर सांठगांठपूर्वक आभूषण ऋण दिलाने के लिए उनके नकली आभूषण (संभवत: पीतल निर्मित) का सोना बताकर मूल्यांकन बाद ऋण दिलाया गया। मजूमदार जो बंगाल से वास्ता रखता है उसने आभूषण ऋण बंगाल प्रांत के लोगों को दिलाया है जो उनके करीबी होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। एएसपी जयप्रकाश बढ़ई ने कहा कि पूरे मामले को देखने के बाद वे कुछ कह पाएंगे। जिस तरह से यह बातें सामने आई है उसके हिसाब से मामला गंभीर है। शिकायत की जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई होगी।