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गीर्ट विल्‍डर्स ‘आजादी पसंद करने वाले लोगों को नूपुर शर्मा का समर्थन करना चाहिए’

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एम्सटरडैम
 नीदरलैंड में प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल नेता गीर्ट विल्डर्स ने एक बार फिर पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा का समर्थन किया है। विल्डर्स ने एक ट्वीट करते हुए नूपुर की तारीफ की है और उनसे मिलने की ख्वाहिश जाहिर की है। नूपुर शर्मा का विल्डर्स ने करीब दो साल पहले भी खुलेतौर पर समर्थन किया था, जब उनकी पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर तीखी आलोचना हो रही थी। इस बयान के बाद भाजपा ने नूपुर को पार्टी से निकाल दिया था। गीर्ट ने तब कहा था कि नूपुर की आलोचना और उन पर कार्रवाई बेबुनियाद है क्योंकि उसने कुछ भी गलत नहीं बोला है। अब एक बार फिर उन्होंने नूपुर को समर्थन दिया है।

गीर्ट विल्डर्स ने शनिवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, "मैंने नूपुर शर्मा का समर्थन करते हुए उसे निजी तौर पर मैसेज भेजा है। वह एक बहादुर लड़की है जिन्हें केवल सच बोलने के लिए कई साल से इस्लामिस्ट लगातार धमकियां दे रहे हैं। दुनिया भर में आजादी पसंद करने वाले लोगों को उनका समर्थन करना चाहिए। मैं जब भारत का दौरा करूंगा तो मुझे उम्मीद है कि मैं उनसे मुलाकात जरूर करूंगा।"
इस्लाम विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं गीर्ट

गीर्ट विल्‍डर्स की ओर से बीते कुछ सालों में लगातार इस्लाम विरोधी बयानबाजी की गई है। चुनावों के दौरान भी इस्लाम और मुस्लिमों का विरोध गीर्ट की पार्टी के प्रचार अभियान का हिस्सा रहा था। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंनेइस्लामिक हेडस्कार्फ पहनने को गैरकानूनी घोषित करने, मस्जिदों को बंद करने और कुरान पर प्रतिबंध लगाने जैसे वादे किए थे। जिनकी कई देशों और संगठनों ने आलोचना भी की थी। चुनाव के बाद भी उन्होंने मुस्लिमों को लेकर कई बयान दिए हैं। अपने बयानों को लेकर वह कई मुकदमों का भी सामना करते रहते हैं।

विल्डर्स के दल पीवीवी ने बीते साल नवंबर में हुए चुनाव में सभी को चौंकाते हुए 37 सीटें जीतीं थीं। नीदरलैंड की ससंद में बहुमत के लिए 76 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में बहुमत तक पहुंचने के लिए दूसरे दलों के समर्थन की कोशिश में हैं। उनकी हाल के समय में एनएससी, बीबीबी एग्रेरियन पार्टी और सेंटर-राइट वीवीडी पार्टी से सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत चल रही है। हालांकि एनएससी ने हाल ही में उनके साथ गठबंधन में जाने हाथ खींच लिए हैं। जिससे गीर्ट के पीएम बनने की संभावना को भी झटका लगा है। आने वाले कुछ दिनों में नीदरलैंड में राजनीतिक स्थिति साफ हो सकती है।