- छत्तीसगढ़ विधानसभा में गर्माया ऑनलाईन महादेव सट्टा घोटाला
- भाजपा के वरिष्ठ विधायक राजेश मूणत और रिकेश सेन ने अपनी ही पार्टी से कार्यवाही को लेकर कर दी मांग
- आनंद छाबड़ा, आरिफ शेख, अभिषेक माहेश्वरी और संजय ध्रुव को सट्टा खिलाने के लिए 05 लाख से लेकर 50 लाख रुपए प्रति महीने मिलते थे!
- छत्तीसगढ़ और देश के खिलाफ काम करने वालों पर आखिर कब चलेगा विष्णु का चक्र?
- परिवहन विभाग में दीपांशु काबरा ने जो घोटाला किया उसकी भरपायी कौन करेगा?
रायपुर
छत्तीसगढ़ से निकला महादेव सट्टा घोटाला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का घोटाला बन गया है। अभी हाल ही में इस घोटाले का मुख्य सूत्रधार एएसआई चंद्रभूषण वर्मा का ईडी के समक्ष दिए बयान/कथन ने साफ कर दिया कि छत्तीसगढ़ में उस समय भूपेश राज में बड़े ओहदों में बैठे आईपीएस अफसरों को मासिक 05-50 लाख महीना प्रोटेक्शन मनी के रूप में जाता था, जिसमें आनंद छाबड़ा को 35 लाख, अभिषेक माहेश्वरी को 35 लाख, आरिफ शेख को 10 लाख, संजय ध्रुव को 05 लाख महीना के अलावा कई आईपीएस अफसर और पुलिस कर्मचारियों जाता था। छत्तीसगढ़ के उस दौर में तब ऑनलाईन महादेव सट्टा ऐप को पूरा छत्तीसगढ में संरक्षण प्राप्त था। सीबी वर्मा के कथन में उस समय मुख्यमंत्री के ओएसडी सौम्या चौरसिया को 01 करोड़, विजय भाटिया को 01 करोड़ और सीएम मुख्यालय के डॉ सूरज कश्यप को 35 लाख जाता था। इन सब में विनोद वर्मा की भूमिका थी।
संरक्षण का एक उदाहरण है, कैसे भिलाई पुलिस बड़े सटोरियों को बचाती थी। दिनांक 22 और 24 फरवरी 2022 की शाम अंजोरा चौकी पुलिस ने सीबी ढाबे रेस्टोरेंट से राजा गुप्ता अन्य को शराब के केस में पकड़ा जो कि जमानती अपराध था। दरअसल यह लोग महादेव ऐप के पैनल की ट्रेनिंग दे रहे थे पर उस समय के एडिशनल एसपी संजय ध्रुव ने शराब का मामला बनाकर इनको छोड़ दिया। इसका खुलासा चंद्रभूषण वर्मा ने अपने बयान में किया। वहीं भिलाई के सुपेला थाने में छोटे-मोटे सट्टे के मामले दर्ज किए और संजय ध्रुव ने मुझे उठवाने के लिए कई बार पुलिस टीम भोपाल भेजी जिसका नेतृत्व दुर्गेश शर्मा करते थे। यह वहीं दुर्गेश शर्मा हैं जिसे महादेव सट्टे ऐप पर कार्यवाही करने के लिए इस बार 26 जनवरी में पदक मिला है। छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यशैली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दागी पुलिस अधिकारी को मेडल सम्मान मिलता है।
छत्तीसगढ़ सरकार पर दागी आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर दबाव
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के फैसले का इंतजार
छत्तीसगढ़ की राजनीति में भ्रष्टाचार कोई नई बात नही है। लेकिन इस मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय किस करवट बैठते हैं। इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। राज्य की बीजेपी सरकार ने अपने दो महीने के कार्यकाल में कई अनुकरणीय फैसले लिये हैं। इसमें किसानों से किये गये वादों के अलावा महिलाओं के कल्याण के लिये मोदी गारंटी तो पहले ही माह में पूरी कर दी लेकिन भ्रष्टाचार के मोर्चे पर कोई सफलता अभी तक नही निभा पाई है। बताया जाता है कि बीजेपी के भीतर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांग जोर-शोर से उठ रही है। वहीं दूसरी ओर भारी भरकम घोटालों को अंजाम देने वाले सरकारी अधिकारी जस की तस अपनी कुर्सी पर बैठे हुए हैं। ऐसे अधिकारियों का प्रभार और दफ्तर ही बदल गया है लेकिन भूपेश बघेल के प्रति उनकी निष्ठा जहां की तहां नजर आ रही है। बताते हैं कि कई प्रभावशील पदों पर हुई नियुक्ति बीजेपी संगठन को विश्वास में लेकर नहीं की गई है। इनके चहेते दागी अफसरों का दबदबा विष्णुदेव साय पर भी साफ-साफ नज़र आने लगा है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा था। इस मुद्दे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अरमानों पर पानी फेर दिया था। भूपेश गिरोह गोबर से लेकर जनता के कल्याण का दावा कर रहे थे। राजनीति के जानकार बताते हैं कि बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं को कतई उम्मीद नही थी कि उनकी सरकार बन जाएगी। बताते हैं कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मतदाताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के वादों पर भरोसा कर भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी की बत्ती गुल कर दी। कांग्रेस राज का भ्रष्टाचार बीजेपी शासन में मुंह बनाये खड़ा है। भूपेश बघेल और उनके खेमे में शामिल ज्यादातर अधिकारियों पर सिर्फ स्थानांतरण की गाज गिरी है। वह अपनी कुर्सी बचाने में भी कामयाब रहे हैं। बताते हैं कि दागी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने बीजेपी शासनकाल में अपनी अच्छी खासी पैठ जमाई हुई है। इसके कारण भ्रष्ट अधिकारियों के घोटालों की जांच को लेकर ईओडब्ल्यू सुस्त बैठा है, जबकि विष्णुदेव साय सरकार में सचिवालय का संचालन करने वाले प्रभावशील अफसर दागियों के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं।
क्या आनंद छाबड़ा, आरिफ शेख, दीपांशु काबरा, संजय ध्रुव, अभिषेक माहेश्वरी को लूपलाइन डालने से इनके गुनाह कम हो जाते हैं?
हाल ही में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादलो में यहां बड़ा मुद्दा बीजेपी संगठन और प्रशासन गलियारों में गूंज रहा है। बताते हैं कि दागी अफसर आनंद छाबड़ा, आरिफ शेख, दीपांशु काबरा, संजय ध्रुव, अभिषेक माहेश्वरी को लूपलाइन में तो डाल दिया है पर इन पर कार्यवाही नहीं की है। उससे जुड़े चर्चित आईएएस और आईपीएस अफसर भी मलाईदार पदों पर नियुक्त होकर बीजेपी संगठन का मुंह चिढ़ा रहे हैं। संगठन की नाराजगी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनाये गये मापदण्डों को लेकर हो रही है।
वहीं परिवहन विभाग के प्रमुख रहे दीपांशु काबरा ने विभाग में जो गोरखधंधा किया था उसकी भरपायी कौन करेगा, यह भी बड़ा सवाल है। चैक पोस्ट पर अवैध वसूली के कई कारनामें उजागर हुए हैं। करोड़ों रूपये की अवैध वसूली उनके राज में हुई है। इससे पहले भी मैंने दीपांशु काबरा की सरपरस्ती में चैक पोस्ट पर चले अवैध वसूली को लेकर पोस्ट लिखी है।
दरअसल विधानसभा चुनाव के पूर्व संगठन की ओर से आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ नामजद शिकायतें चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार को भेजी गई थी। चिट्टीयों में दागी अधिकारियों के भ्रष्टाचार का ब्यौरा भी पेश किया गया था, हालांकि चुनावी आपाधापी के चलते उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई लेकिन राज्य में बीजेपी की सरकार बनने पर संगठन के ज्यादातर नेताओं को उम्मीद जगी है कि विष्णुदेव साय उन दागी अफसरों के खिलाफ ठोस कार्यवाही करेंगे। इन दो माह के कार्यकाल में विष्णुददेव साय सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या रूख करेगी यह अभी तक अस्पष्ट है। अपने शुरूआती दौर से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस रणनीति नहीं बनने के कारण साय सरकार पर संगठन की टेडी नज़र चर्चा में है।
पत्रकारों पर अत्याचार के मामले हो या फिर शराब घोटाला, महादेव एप घोटाला, कोयला घोटाला, खदान, परिवहन घोटाला भ्रष्टाचार में शामिल नौकरशाहों के खिलाफ पूरी कार्यवाही ईडी के भरोसे छोड़ दी गई है। राज्य सरकार ने अपने इकट्ठा की जाने वाली कार्यवाही से भी मुंह मोड़ दिया है। ईडी लगातार पत्ता दिखाकर ईओडब्ल्यू को उसी पुलिस महकमों को आर्थिक अपराधों को लेकर आईपीसी के तहत कार्यवाही की जाने की लगातार गुहार लगा रहा है। बावजूद इसके सरकार का रवैया समझ से परे बनाया जा रहा है। ईडी के शिकायती पत्रों पर एफआईआर दर्ज होने के साथ-साथ कार्यवाही भी की जानी चाहिये थी। लेकिन कार्यवाही कब होगी इसका इंतजार पूरे छत्तीसगढ़ को है। ईडी की शिकायतों के अमल के लिये भी कोई महकमा पूर्ण जवाबदारी के साथ सामने नही आ रहा है।
सिर्फ औपचारिकता निभाकर ईडी के पत्तों पर विराम लगा दिया गया है। लिहाजा भ्रष्टाचार के मुद्दों पर मुख्यमंत्री साय के स्टण्ड पर चर्चाओं का दौर जारी है। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के भ्रष्टाचार और उसकी जांच का मुद्दा उभर गया है। ऐसे संवेदनशील दौर में विष्णुदेव साय के फैसलों निगाहें पर टिकी हुई हैं। इसी बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश मूणत ने विधानसभा में महादेव सट्टे को लेकर सरकार से कार्यवाही करने का आग्रह किया है। साथ ही भिलाई विधायक रिकेश सेन ने तो पुलिस वालों पर सट्टे खिलाने का आरोप लगा दिया है। अब आने आला समय बताएगा कि छत्तीसगढ़ महतारी को लूटने वाले इन दागियों पर सरकार कब कार्यवाही करेगी।