जगदलपुर.
जगरगुंडा थाना क्षेत्र के टेकलगुड़म गांव में काम कर रहे चार युवकों को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। इसके बाद नक्सलियों ने उन चारों को मंगलवार को उन्हें रिहा कर दिया। नक्सलियों के चंगुल से छूटते ही सभी ने अपने परिजनों को फोन कर अपने ठीक होने की सूचना दी। इसके बाद परिजनों से लेकर पुलिस ने भी राहत की सांस ली। नक्सलियों ने युवकों को तो छोड़ दिया, लेकिन अपने साथ ले गए जेसीबी मशीन को नक्सलियों ने नहीं लौटाया है।
बताया जा रहा है कि रिहाई के बाद मंगलवार की सुबह चारों युवक टेकलगुड़म पुलिस कैंप पहुंचे जहां सीआरपीएफ जवानों द्वारा उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद जिला मुख्यालय पहुंचे। युवकों ने नक्सलियों द्वारा किसी तरह की मारपीट और दुर्व्यवहार करने से इंकार किया गया है। 40 घंटे तक नक्सलियों के कब्जे में रहे युवकों से रिहाई के बाद बातचीत की गई। नक्सलियों के चंगुल से रिहा होने के बाद युवकों ने बताया कि रविवार दोपहर करीब डेढ़ बजे टेकलगुड़म गांव में नल जल योजना के तहत पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा था। इसी दौरान 20 से 25 की संख्या में ग्रामीण वेशभूषा में नक्सली आ गए। नक्सली द्वारा युवकों को कहा कि बिना किसी अनुमति से गांव में काम करने को लेकर नाराज होने के साथ ही आपत्ति जताई। नक्सलियों ने काम बंद करने की बात कहते हुए चारों युवकों को अपने साथ चलने को कहा। मौके पर जेसीबी मशीन भी खड़ी थी उसे भी अपने साथ लेकर चले गए। टेकलगुड़ा से करीब 3 किमी दूर जंगल में चारों युवकों को बैठा दिया। शाम ढलते ही चारों युवक को पास के किसी गांव में ले गए। युवकों ने बताया कि नक्सली बार—बार यही कह रहे थे कि कैंप खुलने से पहले कहां थे। बुनियादी सुविधाओं को तरसते ग्रामीणों की सुध कैंप खुलने से पहले क्यों नहीं लाई गई। अब जब कैंप खुल गया है तो गांव में विकास कार्य करने पहुंच रहे हैं। वर्तमान प्रदेश की भाजपा सरकार की कार्यशैली पर भी नक्सलियों ने नाराजगी जताई है।
युवकों ने कहा कि नक्सलियों ने कभी भी उनसे दुर्व्यवहार नहीं किया। दो रात और एक दिन वे नक्सलियों के साथ बिताए हैं। नक्सली लगातार अपनी जगह को बदलते रहे। दिन में झोपड़ी में रहते और रात को पैदल चलाते थे। कहां और किस गांव में उन्हें ले जाया जाता था, इसकी जानकारी नहीं है। हर गांव एक जैसा ही नजर आता था।