रायपुर
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर जोगी कांग्रेस की चर्चा तेज हो गई है। चर्चा यह है कि आगामी लोकसभा के चुनाव से पहले जनता कांग्रेस जोगी का भारतीय जनता पार्टी के साथ विलय हो सकता है। वहीं बीते कुछ दिनों से प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम भी कुछ इस तरह के इशारे भी कर रहे हैं। बतादें कि बीते दिनों छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के अध्यक्ष अमित जोगी ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जिसके बाद से प्रदेश में जोगी कांग्रेस के भाजपा के जाने की भी हलचल तेज हो गई है।
2018 के चुनाव में मजबूती से खड़ी जोगी कांग्रेस 2023 में हुई कमजोर
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी ने प्रदेश में एक क्षेत्रीय दल की संभावनाओं के साथ ही "छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी" पार्टी बनाई थी। जिस तरह से प्रदेश में जोगी के नेतृत्व में जोगी कांग्रेस तेजी से आगे बड़ रही थी माना जा रहा था कि आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में एक क्षेत्रीय दल तैयार हो जाएगा। साल 2018 के विधानसभा के चुनाव में 7 सीटों के साथ जोगी की पार्टी विधानसभा पहुंची थी। हैरत करने वाली बात यह थी कि महज एक साल पहले ही नई पार्टी बनाना और प्रदेश में 7 सीटे जीतकर विधानसभा पहुंचना चर्चा का विषय बनी हुई थी। लेकिन अजीत जोगी के स्वर्गवास के बाद से ही पार्टी धीरे-धीरे टूटने लगी, जोगी के जितने भी भरोषे के साथी थे उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि साल 2023 के चुनाव में जनता कांग्रेस जोगी एक भी सीट नहीं जीत सकी।
साल 2018 के बाद कई बार कांग्रेस में जाने का किया था प्रायस
छत्तीसगढ़ में जनता जोगी कांग्रेस की राजनीतिक हालत ठीक न होने के कारण ऐसा माना जा रहा है कि उनका विलय के अलावा दूसरा विकल्प शेष नहीं रह गया है। पूर्व सीएम अजीत जोगी के स्वर्गवास के बाद लगातार जोगी कांग्रेस ने कांग्रेस के साथ जाने का प्रयास किया था। इस बात को लेकर पार्टी की अध्यक्ष रेणु जोगी ने भी इसकी चर्चा की थी। माना जा रहा था कि कांग्रेस के कई नेताओं के हस्ताक्षेप के कारण यह संभव नहीं हो पाया। वही एक बार फिर साल 2023 के चुनाव के बाद एक बार फिर जोगी कांग्रेस के विलय की चर्चा तेज हो गई है। अमित जोगी के केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद वलय की चर्चा की बातें भी सामने आ रही हैं।
अगर विलय हुआ तो क्या राज्यसभा जाएंगे अमित?
छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस के विलय के साथ ही चर्चा यह भी हो रही है कि अगर जोगी कांग्रेस का भाजपा के साथ विलय होता है तो भाजपा अमित जोगी को राज्यसभा भी भेज सकती है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की नेत्री राज्यसभा सांसद का कार्यकाल भी लगभग समाप्त हो चुका है। कुछ दिनों में राज्यसभा का चुनाव होगा, जिसमें छत्तीसगढ़ की एक सीट के लिए भी चुनाव होना है। ऐसे में जोगी कांग्रेस के विलय के साथ भाजपा, अमित जोगी को राज्यसभा भेज सकती है।
एक परिवार की पार्टी रह गई
इन तस्वीरों के सिलसिले से उठे सियासी सवाल यही है कि क्या सचमुच जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का भाजपा में विलय हो जाएगा? जवाब ढूंढने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती, क्योंकि विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का जो परफार्मेंस रहा, उससे उसके वजूद का संकट साफ दिखता है। 2018 में पार्टी के गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में जकांछ के 5 विधायक थे। लेकिन पांच साल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान पार्टी ने पराभव ही देखा। एक विधायक धर्मजीत सिंह भाजपा में चले गए। दूसरे विधायक प्रमोद शर्मा कांग्रेस में चले गए। तीसरे अजीत जोगी और चौथे देवव्रत सिंह का निधन हो गया। पांचवे आरके राय भी साथ छोड़ गए। 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का कोई भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता। वोट शेयर अलग घट गए।
पूरा परिवार हार गया चुनाव
आलम ये रहा कि रेणु जोगी कोटा से, ऋचा जोगी अकलतरा से और खुद अमित जोगी पाटन से बुरी तरह चुनाव हार गए। अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास जोगी परिवार के अलावा कोई चेहरा भी नहीं बचा है।
क्या सिर्फ सियासी स्टंट?
अपने भविष्य को देखते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता पहले भी चाहते थे कि भाजपा में उनकी पार्टी का विलय हो जाए। यही वजह है कि इस मुलाकात ने प्रदेश में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। हालांकि कुछ लोग अमित जोगी और अमित शाह की इस मुलाकात को अमित जोगी की चर्चा में बने रहने का स्टंट बता रहे हैं।
कांग्रेस को मिलेगा मुद्दा
अगर वाकई जकांछ का बीजेपी में विलय हो जाता है तो भी अमित जोगी का संकट खत्म नहीं होगा। दरअसल कांग्रेस के तमाम नेता हमेशा से ही जोगी कांग्रेस को बीजेपी की बी-टीम बताती रही है। अगर ये विलय होता है, तो कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा।
बनेगा नया सियासी समीकरण
अमित जोगी और अमित शाह से मुलाकात के कई सियासी समीकरण और मायने भी हैं। हालांकि इस बारे में अमित जोगी कुछ न कहते हुए इसे शिष्टाचार की मुलाकात बता रहे हैं। लेकिन सियासत में कौन भला सब कुछ साफ-साफ कहता है। अगर अमित जोगी भाजपा में शामिल हो जाते हैं, तो फिर आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी उन्हें आदिवासी चेहरे के तौर पर पेश कर सकती है। इससे बीजेपी को कितना फायदा होगा ये कहना तो फिलहाल मुश्किल है, लेकिन अमित जोगी की पार्टी जेसीसीजे को संजीवनी जरूर मिल जाएगी।
विलय नहीं चाहते थे अजीत जोगी
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी अब नहीं हैं। उनके निधन के बाद पार्टी की बागडोर संभाल रहे अमित जोगी के पार्टी का विलय कर देने को लेकर सवालों के लंबे सिलसिले हैं। इसी में एक है कि अमित जोगी के पिता कभी नहीं चाहते थे कि उनकी पार्टी का भाजपा या कांग्रेस में विलय हो जाए। स्वर्गीय अजीत जोगी ने एक बार कहा था कि भले सूली पर लटका दो, लेकिन बीजेपी को समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने आठ धार्मिक ग्रंथों को मीडिया के सामने रखते हुए उनकी साक्षी मानकर कहा था कि 'चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, मैं बीजेपी के समर्थन की बजाय मौत को गले लगाना अच्छा मानूंगा।' लेकिन समय के साथ सियासी बातों का कितना वजूद बच जाता है, हर किसी को पता है।