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प्रदेश में निकायों द्वारा 98 प्रतिशत कचरे का किया जा रहा है प्रसंस्करण

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भोपाल

नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा प्रदेश के शहरों में स्वच्छ पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए स्थानीय निकायों के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य बेहतर तरीके से किया जा रहा है। नगरीय निकायों में कचरा संग्रहण, परिवहन, प्रसंस्करण एवं उचित निपटान सुविधाओं के विकास के लिये स्थानीय निकायों को जनसंख्या के आधार पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों के आधार पर अनुदान राशि भी प्रदान की जा रही है। इस व्यवस्था में स्वयं का अंशदान संबंधित निकाय को अनिवार्य रूप से करना होता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम के अनुसार नगरीय क्षेत्रों में उत्सर्जित होने वाले कचरे का प्रबंधन नगरीय निकायों का दायित्व है।

पिछले वर्ष 7 हजार टन कचरे का किया गया प्रसंस्करण

प्रदेश के 413 नगरीय निकायों में वर्ष 2023 में 7 हजार टन कचरे का उत्सर्जन रिपोर्ट किया गया। जिसमें से निकायों द्वारा 6.63 हजार टन कचरे का निपटान और प्रसंस्करण वैधानिक विधि से किया गया। यह उत्पन्न कचरे का 98 प्रतिशत होता है। प्रदेश में वर्तमान में ठोस अपशिष्ट के लिये 2 प्रक्रियों पर कार्य हरे रहा है। पहली प्रक्रिया क्लस्टर आधरित परियोजनओं का क्रियान्वयन है, जिसमें केन्द्रीय निकाय में अन्य आस-पास के निकायों से कचरा लाकर उचित विधि से प्रसंस्करण किया जा रहा है। प्रदेश में इस समय इस पद्धति से 5 कल्स्टर में 60 नगरीय निकायों को शामिल किया गया है। ये कलस्टर्स सागर, रीवा, कटनी, जबलपुर, एवं सिंगरौली है। इनमें से सागर, कटनी और सिंगरौली कलस्टर्स में से गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। रीवा एवं जबलपुर में प्रतिदिन संग्रहित होने वाले कचरे से बिजली का निर्माण किया जा रहा है।

ठोस अपशिष्ट की दूसरी प्रक्रिया में नगरीय निकाय प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे स्वयं प्रसंस्कृत कर रहे है। वर्तमान में 401 नगरीय निकायों में 368 केन्द्रीकृत इकाइयाँ में गीले कचरे का कम्पोस्टिंग विधि से प्रसंस्करण कर खाद निर्मित किया जा रहा है। इसके साथ ही 360 मटेरियल रिकवरी, फेसिलिटी इकाइयाँ स्थापित की गई है।

इंदौर में 550 टन प्रतिदिन गीले कचरे की प्रसंस्करण क्षमता की इकाई स्थापित की गई है। इससे बायो सीएनजी का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रकार 150 टन प्रतिदिन क्षमता की इकाई भोपाल में भी बनाया जाना प्रस्तावित किया है। जबलपुर में 600 टन प्रतिदिन क्षमता की वेस्ट टू एनर्जी इकाई स्थापित की गई है, जिससे कचरे के प्रसंस्करण से 11.05 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी। इस प्रकार से वेस्ट टू एनर्जी इकाई रीवा में भी निर्माणधीन है।