भोपाल
प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के 43 दिन बाद भी जो नए मंत्री बने हैं, उनके आवास को लेकर अभी भी समस्या बनी हुई है। जिसे लेकर सरकार को चार मंत्रियों की एक समिति भी बनाना पड़ी है। यह समिति इस बात का अध्ययन करेगी कि वह क्या वजह है कि नए मंत्री को आवास मुहैया नहीं हो पा रहे हैं।
दरअसल कुछ ऐसे पूर्व मंत्री हैं जो भाजपा में वरिष्ठ भी हैं, इसलिए सरकार यह संबंधित विभाग उन वरिष्ठों से सरकारी बंगले खाली नहीं करा पा रही है। सरकार के सामने एक समस्या यह भी है कि भाजपा के कई वरिष्ठ विधायक ऐसे हैं जो चार से पांच बार जीत का विधानसभा पहुंचे हैं, उन्होंने भी स्वतंत्र बंगला मांगा है, वे विधायक विश्राम गृह में रहना नहीं चाहते हैं। साथ ही विधानसभा पूल के बंगले भी आवंटित हो गए हैं। उधर, सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग के सामने समस्या यह है कि कुछ बंगले ऐसे हैं, जिनकी हालत खस्ता है, उनके रिनोवेशन में मोटी राशि खर्च होना है। मंत्रियों की समिति इन सभी तथ्यों पर विचार करके जल्द ही मंत्रियों को बंगले आवंटित करने की अनुसंशा करेगी, साथ ही जो लोग बंगले खाली नहीं कर रहे हैं, उनसे बंगले खाली कराएगी।
समिति में यह मंत्री
जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास मंत्री विजय शाह, नगरीय विकास एवं आवास, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की एक समिति गठित की गई है। अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह इस समिति के समन्वयक होंगे।
डेढ़ महीने बाद मंत्रियों को जिलों का प्रभार भी नहीं मिला
इधर कैबिनेट गठन के बाद से अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दिया गया है। प्रदेश में डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल का गठन 25 दिसंबर को किया गया था। तब से अब तक मंत्री जिलों के प्रभार दिए जाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे कायास लगाए जा रहे थे कि 26 जनवरी से पहले मंत्रियों को प्रभार के जिले बांट दिए जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दरअसल इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल जिलों का प्रभार किसको दिया जाए, इसी को लेकर दिल्ली से भोपाल तक मंथन चल रहा है। अब उम्मीदें जताई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री आने वाले एक दो दिनों में मंत्रियों के प्रभार के जिलों की घोषणा कर सकते हैं, जिनमें वरिष्ठ मंत्रियों को बड़े जिलों का प्रभार दिया जाएगा। जो मंत्री पहले भी कैबिनेट में रहे हैं, उन्हें प्रभार वाले पुराने जिले नहीं दिए जाएंगे। जबकि नए मंत्रियों को उनके गृह जिले के आसपास के जिले ही दिए जाने पर विचार चल रहा है।
लोकसभा चुनाव में मंत्रियों को रहना होगा प्रमुख भूमिका में
इधर भाजपा संगठन ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में मंत्रियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसके चलते अब मंत्रियों को नीचे तक उतरकर भी काम करना होगा। लीडरशिप समिट में मंत्रियों को स्पष्ट कह दिया गया है कि ग्राउंड लेवल पर मंत्रियों को ही लीड करना होगा। सभी मंत्रियों को टास्क दिया गया है, जिसके तहत इन सभी को बीएलए और बीएलओ तक पहुंचना होगा। कार्यकर्ताओं को भी महत्व देना होगा, पूरे लोकसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के साथ इन्हें अपना व्यवहार भी अच्छा रखना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्र सिंह के इन निर्देश के बाद अब मंत्री लोकसभा चुनाव तक ग्राउंड पर ज्यादा सक्रिय नजर आएंगे।