अबू धाबी
पहली बार इस मुस्लिम देश में एक भव्य हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। अधिकारियों द्वारा जारी तस्वीरों में मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। 700 करोड़ रुपये की लागत से 5.4 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर बन रहे इस हिंदू मंदिर का उद्घाटन इसी महीने होगा। हम बात कर रहे हैं संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बन रहे बीएपीएस हिंदू मंदिर (BAPS Hindu Mandir) की। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के कुछ सप्ताह बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 फरवरी को अबू धाबी में एक और महत्वपूर्ण मंदिर का उद्घाटन करने के लिए तैयार हैं। राजधानी के अबू मुरीखा क्षेत्र में स्थित बीएपीएस हिंदू मंदिर, संयुक्त अरब अमीरात में पहला हिंदू मंदिर है। इसके अलावा, यह भारत के बाहर सबसे बड़े और सबसे शानदार हिंदू मंदिरों में से एक होगा। साथ ही यह पश्चिम एशिया में भी सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा।
मंदिर के आर्किटेक्चर की बात करें तो इसमें संयुक्त अरब अमीरात के प्रत्येक अमीरात का प्रतिनिधित्व करने वाले सात शिखरों के साथ डिजाइन किए गए गुलाबी बलुआ पत्थर और संगमरमर की बड़ी दीवार को शामिल किया गया है। मंदिर को बनाने में 40,000 घन मीटर संगमरमर, 1,80,000 घन मीटर बलुआ पत्थर और 18 लाख से अधिक ईंटें इस्तेमाल की जा रही हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान, राजस्थान और गुजरात के 2,000 से अधिक कारीगरों ने मंदिर के लिए सफेद संगमरमर के 402 स्तंभों को तराशा है। वहीं संगमरमर इटली के मैसेडोनिया से आया है।
मंदिर परिसर के अंदर एक बड़ा एम्फीथिएटर, एक गैलरी, एक लाइब्रेरी, एक फूड कोर्ट, एक मजलिस, 5,000 लोगों की क्षमता वाले दो कम्युनिटी हॉल, गार्डन और बच्चों के खेलने के क्षेत्र शामिल हैं। मंदिर की डिजाइन वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित है। इस मंदिर के लिए भारत में कारीगरों ने कई मूर्तियां और नक्काशी तैयार की है जिन्हें बाद में अबू धाबी भेजा गया। मंदिर एक आकर्षक आध्यात्मिक स्थल होगा। भारतीय राजदूत ने बताया कि अबू धाबी के बाहरी इलाके में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थापित यह मंदिर हमारे पूर्वजों-महात्मा गांधी और शेख जायद की आकांक्षा के अनुसार शांति और सहिष्णुता की स्थायी परंपरा का प्रमाण होगा। राजदूत की घोषणा के अनुरूप मंदिर के उद्घाटन से पहले इसकी स्थापत्य कला की एक झलक पाने के लिए 42 देशों के राजदूतों के लिए सोमवार को पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित किया गया। अपने स्वागत भाषण में, राजदूत सुधीर ने मंदिर निर्माण पूरा होने पर अपना उत्साह साझा किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह असंभव लग रहा था, लेकिन सपना सचमुच हकीकत बन गया है।’’ बीएपीएस हिंदू मंदिर परियोजना के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने अपने मुख्य भाषण में, मंदिर के ऐतिहासिक महत्व, निर्माण प्रक्रिया और इसके वैश्विक प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अंतर-धार्मिक और अंतर-सांस्कृतिक सद्भाव के एक शक्तिशाली आधार के रूप में मंदिर की भूमिका पर जोर दिया और यूएई तथा भारतीय नेतृत्व दोनों के प्रति आभार व्यक्त किया।