रांची
ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन पर उलटा कोर्ट ने ही सवाल दाग दिया। शीर्ष न्यायलय ने कहा कि क्या आप हाई कोर्ट नहीं गए, यहां क्यों आ गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। बता दें कि सोरेन की तरफ से कोर्ट में उनके वकील कपिल सिब्बल पेश हुए थे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने हेमंत सोरेन की याचिका पर कहा कि उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट आने से पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए था। वहीं सोरेने के वकील सिब्बल ने कहा, हम लोग एक मुख्यमंत्री के मामले से जूझ रहे हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा, कोर्ट तो सभी के लिए खुला है। अगर हम एक शख्स को इस तरह से सीधे आने की अनुमति देते हैं तो सभी को देनी पड़ेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह सोरेन की याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा। जस्टिस खन्ना ने कहा, आप हाई कोर्ट जाइए, हम इस मामले को नहीं सुनेंगे। बता दें कि सोरेन ने पहले हाई कोर्ट में याचिका फाइल की थी लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। बता दें कि ईडी का आरोप है कि उन्होंने लैंड माफियाओं बिचौलियों और नौकरशाहों केसाथ मिलकर जमीन की हेरफेर की है। जांच में ईडी को पता चला कि फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे।
एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि प्रदीप बागची नाम के शख्स ने फर्जी कागजों के जरिए सेना की जमीन हड़प ली थी। इसके बाद कई अधिकारियों के खीलफ भी मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में अमित अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया थो जो कि हेमंत सोरेन के करीबी मान जाते हैं। ईडी ने कोर्ट में बताया कि हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से रांची में 8.5 एकड़ की जमीन हासिल की। आरोप लगाया गया कि बड़े सिंडिकेट के जरिए यह प्रॉपर्टी बनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अदालतें सभी के लिए खुली रहती हैं और हाई कोर्ट भी एक संवैधानिक अदालत है। बता दें कि हाई कोर्ट ने भी टेक्निकल ग्राउंड पर हेमंत सोरेन को गिरफ्तारी से राहत देने से इनकार कर दिया था। वहीं गिरफ्तारी की तलवार लटकने के बाद पहले तो वह 40 घंटे लापता रहे और इसके बाद चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता बना दिया है। वह आज शपथ ले सकते हैं।