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धन्नीपुर में मस्जिद निर्माण पर बड़ा अपडेट, नए मस्जिद के निर्माण का कार्य जाने कब होगा शुरू

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अयोध्या

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला का धाम बनने के बाद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां उमड़ रही है। वहीं, धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण बनी इस नगरी में एक और धार्मिक स्थल का निर्माण कराने की योजना तैयार की गई है। प्रभु रामलला की भव्य मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अब धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण की योजना पर कार्य तेज हो गया है। धन्नीपुर मस्जिद विकास समिति के प्रमुख और इंडो- इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्य हाजी अरफात शेख ने कहा कि मस्जिद का निर्माण इस साल अप्रैल से शुरू होगा। धन्नीपुर मस्जिद के नवनिर्मित ब्लूप्रिंट को उन्होंने एक मीडिया चैनल से साझा किया। उन्होंने कहा कि यह भारत की पहली मस्जिद होगी, जिसमें पांच मीनारें और दुबई से भी बड़ा एक मछलीघर होगा।

 

आईआईसीएफ यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बाबरी मस्जिद के बदले आवंटित पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद के निर्माण की देखरेख के लिए गठित ट्रस्ट है। हाजी अरफात शेख को यूपी के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने धन्नीपुर में मस्जिद के विकास के लिए नामित किया था। हाजी शेख भाजपा नेता और महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जिन्होंने कई सामाजिक पहल की हैं।

नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पांच एकड़ जमीन आवंटित किए हुए काफी लंबा समय हो गया है। राम मंदिर का निर्माण हाल ही में पूरा कराया गया है। इसके बाद भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन 22 जनवरी को किया गया। इसके बाद से धन्नीपुर मस्जिद के निर्माण की योजना पर कार्य किया जा रहा है। देश ने भगवान राम की मूर्ति की भव्य प्रतिष्ठा और अयोध्या मंदिर के उद्घाटन का गवाह बनाया।

रमजान के बाद शुरू होगा काम

हाजी अरफात शेख ने मस्जिद निर्माण पर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि यह एक बड़ी परियोजपना है। मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि पवित्र मस्जिद की स्थापना के इस कार्य के लिए मुझे 25 करोड़ मुसलमानों में से चुना गया है। उन्होंने दावा किया कि यह मस्जिद इस्लामी संरचना का उत्कृष्ट नमूना होगी। हम इसे दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक के रूप में विकसित करने की योजना बना रहे हैं। ऐसी परियोजनाओं में समय लगता है। आखिरकार इस रमजान के बाद काम शुरू कराया जाएगा। इस बीच हम तकनीकी और अन्य संबंधित औपचारिकताओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले स्ट्रक्चर का नाम धन्नीपुर मस्जिद था। कुछ लोगों ने मस्जिद- ए- अमन नाम भी सुझाया। इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी के नाम पर रखा गया।

नाम किया गया फाइनल

धन्नीपुर मस्जिद का नाम अब बदलकर मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद कर दिया गया है। हाजी शेख ने कहा कि मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद अंतिम नाम है। उन्होंने बताया कि पवित्र नाम का गहरा महत्व है। इसमें हमारे प्यारे पैगंबर मोहम्मद के पिता का नाम शामिल है। यह धन्य नाम राष्ट्र को विपत्तियों से बचाने और उसके सभी लोगों को ब्लेसिंग देने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि एक दिन दुनिया खत्म हो जाएगी। लेकिन, यह पवित्र मस्जिद प्रकाश की किरण के रूप में अपनी चमक बिखेरता रहेगा। यह केवल भारत ही नहीं, बल्कि सीमाओं के पार तक अपनी चमक से लोगों को प्रकाशमान करेगा।

मुसलमानों के लिए होगी पवित्र इमारत

मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद को लेकर हाजी शेख ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि यह मस्जिद मुसलमानों के लिए एक पवित्र जगह होगी। विशेष रूप से सुन्नियों, शियाओं, तब्लीगियों के लिए विशेष जगह के स्थान पर सभी वर्गों के लिए यहां कोई भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अभी मुसलमान संप्रदायों में विभाजित हो गया हैं। यह मस्जिद सांप्रदायिक विभाजन को पाट देगी। यह मस्जिद अपनी विशेषताओं के लिए जानी जाएगी। 340 फीट की ऊंचाई तक पांच मीनारें यहां होंगी। ये मीनारें इस्लाम के पांच सिद्धांतों- शाहदा (विश्वास की घोषणा), सलाह (प्रार्थना या नमाज), सॉम (उपवास या रोजा), जकात (दान) और हज को प्रदर्शित करेंगी।

9000 लोग अता कर सकेंगे नमाज

हाजी अरफात शेख ने कहा कि यह मस्जिद मुस्लिम भाइयों के लिए पवित्र स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह मस्जिद दो भागों में विभाजित की जाएगी। इसमं बेसमेंट क्षेत्र और ग्राउंड फ्लोर का निर्माण किया जाएगा। बेसमेंट में एक मल्टीपरपस हॉल होगा। वहीं, ग्राउंड फ्लोर पर एक विशाल नमाज हॉल होगा, जिसमें एक समय में 9,000 से अधिक नमाजियों को नमाज पढ़ने की सुविधा होगी। नमाज हॉल में पांच प्रवेश होंगे। यह पूरी तरह से नमाज अदा करने के लिए होगा। महिला नमाजियों के लिए भी खास इंतजाम हैं। सीढ़ियों और एक छोटी खिड़की के साथ ऊंची मीनारें, मस्जिद के नए डिजाइन का एक अनिवार्य हिस्सा होंगी।

इस्लामिक वास्तुकला की एक और अनिवार्य विशेषता डोम, नए डिजाइन के अनुसार प्रस्तावित मस्जिद का हिस्सा होगी। दीवारों पर अरबी सुलेख लिपियां या कुरान की आयतें अंकित की जाएंगी। हमने मस्जिद के ताले और चाबी के डिजाइन पर भी विशेष ध्यान दिया है। सजावटी लकड़ी के काम के साथ-साथ दीवार के अंदरूनी और बाहरी हिस्से पर प्लास्टर का काम होगा, जो संरचना को और अधिक सुंदर बना देगा। बगीचे और फव्वारे और जलाशयों के साथ भव्य आंगन शामिल हैं। नमाजियों को नमाज अदा करने से पहले स्नान करने में मदद करेंगे।

मस्जिद की विशेषताएं करेंगी आकर्षित

ज्ञानवापी मस्जिद की कई विशेषताएं निर्धारित की गई है। हाजी शेख ने कहा कि यहां की मस्जिद की विशेषताएं दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी। नमाजियों के अलावा यह मस्जिद पर्यटकों के लिए भी प्रमुख आकर्षण होगी। मस्जिद में 21 फीट गुणा 36 फीट की दुनिया की सबसे बड़ी कुरान रखी जाएगी। मिडिल ईस्ट की तरह रमजान के दौरान साल में एक बार कुरान का पाठ किया जाएगा। कुरान के पन्ने पलटने के लिए एक ऑटोमैटिक सिस्टम होगा। एक भव्य मछलीघर या अंडरवाटर चिड़ियाघर एक और अनूठी विशेषता होगी।

यह एक्वेरियम दुबई के प्रसिद्ध एक्वेरियम से भी बड़ा होगा। इसमें जलीय जानवरों की 400 से अधिक प्रजातियां होंगी। मस्जिद का सुंदर डिजाइन, एक भव्य पुस्तकालय और अन्य विशेषताएं मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद को एक प्रमुख आकर्षण बनाएंगी। मीनारों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि अजान से पांचों मीनारों से फव्वारा निकलेगा।

मस्जिद में बनेगा शाकाहारी रसोईघर

मस्जिद में शुद्ध शाकाहारी रसोईघर होगा। यह अजमेर शरीफ की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। हाजी शेख ने कहा कि शाकाहारी सामुदायिक रसोई चलाने के पीछे हमारा उद्देश्य लोगों को इस्लाम की शिक्षाओं से अवगत कराना है जो पूरी तरह से प्रेम और शांति फैलाने में विश्वास करता है। हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम ख्वाजा गरीब नवाज को मानने वाले हैं, बाबर के नहीं, जो भारत को लूटने आया था। 5000 से अधिक लोग रसोई में ताजा पका हुआ शाकाहारी भोजन खा सकते हैं जो अनंत काल तक क्रियाशील रहेगा। मस्जिद में 500 बेड का अस्पताल भी बनाया जाएगा। यह कैंसर अस्पताल के रूप में विकसित किया जाएगा।