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माली किसी समय अफ्रीका का सबसे अमीर देश था, आज भूख-प्यास से मर रही जनता

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बामको
 पश्चिम अफ्रीकी देश माली में सोने की खदान में हादसे में 70 से अधिक लोग मारे गए हैं। माली अफ्रीका में सोने का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन देश के माइनिंग सेक्टर पर विदेशी कंपनियों का दबदबा है। इनमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की कंपनियां शामिल हैं। लेकिन बड़ी संख्या में लोग स्वतंत्र रूप से सोने के खनन में लगे हैं। माली के एक्सपोर्ट में सोने की 75% से अधिक हिस्सेदारी है। देश की 10 फीसदी से अधिक आबादी माइनिंग सेक्टर में लगी है। साल 2022 में देश में 72.2 टन सोने का उत्पादन हुआ। माली में सोने की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि इसके नेशनल बजट में गोल्ड की हिस्सेदारी 25%, एक्सपोर्ट कमाई में 75% और जीडीपी में 10% हिस्सेदारी है।

लेकिन प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश की गिनती दुनिया के सबसे गरीब देशों में होती है। देश की 49% आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। इसकी जीडीपी पर कैपिटा महज 837 डॉलर है। करीब 2.25 करोड़ की आबादी वाले देश माली का नाम संयुक्त राष्ट्र की 47 सबसे कम विकसित देशों की लिस्ट में है। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से देश भूख और कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है। साथ ही इस देश में पानी की भी बड़ी समस्या है। माली एक लैंड लॉक्ड देश है। यानी इसका समुद्री तट नहीं है। इसके पूर्व में नाइजर, उत्तर में अल्जीरिया, पश्चिम में मॉरीटेनिया और दक्षिण में सेनेगल, गांबिया, गिनी, सियरा लियोन, लाइबेरिया और बुर्किना फासो हैं।

दुनिया के आधे सोने का मालिक
माली की माली हालत आज भले ही खराब है लेकिन कभी यह अफ्रीका का सबसे अमीर देश हुआ करता था। इसके राजा मनसा मूसा को इतिहास का सबसे अमीर व्यक्ति माना जाता है। उसके पास करीब 415 अरब डॉलर की दौलत थी। यह दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क (216 अरब डॉलर) से कहीं अधिक है। मनसा मूसा ने साल 1312 से लेकर 1337 तक 25 साल माली पर एकछत्र राज किया। उस जमाने में माली सोने का बड़ा प्रॉड्यूसर था। आज के मॉरीटानिया, सेनेगल, गांबिया, गिनी, बुर्किना फासो, माली, चाड और नाइजीरिया तब मूसा की सल्तनत का हिस्सा हुआ करता थे। दुनिया में सोने की आधी सप्लाई इसी देश से होती थी। माली से सोना खरीदने के लिए इजिप्ट, पर्सिया, गेनोआ और वेनिस से व्यापारी आते थे।

मनसा मूसा का जन्म 1280 में हुआ था। माली साम्राज्य पर 1312 तक उसके बड़े भाई मनसा अबू बकर ने राज किया। इसके बाद वह एक लंबी यात्रा पर निकल गया, तब मनसा मूसा प्रथम ने गद्दी संभाली। माली में सोने के बहुत बड़े भंडार हुआ करते थे। उस दौर में सोने की मांग बहुत ज्यादा थी और दुनिया का आधा सोना मूसा के पास ही था। उसने टिम्बकटू और गाओ जैसे शहरों को विकसित किया था जो अहम सांस्कृतिक केंद्र थे। उसने मिडल ईस्ट और अफ्रीका से वास्तुकारों को बुलवाया जिन्होंने इन शहरों में इमारतों का डिजाइन बनाया था।

मनसा मूसा ने माली को अफ्रीका की सबसे अमीर सल्तनत बनाया। सॉल्ट और गोल्ड के साथ-साथ हाथीदांत से भी उनकी काफी कमाई होती थी। साल 1324 में जब वह हज के लिए मिस्र होते हुए मक्का के लिए निकला तो इस यात्रा की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी। तब तक पश्चिम अफ्रीका के बाहर माली को कोई नहीं जानता था। अरब इतिहासकारों के मुताबिक उनके काफिले में हजारों लोग और दर्जनों ऊंट थे। हर ऊंट पर 136 किलो सोना लदा था। काहिरा में मूसा ने मिस्र के सुल्तान से मुलाकात की। उसके लोगों ने सोने को पानी तरह बहा दिया। इससे मिस्र में अगले 12 साल तक सोने की कीमत गिरी रही।

हज से लौटने के बाद मूसा ने अपने शहरों को नए रूप देना शुरू कर दिया। मस्जिदें और दूसरी पब्लिक बिल्डिंग्स बनाई गईं। टिम्बकटू इस्लामी शिक्षा का प्रमुख सेंटर बनकर उभरा। पूरी दुनिया से इस्लामी विद्वान और वास्तुकार माली आए। उस दौर में माली की रुतबा दुनिया में अपने चरम पर पहुंच गया। मूसा की मृत्यु 1337 में हुई लेकिन उसके बेटे साम्राज्य को चला नहीं पाए। माली की सल्तनत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गई। 19वीं शताब्दी में माली फ्रांसीसी उपनिवेश रहा। आज माली दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। देश लंबे समय से भूख और कुपोषण की समस्या से जूझ रहा है। साथ ही इस देश में पानी की भी बड़ी समस्या है। देश में केवल नाइजर नदी ही पानी का स्रोत है।